लखनऊ. सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्रों के मामले में कल यानी 5 जुलाई को अपना फैसला सुना सकता है। आपको बता दें कि यूपी के लगभग पौने दो लाख शिक्षा मित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन कर दिया गया था।
मांगी मानवीय आधार पर राहत
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिक्षा मित्रों के वकीलों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि सरकारी स्कूलों में ये लगातार कई सालों से अध्यापन का कार्य रहे हैं। इसलिए मानवीय आधार पर शिक्षा मित्रों को राहत दी जाए और सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन को रद्द न किया जाए। क्योंकि उम्र के इस पड़ाव पर शिक्षा मित्रों के लिए लगभग सभी रास्ते बंद हो चुके हैं। सरकारी स्कूूलों में अध्यापकों की कमी को देखते हुए राज्य सरकार ने शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया था। शिक्षा मित्रों के पास योग्यता के अलावा 17 साल का लंबा अनुभव भी है। शिक्षा मित्रों की ओर से वकीलों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से शिक्षा मित्रों को राहत मिलनी चाहिए।
बच्चों की शिक्षा सबसे जरूरी
मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चों की शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण विषय है और शिक्षा की गुणवत्ता से हम किसी को भी खिलवाड़ करने नहीं देंगे। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए पूरी तरह से कटबद्ध है और उसकी पूरी जिम्मेदारी है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की काबिलियत को देखते हुए उनकी नियुक्ति की जाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि शिक्षा मित्र काबिल नहीं हो सकते, ऐसा नहीं है। शिक्षा मित्र भी काबिल हो सकते हैं और दूसरे शिक्षकों में भी काबिलियत हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों के बाद शिक्षा मित्रों के समायोजन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। जिसके बाद से अब शिक्षा मित्रों और राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बेसब्री से इंतजार है।
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मांगी मानवीय आधार पर राहत
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिक्षा मित्रों के वकीलों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि सरकारी स्कूलों में ये लगातार कई सालों से अध्यापन का कार्य रहे हैं। इसलिए मानवीय आधार पर शिक्षा मित्रों को राहत दी जाए और सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन को रद्द न किया जाए। क्योंकि उम्र के इस पड़ाव पर शिक्षा मित्रों के लिए लगभग सभी रास्ते बंद हो चुके हैं। सरकारी स्कूूलों में अध्यापकों की कमी को देखते हुए राज्य सरकार ने शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया था। शिक्षा मित्रों के पास योग्यता के अलावा 17 साल का लंबा अनुभव भी है। शिक्षा मित्रों की ओर से वकीलों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से शिक्षा मित्रों को राहत मिलनी चाहिए।
बच्चों की शिक्षा सबसे जरूरी
मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चों की शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण विषय है और शिक्षा की गुणवत्ता से हम किसी को भी खिलवाड़ करने नहीं देंगे। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए पूरी तरह से कटबद्ध है और उसकी पूरी जिम्मेदारी है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की काबिलियत को देखते हुए उनकी नियुक्ति की जाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि शिक्षा मित्र काबिल नहीं हो सकते, ऐसा नहीं है। शिक्षा मित्र भी काबिल हो सकते हैं और दूसरे शिक्षकों में भी काबिलियत हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों के बाद शिक्षा मित्रों के समायोजन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। जिसके बाद से अब शिक्षा मित्रों और राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बेसब्री से इंतजार है।
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