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मौजूदा अध्यक्ष के कार्यकाल में हुई भर्तियों पर भी उठी अंगुली, सुहासिनी ने खोला भ्रष्टाचार

इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के मौजूदा अध्यक्ष डा.अनिरुद्ध यादव के कार्यकाल में हुई भर्तियों पर भी अंगुली उठी है। आरोप है कि भर्तियों में लिखित परीक्षा में कम अंक पाने वालों को इंटरव्यू में अधिक नंबर देकर सफल किया गया।
खास तौर से एक खास जाति के अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में ज्यादा अंक दिए गए। लिखित में ज्यादा नंबर पाने वाले कई अभ्यर्थी इंटरव्यू में कम अंक मिलने के कारण सफल ही नहीं हो सके। आयोग ने भर्तियों में गड़बड़ी करने के लिए मनमाने नियमों का सहारा लिया। मसलन त्रिस्तरीय आरक्षण और स्केलिंग, वन टाइम पासवर्ड आदि के नियम लागू हुए। इसीलिए प्रतियोगी लंबे समय से सीबीआइ जांच की मांग कर रहे हैं। इसको लेकर कोर्ट में याचिका तक दाखिल हो चुकी है और प्रधानमंत्री तक भर्तियों की जांच कराने की बात कह चुके हैं। सूबे में भाजपा सरकार आने के कुछ दिन बाद ही सबसे पहले आयोग की भर्तियों पर रोक लगाई गई।
अध्यक्ष ने दिया ये ब्योरा
सरकार ने आयोग अध्यक्ष डा. यादव से पांच साल में कितनी भर्तियां हुई, उसमें कितने अभ्यर्थियों का चयन हुआ, भर्ती का मानक क्या था, साक्षात्कार का बोर्ड कैसे गठित हुआ, लिखित परीक्षा व इंटरव्यू में अभ्यर्थियों को अंक किस तरह मिले हैं, भर्ती की नियमावली सहित अन्य तमाम सवालों का जवाब सरकार को मिल गया है।
सुहासिनी ने खोला भ्रष्टाचार
प्रतियोगी लंबे समय से आयोग की खामियों को लेकर हमलावर रहे हैं लेकिन, पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान रायबरेली की सुहासिनी बाजपेई के प्रकरण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान इस ओर खींचा और उसी के बाद से आयोग का हाल बेहाल है। असल में पीसीएस मुख्य परीक्षा 2015 की अभ्यर्थी सुहासिनी का प्रकरण सामने आने के बाद आयोग पर मेधावियों की कॉपियां बदलने के आरोप और तेज हो गए हैं।

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