मंझनपुर। शिक्षक भर्ती में हुई धांधली शासन के निगाह में आ
गई है। संपूर्णानंद विश्वविद्यालय वाराणसी और बरकतउल्ला विश्वविद्यालय
भोपाल की डिग्री पर नौकरी पाने वाले शिक्षक उसके निशाने पर हैं।
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परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षकों की डिग्री पर लगातार सवालिया निशान उठ रहे थे। सपा सरकार में इनके खिलाफ कई मर्तबा लिखित शिकायत हुई थी लेकिन कार्रवाई नहीं हो सकी थी। भाजपा सरकार बनते ही इन शिक्षकों के खिलाफ एक बार फिर लोगों ने मोर्चा खोला। नई सरकार से शिकायतकर्ताओं की उम्मीद रंग लाती दिख रही है।
फर्जी मार्कशीट पर अप्रैल माह के पहले हफ्ते में तीन शिक्षक बर्खास्त किए गए। इसके बाद 21 शिक्षकों को फर्जी टीईटी प्रमाण पत्र लगाने के आरोप में बीएसए दलश्रृंगार यादव ने नोटिस जारी कर दिया। इससे हड़कंप मचा था। यह मामला ठंडा नहीं हुआ था कि तीन और शिक्षकों को नोटिस जारी हो गया। इनमें एक शिक्षक कई साल से निलंबित चल रहा था जबकि दो ने एफआईआर व रिकवरी से बचने के लिए इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद भी विभाग ने इनको नहीं बख्शा। इस कार्रवाई से सभी की निगाहें बेसिक शिक्षा विभाग की ओर टिक गई थी। अभी यह कार्रवाई चल ही रही थी कि विभाग ने शासन की मांग पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी और बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल से डिग्री लेकर नौकरी कर रहे शिक्षकों की सूची भेज दी।
वाराणसी और भोपाल से डिग्री प्राप्त कर जिले में छह सौ से ज्यादा शिक्षक नौकरी कर रहे हैं। शासन के इस कदम ने शिक्षकों की बेचैनी बढ़ा दी है। विभागीय लोगों का मानना है कि जनपद में तैनात एक हजार ऐसे शिक्षक हैं जिनकी मार्कशीट संदिग्ध है। इनमें एसआईटी की जांच के दायरे में शामिल लगभग 102 शिक्षक भी शामिल हैं।
संदिग्ध शिक्षकों की सूची हुई लंबी
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वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत और भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय की डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षक शक के घेरे में
जिले के 24 शिक्षकों को जारी हो चुका है नोटिस, गैर जनपदों से भी निकाले जा रहे कौशाम्बी के शिक्षक
एसआईटी ने भी शिक्षकों को जारी किया नोटिस
भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की कूटरचित मार्कशीट पर नौकरी कर रहे 66 लोगों को एसआईटी ने नोटिस जारी किया है। यह नोटिस हाल ही में जारी हुआ है। इसके पहले भी 36 शिक्षकों को एसआईटी ने नोटिस जारी किया था। एसआईटी की जांच में जनपद के 102 शिक्षक शामिल हैं। यह मामला चल ही रहा था कि बीएसए दलश्रृंगार यादव ने फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ चाबुक चलाकर सबके होश उड़ा दिए हैं।
गैर जनपदों से भी हटाए गए कौशाम्बी के शिक्षक
जिले में दाल नहीं गली तो यहां के शिक्षकों ने अपनी तैनाती गैर जनपदों में करा ली थी। जांच के बाद इनको अब हटाने की कार्रवाई चल रही है। मिर्जापुर से चार, सोनभद्र से दो, फतेहपुर से 20 शिक्षक हटाए जा चुके हैं। चित्रकूट में भी कौशाम्बी के शिक्षक तैनात हैं। वहां तैनात शिक्षकों के खिलाफ भी कार्रवाई चल रही है।
डॉयट की मदद से फर्जीवाड़ा करने वाले पाते हैं नौकरी
जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान (डॉयट) मंझनपुर फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी दिलाने वाले गिरोह का अड्डा है। यहां एक गिरोह सक्रिय है, जो मोटी रकम लेकर लोगों को पहले बीटीसी कराता है, इसके बाद डॉयट के ही रास्ते इनको बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी दिलाकर प्रवेश दिला देता है। बीटीसी व विशिष्ट बीटीसी का प्रशिक्षण लेने वाले प्रशिक्षुओं की मार्कशीट की वरीयता पर जांच कराने का प्राविधान है। प्रशिक्षु चले जाते हैं लेकिन इनके अभिलेखों की सत्यापन रिपोर्ट नहीं आती है। बेसिक शिक्षा विभाग डॉयट से प्रशिक्षितों को नौकरी देता है। पेंच फंसने पर ही जांच होती है।
हटाए जा चुके हैं दो सौ से अधिक प्रशिक्षु
जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान (डॉयट) मंझनपुर हमेशा से सुर्खियों मेें रहा है। तत्कालीए डीएम लोकेश एम के कार्यकाल में फर्जी डिग्री लगाने वाले प्रशिक्षुओं का चयन हो गया था। मामले का खुलासा होने पर डीएम ने कार्रवाई कर इनका नाम सूची से बाहर करवाया था। इसके बाद तत्कालीन डीएम आलोक गुप्ता के कार्यकाल में फर्जी मार्कशीट पर चयन कराने वाले सौ से ज्यादा युवाओं को लेकर बखेड़ा हुआ था। तत्कालीन सीडीओ डॉ. एसके पांडेय की फौरी जांच में ही यह मामला उजागर हुआ था। इसके बाद अलमारियां सीज कर दी गई थीं। डीएम की इस कार्रवाई के बाद वेटिंग में चल रहे मेधावियों को बीटीसी में प्रवेश मिला था।
पुलिस के छापे में बरामद हो चुकी है फर्जी मार्कशीट
शिक्षक भर्ती धांधली मामले में डॉयट का यूं ही नहीं नाम लिया जाता है। पहले गिरोह की कमान माफिया जीवन के के हाथ थी। इसके बाद कुलदीप, इंदल और विभाग के ही एक प्रवक्ता ने गिरोह की बागडोर संभाली। मोटी रकम लेकर प्रशिक्षुओं के चयन में धांधली की गई। वर्ष 2015 में डायट में पुलिस ने छापा मारा था। बाहर खड़ी एक सफारी से पुलिस ने 80 से ज्यादा फर्जी मार्कशीट, लिफाफे में बंद विश्वविद्यालयों से भेजी गई सत्यापन रिपोर्ट भी बरामद की गई थी। सत्यापन रिपोर्ट कई साल पुरानी थी, जिन्हें विभाग में जमा ही नहीं किया गया था। इसकी रिपोर्ट मंझनपुर कोतवाली में दर्ज है। दो लोग जेल भी भेजे गए थे।
‘शिकायतों के आधार पर जांच कराकर कार्रवाई की जा रही है। फर्जी टीईटी प्रमाण पत्र लगाने पर नोटिस देकर 24 शिक्षकों से जवाब मांगा गया है। इसकेे अलावा शासन ने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की सूची मांगी थी। वह शासन को भेज दी गई है।’
दलश्रृंगार यादव
बेसिक शिक्षा अधिकारी
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