Breaking Posts

Top Post Ad

कॉलेजों में 8 वर्षों से शिक्षकों की नहीं हुईं नियुक्तियां, सपा सरकार के शासन में कई तरह के विवादों से घिरा रहा यह आयोग

प्रदेश के राज्य विवि से संबद्ध सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में पिछले 8 वर्षों से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। शिक्षकों की कमी से जूझ रहे इन कॉलेजों में छात्र-शिक्षक अनुपात का मानक पूरा करने के लिए सेवानिवृत्त शिक्षकों की सेवाएं ली जा रही हैं।
इन कॉलेजों में नियुक्ति असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर होती है। सरकार ने नियुक्ति का अधिकार उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को दे रखा है। पिछली सपा सरकार के शासन में कई तरह के विवादों से घिरा रहा यह आयोग वर्ष 2009 के बाद से ही कोई भर्ती नहीं कर पाया है। सरकार ने छात्र संख्या के आधार पर 1234 शिक्षकों के पदों का सृजन भी किया । लेकिन ये पद भी भरे नहीं जा सके। कुछ कॉलेजों के बीएड पाठ्यक्रमों का विनियमितिकरण किए जाने पर उनमें पढ़ा रहे शिक्षकों की सेवाएं जरूर विनियमित हुईं। इसी तरह आरक्षण का विवाद होने के कारण राज्य विवि में भी लंबे समय तक शिक्षकों की नियुक्तियां बाधित रहीं। प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (स्लेट) कराने का पिछली सरकार का फैसला भी अधर में ही पड़ा रहा। हालत यह है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों की कमी के चलते स्ववित्तपोषित डिग्री कॉलेजों को शिक्षकों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। माना जाता है ‘स्लेट’ कराने से अर्ह शिक्षकों की कमी दूर हो सकती है। लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष डा. मौलीन्दु मिश्र कहते हैं कि केंद्र सरकार की अधिसूचना जारी होने के बाद भी यूजीसी का तीसरा व चौथा संशोधन लागू नहीं किया किया गया, जिससे पीएचडी डिग्रीधारक युवा रोजगार से वंचित ही रह गए। यह संशोधन लागू करके पीएचडी धारक युवाओं को रोजगार का अवसर मुहैया कराया जा सकता है।

sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

No comments:

Post a Comment

Facebook