रमण शुक्ला, इलाहाबाद1बीएड और यूपीटीयू की तर्ज पर बीटीसी में दाखिले के
लिए प्रवेश परीक्षा कराने से सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने हाथ खड़े
कर दिए हैं। तर्क दिया है कि 2014 सत्र में दाखिला प्रक्रिया शुरू करने में
पहले ही काफी देर हो चुकी है। परीक्षा के लिए कम से कम चार महीने का समय
चाहिए। आधारभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं और स्टाफ की कमी है। महत्वपूर्ण
यह है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) कराने की तैयारी भी प्रभावित
होगी। शासन ने गत माह परीक्षा नियामक को बीटीसी की प्रवेश प्रक्रिया
परीक्षा से पूरी कराने के निर्देश दिए थे। कहा था बीएड और यूपीटीयू की तर्ज
पर प्रवेश परीक्षा कराने के प्रस्ताव दिया जाए। एकेडमिक मेरिट के आधार पर
अभ्यर्थियों प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
क्यों शुरू हुई पहल : जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में पर्याप्त संख्या में ऑनलाइन आवेदन उपलब्ध होने के बावजूद निजी बीटीसी प्रशिक्षण संस्थानों को समय से अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में सीटें रिक्त रह जाती हैं। निजी कॉलेज संचालक हाई कोर्ट की शरण में पहुंच जाते हैं। ऐसे में शासन को अनावश्यक कठिनाइयों से जूझना पड़ता है। अब राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा कराने की तैयारी है ताकि काउंसिलिंग के आधार प्रशिक्षण संस्थानों को विद्यार्थी का आवंटन किया जाए। यही नहीं, नई व्यवस्था लागू होने के बाद अच्छे अभ्यर्थियों का चयन होगा और अच्छे शिक्षक मिलेंगे।
मेरिट पर होता है प्रवेश : सूबे के 70 डायट और 750 निजी बीटीसी कॉलेजों में दाखिले के लिए एकेडमिक मेरिट को आधार बनाकर कट ऑफ जारी किया जाता है। इसी आधार पर अभ्यर्थियों को बीटीसी प्रशिक्षण केलिए दाखिला दिया जाता है। कॉलेजों और डायटों को 50 सीटे आवंटित की गई है।
कल होगी बैठक : परीक्षा नियामक द्वारा प्रवेश परीक्षा कराने से हाथ खड़े किए जाने के बाद शासन ने अब नये सिरे प्रवेश प्रक्रिया तय करने के लिए छह जुलाई को बैठक बुलाई है। इस दौरान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक, सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारी तलब किए गए हैं।
क्यों शुरू हुई पहल : जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में पर्याप्त संख्या में ऑनलाइन आवेदन उपलब्ध होने के बावजूद निजी बीटीसी प्रशिक्षण संस्थानों को समय से अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में सीटें रिक्त रह जाती हैं। निजी कॉलेज संचालक हाई कोर्ट की शरण में पहुंच जाते हैं। ऐसे में शासन को अनावश्यक कठिनाइयों से जूझना पड़ता है। अब राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा कराने की तैयारी है ताकि काउंसिलिंग के आधार प्रशिक्षण संस्थानों को विद्यार्थी का आवंटन किया जाए। यही नहीं, नई व्यवस्था लागू होने के बाद अच्छे अभ्यर्थियों का चयन होगा और अच्छे शिक्षक मिलेंगे।
मेरिट पर होता है प्रवेश : सूबे के 70 डायट और 750 निजी बीटीसी कॉलेजों में दाखिले के लिए एकेडमिक मेरिट को आधार बनाकर कट ऑफ जारी किया जाता है। इसी आधार पर अभ्यर्थियों को बीटीसी प्रशिक्षण केलिए दाखिला दिया जाता है। कॉलेजों और डायटों को 50 सीटे आवंटित की गई है।
कल होगी बैठक : परीक्षा नियामक द्वारा प्रवेश परीक्षा कराने से हाथ खड़े किए जाने के बाद शासन ने अब नये सिरे प्रवेश प्रक्रिया तय करने के लिए छह जुलाई को बैठक बुलाई है। इस दौरान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक, सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारी तलब किए गए हैं।
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