हरदोई. फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी पाने वाले 79 शिक्षकों को बर्खास्त करने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग और डायट विकलांग बन कर नौकरी पाने वाले मुन्ना भाइयों की तलाश में जुटा हुआ है।
डायट के प्राचार्य एम.के. सिंह ने साफ साफ कहा कि इन संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है कि जाली प्रमाण पत्रों के आधार पर किसी ने नौकरी पा ली हो। मगर मामला संज्ञान में आने पर कार्रवाई होना सुनिश्चित है। उधर बेसिक शिक्षा विभाग में भी इस बात को लेकर खलबली मची हुई है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. मसीहज्जुमा सिद्दीकी ने कहा कि अभी तक उनके संज्ञान में ऐसा कोई मामला नही आया है, मगर वे प्रमाण पत्रों की सघन जांच के निर्देश दे चुके हैं।
fraud teacher
कैसे-कैसे खेल हो जाता है मेल !
इसे विभागीय जिम्मेदारों का खेल ही कहा जाएगा कि बेसिक शिक्षा विभाग की भर्ती में मुन्ना भाई नौकरी पाने में कामयाब हो गए है। अभी तो महज 79 शिक्षकों की बर्खास्तगी हुई है। अगर पिछले दो-तीन सालों में हुई शिक्षकों और अनुदेशकों आदि की भर्ती के शत प्रतिशत सत्यापन उच्च स्तरीय जांच एजेंसी से करा दिया जाए तो और भी मुन्ना भाई सामने आ सकते हैं। जैसा कि विकलांग कोटे की भर्ती में कुछ प्रमाणपत्र फर्जी लगाए जाने से लेकर अनुदेशकों की भर्ती में संदिग्ध प्रमाण पत्र लगाए जाने की चर्चाओं सहित विभाग में चर्चा आम रहती है। उससे साफ है कि मामला कई खास लोगों से जुड़ा हो सकता है।
fraud teacher
सत्यापन को लेकर उठ रहे सवाल !
जिले में होने वाली शिक्षकों आदि की भर्ती में जाली प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी पाने से लेकर सत्यापन और बर्खास्तगी की कहानी किसी मजाक जैसी लगती है। आज तक इस मामले को लेकर किसी विभागीय जिम्मेदार पर र्कारवाई नहीं हुई कि संचार क्रांति के इस युग में जब ज्यादातर शैक्षिक संस्थान आनलाइन हैं, तो फिर मुन्ना भाई कैसे नौकरी पा जाते हैं। मामले में विभागीय लोगों की संलिप्तता को लेकर भी समय समय पर सवाल उठते रहे हैं।
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डायट और विभाग में खूब हुई थी तनातनी
शिक्षक भर्ती में नियुक्ति से लेकर स्कूल आवंटन के मामले में करीब एक साल तक जिला प्रशिक्षण संस्थान (डायट) और बेसिक शिक्षा विभाग में खूब तनातनी रही। तत्कालीन अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक दूसरे को लेकर खूब शब्दबाण चलाने के साथ पत्राचार भी किया। कभी शिक्षकों की काउंसलिग कराए जाने को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग पर सवाल उठाए जाते रहे तो कभी प्रथम सत्यापन कराए जाने को लेकर डायट पर निशाना साधा जाता रहा। इस पूरे मामले में एक बात साफ है कि बिना उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच हुए ये स्पष्ट कैसे हो सकेगा कि खेल के मेल में आखिर कभी अच्छे रहे रिश्ते फेल क्यों हुए और क्यों मुन्ना भाई नौकरी पाने में कामयाब होते रहे।
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
डायट के प्राचार्य एम.के. सिंह ने साफ साफ कहा कि इन संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है कि जाली प्रमाण पत्रों के आधार पर किसी ने नौकरी पा ली हो। मगर मामला संज्ञान में आने पर कार्रवाई होना सुनिश्चित है। उधर बेसिक शिक्षा विभाग में भी इस बात को लेकर खलबली मची हुई है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. मसीहज्जुमा सिद्दीकी ने कहा कि अभी तक उनके संज्ञान में ऐसा कोई मामला नही आया है, मगर वे प्रमाण पत्रों की सघन जांच के निर्देश दे चुके हैं।
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कैसे-कैसे खेल हो जाता है मेल !
इसे विभागीय जिम्मेदारों का खेल ही कहा जाएगा कि बेसिक शिक्षा विभाग की भर्ती में मुन्ना भाई नौकरी पाने में कामयाब हो गए है। अभी तो महज 79 शिक्षकों की बर्खास्तगी हुई है। अगर पिछले दो-तीन सालों में हुई शिक्षकों और अनुदेशकों आदि की भर्ती के शत प्रतिशत सत्यापन उच्च स्तरीय जांच एजेंसी से करा दिया जाए तो और भी मुन्ना भाई सामने आ सकते हैं। जैसा कि विकलांग कोटे की भर्ती में कुछ प्रमाणपत्र फर्जी लगाए जाने से लेकर अनुदेशकों की भर्ती में संदिग्ध प्रमाण पत्र लगाए जाने की चर्चाओं सहित विभाग में चर्चा आम रहती है। उससे साफ है कि मामला कई खास लोगों से जुड़ा हो सकता है।
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सत्यापन को लेकर उठ रहे सवाल !
जिले में होने वाली शिक्षकों आदि की भर्ती में जाली प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी पाने से लेकर सत्यापन और बर्खास्तगी की कहानी किसी मजाक जैसी लगती है। आज तक इस मामले को लेकर किसी विभागीय जिम्मेदार पर र्कारवाई नहीं हुई कि संचार क्रांति के इस युग में जब ज्यादातर शैक्षिक संस्थान आनलाइन हैं, तो फिर मुन्ना भाई कैसे नौकरी पा जाते हैं। मामले में विभागीय लोगों की संलिप्तता को लेकर भी समय समय पर सवाल उठते रहे हैं।
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डायट और विभाग में खूब हुई थी तनातनी
शिक्षक भर्ती में नियुक्ति से लेकर स्कूल आवंटन के मामले में करीब एक साल तक जिला प्रशिक्षण संस्थान (डायट) और बेसिक शिक्षा विभाग में खूब तनातनी रही। तत्कालीन अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक दूसरे को लेकर खूब शब्दबाण चलाने के साथ पत्राचार भी किया। कभी शिक्षकों की काउंसलिग कराए जाने को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग पर सवाल उठाए जाते रहे तो कभी प्रथम सत्यापन कराए जाने को लेकर डायट पर निशाना साधा जाता रहा। इस पूरे मामले में एक बात साफ है कि बिना उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच हुए ये स्पष्ट कैसे हो सकेगा कि खेल के मेल में आखिर कभी अच्छे रहे रिश्ते फेल क्यों हुए और क्यों मुन्ना भाई नौकरी पाने में कामयाब होते रहे।
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