UPTET SHIKSHAMITRA : शिक्षामित्रों की समायोजन और शिक्षकों की नियुक्ति के सम्बन्ध में हिमांशु राणा की फेसबुक पोस्ट

जैसा कि कई मर्तबा शिक्षामित्रों के विषय में आपको समय-समय पर अवगत कराया है और इनका भविष्य हिन्दुस्तान के कानूनानुसार होना क्या है उससे भी कई बार आपको मुखातिब कराया गया है |
शिक्षामित्रों की नियुक्ति या ये कहें कि चुनावी-वादा जिसको पूरा करने में तत्कालीन हुकुमरान के इशारे पर समस्त नियमों को तांक पर रख दिया गया और शासन के सबसे बड़े अधिकारी से लेकर नियुक्ति कराने वाले अधिकारियों के बाबुओं की मौज कटी परन्तु खामोश रहा न्यायालय जिसने 19 जून 2014 को जब ये नियुक्तियां चैलेंज हुई थी तभी संज्ञान में लेते हुए इस पाप को करने से किसी को नहीं रोका | कितनी जान गई , कितना सामाजिक , आर्थिक , मानसिक नुकसान हुआ अगर कोई उसका स्टेटस जानने बैठे तो उतना ही समय निकल जाएगा जितना समय अखिलेश सरकार रही है लेकिन ईश्वर ने उनको उनके कर्मों की सजा दी पर उनका क्या जो अधिकारी आज भी समाजवादी नशे में चूर हैं ? भाजपा सरकार ने बुद्धि का परिचय देते हुए मा० न्यायालय के समक्ष हाथ जोड़कर कहा जो आपने कराया ठीक है , हम चिंतित है तो स्टेट द्वारा अकादमिक मेरिट पर की गई लगभग 99000

भर्तियों को लेकर और पूरी गेंद एनसीटीई के पाले में डाल दी | शिक्षामित्र खुश हैं - उन्हें आज बस इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नाडकर्णी साहब ने सीधा बोल दिया था कि ये नियुक्तियां 2010 के बाद की हैं और तत्पश्चात टेट से कोई रिलीफ नहीं है |
परन्तु उनका छोड़कर एक सवाल आज भी मन में हैं और जनता हूँ सिस्टम में गड़बड़ी है लेकिन जब शिक्षामित्रों के अधिवक्ताओं के द्वारा या बीएड पक्ष की तरफ से मात्र एक अधिवक्ता श्री आनंद नंदन जी द्वारा आत्महत्या का हवाला दिया जा रहा था तो तब "एन्ड ऑफ़ दा कोर्ट" को समस्त अधिकारियों को नोटिस इशू करके पूछना नहीं चाहिए था कि ये क्यों किया , किसके कहने पर किया , वहां अनुच्छेद 142 लगता और जिसके इशारे पर हुआ सभी मा० न्यायालय के समक्ष होते या इन सभी को छोड़कर हिन्दुस्तान के कानून से खिलवाड़ करके अनुच्छेद 21 - A का मजाक बनाने के जुल्म में सभी नंबरदारों को लाइन-हाजिर नहीं करना चाहिए था ? लेकिन आज वे अधिकारी शांत हैं तो बस लाचार सिस्टम की वजह से और मौज में हैं लेकिन आने वाले आदेश पर अगर कोई टकटकी लगाए बैठा है तो वो है सिस्टम से जूझता हर वो व्यक्ति जो नीति-कुनीति या कुछ भी कहें उसका शिकार हुआ है | पूर्व मुख्य-सचिव बेसिक शिक्षा नीतीष्वर कुमार जी ने शासन के इसी आदेश को मानने से इंकार कर दिया था जिसकी सजा पद गंवाकर उन्हें भुगतनी पड़ी लेकिन फिर उसी पद पर दोबारा विराजमान हुए समस्त सचिव/अधिकारी ???? चलो अब सिस्टम को चलाने महात्मा जी आये हैं , उम्मीद है कुछ अच्छा करेंगे लेकिन अब तक तो मामला निल बटा सन्नाटा है और इस चीज़ को आज का अध्यापक खुद देख भी रहा है/ मैं स्वयं झेल रहा हूँ लेकिन हारता नहीं वहां भी लड़ रहा हूँ/समय आने पर बताऊंगा भी या खुद ही पता चल जाएगा आप सभी को | बहरहाल इस लाचार सिस्टम में बदलाव की जरूरत है अगर समय रहते ऐसा नहीं हुआ तो प्राथमिक में सुधार मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है | धन्यवाद हर हर महादेव आपका_हिमांशु राणा

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