अब पीएचडी में प्रवेश तथा उच्च शिक्षा के तहत प्राध्यापक की नौकरी आसान नहीं रही। यूजीसी की ओर से नए सत्र से पीएचडी में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) को अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में जहां पीएचडी में प्रवेश लेना कठिन होगा, वहीं बगैर नेट उत्तीर्ण पीएचडी कर रहे शोधार्थियों के लिए मुश्किलें भी बढ़ेंगी। हालांकि, यूजीसी के इस फैसले से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के आसार जताये जा रहे हैं।
उच्च शिक्षा में किसी भी विषय पर पीएचडी करने के लिए अब तक सिर्फ संबंधित विवि की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करनी अनिवार्य थी। जिसके बाद विवि प्रबंधन की ओर से सीटों के सापेक्ष काउंसिलिंग के बाद संबंधित शोधार्थी को रिक्त सीट आवंटित की जाती थी। हालांकि नेट और जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को इसका लाभ अधिमान अंकों के तौर पर सिर्फ नौकरी में मिलता था। यही कारण था, कि उच्च शिक्षा में लगातार युवाओं ने पीएचडी में प्रवेश लेना शुरू कर दिया।
प्रवेश परीक्षा के आधार पर अभ्यर्थियों को मेरिट के तहत प्रवेशित कर लिया जाता था। लेकिन एकाएक पीएचडी धारकों की संख्या में इजाफा होने तथा शोध परिणाम शून्य होने की दशा में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से नया नियम लागू कर दिया गया है। नए रेगुलेशन एक्ट के तहत अब पीएचडी में प्रवेश के लिए नेट परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। ऐसे में कहा जा सकता है, कि नींव मजबूत होगी तो उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। यूजीसी के इस फैसले को उच्च शिक्षा के पक्ष में बेहतर कहा जा सकता है।