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स्नैप मेंडमस की प्रति कॉपी है जिसमे RTE एक्ट 09 और 21 A के हवाले से राज्य सरकार दोनों विगयापन के पदों को भरने में आना कानी कर रहे हैं

प्रणाम संघर्ष के साथियों ,,,,,बहुत बेबाकी से आज आप के समकक्ष कुछ महत्त्वपूर्ण बात रखना चाहता हूँ ख़ास तौर पे 30/11/2011 की विज्ञप्ति पे एवं 07/12/2012 के नए विज्ञप्ति पे।
भारत के विधि द्वारा प्रदत्त संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत कोई भी अपीलेंट देश की सर्वोच्च अदालत में अपनी बात कह सकता है या रख सकता है रिट पेटीशन के द्वारा ,सिविल अपील के द्वारा ,मेंडमस के द्वारा , या रिट पेटीशन सिविल के द्वारा। उपरोक्त दिए गए गए रिटों के माध्यम से हर वो शख्श स्वतंत्र है जो किन्ही कारण से उसके हितों की अनदेखी या उसके मौलिक अधिकारों का हनन किया गया है लोअर कोर्टों द्वारा वे अपने हितार्थ के लिए अपैक्स कोर्ट की शरण में जा सकते  हैं।सबको पता है कि न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा जी 30/11/2011 की विज्ञप्ति को अपने अंतरिम आदेशों से कम्प्लीट करवा रहे हैं और ये भी बात सबको पता है कि नए विज्ञापन के विज्ञप्ति की (72825) सीट फ्रीज़ पड़ा हुआ था जिसको वर्तमान सरकार ने  शिक्षा मित्रों के समायोजन में उस नए पद की सीटों को हायर करके शिक्षा मित्रों के समायोजन में मर्ज़ कर दी।
ये भी सबको बात पता है कि दिनाँक 4 फरवरी 2012 को नए विज्ञापन पे आधारित पहली कॉउंशलिंग के दिन स्टे लग गया इलाहबाद हाई कोर्ट के खंडपीठ बेंच से जबकि एक दिन की कॉउंशलिंग आन गोइंग प्रोसेस में था। अब जैसा की दिनाँक 07 दिसम्बर 15 की सुनवाई में स्टेट के काउंशील पर्सन ने न्यायमूर्ति जी के बेंच में 58000 पद भरने का स्टेट्स रिपोर्ट + 12091 का प्रत्यावेदन रिपोर्ट +1100 एडहॉक पे सभी वादी/प्रतिवादी को नियुक्ति करने का डायरेक्शन मान चूका थे । इस उपरोक्त टोटल को जोड़ने के बाद 71191 लोग 72825 में चयनित हो चुके थे रेस्ट (72825-71191=1634) पद स्टेट की तरफ से रेस्ट बचे थे दिनाँक 30/11/2011 की विज्ञप्ति में ?? जिसमे से (1100 में से 864 लोग को ही एडहॉक पे नियुक्ति दिया गया मतलब 236 लोगों को अप्पोइन्ट नहीं किया गया) मतलब अब फ्रेश रिक्त पद 1634 की जगह 1864 पद बचें ????

मैं पूछना चाहता हूँ तमाम न्यायविद विधिक बंधुओं एवं पैरविकारों से क्या 1864 पदों से सम्पूर्ण 24 फरवरी से पहले बने और बाद में बने 68 हज़ार लमसम याचियों  में स्टेट के अनुसार याचियों को एडहॉक पे नियुक्ति का आदेश हो पायेगा ??????जबकि स्टेट ने अपने हलफनामे में सिर्फ 34 हज़ार लमसम याचियों को सही सही रेक्टिफाइ किया है ?????

कोई विधिक भाई ये बताने का कष्ट करे की न्यायपालिका स्वतः से पद सृजन कर सकेगा इन 34000 हज़ार याचियों के लिए ????

न्यायपालिका कभी ऐसा कर ही नहीं सकती है वे कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में सीधे तौर पे अतिक्रमण करे ????

और अगर करना भी चाहेगा तो उसे अपने एक सीमित दायरे के अंदर ही करेगा जिससे विधायिका और न्यायपालिका में टकराव न होने पाये सीधे -सीधे ?

आर्टिकल 142 का प्रयोग तभी न्यायपालिका करेगा जब विधायिका हाथ खड़ा कर देगा रिक्त पदों के वयौरों के मामले में ?? और रिस्पांडेंट् के तरफ इसके लिए पुरज़ोर कोशिस करना पड़ेगा 72825 के पदों को ब्रेक किया जा सके ?

मगर कुछ चयनित प्रशिक्षु नहीं चाहेगें हर हाल में की 72825 से ऊपर मामला जाए अन्य याचियों का भला न होने पाये। और ऐसे कुचक्र में हद से जादा सफल भी हुए हैं।

मैं पूछना चाहता हूँ समस्त याचियों के पैर्विकर्ताओं से अगर ये मान लिया जाए 27 जुलाई को भर्ती क्लोज़ का रिपोर्ट स्टेट लगा दे तो याचियों के हितार्थ के लिए क्या रुख अपनाया जाएगा ????

और अगर कहीं वास्तव में भर्ती 72825 पे क्लोज़ होती है तो उन याचियों के संघर्षों एवं बलिदानो का क्या होगा ???

अपना काम बनता भाड़ में जाए याची जनता । वाह मेरे प्रिय पैरवीकार भाईयों ?
अच्छा सिला दिया तूने याची इम्तिहान का। जिस तरह से अगर 30 नवम्बर की विज्ञप्ति में  72825 अभ्यर्थी सलेक्ट हैं क्या उसी तरह से नए विज्ञापन के 72825 पदों पे 24 फ़रवरी से पहले बने और बाद में बने याचियों का राइट नहीं जेनरेट होता ??????  जबकि शम्भू नरेश जी की एवं शरण की प्रिय लेखी जी की मंशा 72825 में अंतिम शेष 1864 पदों को जल्दी से भर के सहायक अध्यापक का ठप्पा अपने नाम करवा लूँ ???? उसके बाद चाहे मामला डिस्पोज हो या न हो या लिंगर ऑन हो या न हो।

इस सबका जिम्मेदार कौन होगा ? आप या हम या पैरवीकार या स्टेट या न्यायपालिका या ???कोई और ?

दोस्तों /शुभचिंतकों /प्रिय भाईयों ये आप सब को भली भाँती पता है आगामी 27 जुलाई याचियों के लिए DO or DIE का दिन रहेगा। फिर भविष्य में आने वाले भुचालों को महसूस करने के बाद भी आँखों पे अँध भक्ति का काला पट्टा बंधा हो तो अपने आप को दोष मत दीजियेगा ?? बल्की सारा दोष अपने कर्म और भाग्य पे मढियेगा ..!!!

अभी हाल में 16648 पदों को  15K के बीटीसी में जोड़ने के मामला प्रकाश में आया न्यायामूर्ति अमित बी स्थालेकर जी का ?

कल को अगर यही हाल 27 जूलाई की 72825भर्ती के क्लोज़ पे लगा तब क्या करेंगे ??? अपने पैरवीकार भाई याचियों के लिए ???
आज से 4 साल पहले अगर न्यायमूर्ति अरुण टंडन जी का नया विज्ञापन नहीं निकला होता तो आज 145650पदों पे सम्पूर्ण टेट 2.92 लाख अभ्यर्थियों का इन सीटोँ पे दावा होता  ????? कतई नहीं दावा होता सिर्फ 30/11/2011 की लिमिटेड 72825 पदोँ पे ही दवा होता।

ये जान लीजिये नए याचियों को एडहॉक पे नियुक्ति का रिलीफ तभी मिलेगा जब नए विज्ञापन में पहले से अस्तित्व में रह चुके 72825 पदों पे भर्ती कराया जाये। जबकि ये सीट तो ड्रीम प्रोजेक्ट में लग चूका है  ???

अब या तो याचियों के लिए माननीय अपैक्स कोर्ट से इनके ड्रीम प्रोजेक्ट को ध्वस्त कराये ?या फिर नए विज्ञापन के पदों पे 24 फरवरी से पहले बने और बाद के याचियों को इसपे भर्ती शुरू करवाया जाए।

इस पे फैसला ये आप याची भाई लोगों का है क्यूँकि आप ने अपना सर्वोच्च साथ अपने तन मन एवं धन से पैरवीकार भाईयों को दिए हैं।

अंत में सबसे यही कहूँगा याचियों के हितार्थ के लिए श्री Peeyush Pandeyभाई जी के द्वारा अपने मेंडमस में दोनों विज्ञापन के पदों पे भर्ती करने की माँग peeyushकी प्रेयर माननीय उच्चत्तम न्ययालय में फ़ाइल कर चुके हैं।
हम सब को उम्मीद है नए विज्ञापन पे लड़ रहे (याचियों के हितों के लिए) बड़े भाईश्री पीयूष पाण्डेय जी  को सभी याचियों की तरफ से अनेकों शुभ् कामनायें।
 आप 27 जुलाई को याचियों के लिए अपना बेस्ट से बेस्ट देने के लिए  दृढ संकल्पित हैं। इन्हीं विचारों एवं बड़े अग्रजों के मुझ पे आशीर्वादों के साथ ,मैं अपनी लेखनी पे विराम देता हूँ।

मेरा उद्देश्य  किसी को अपमानित करना नहीं था बल्की हकीकत से दो चार करवाना था। अगर किन्हीं शब्दों से ठेस पहुँचा हो तो अपना प्रियअनुज समझ के माँफ करें।

संलग्न स्नैप मेंडमस की प्रति कॉपी है जिसमे  RTE एक्ट 09 और 21 A के हवाले से राज्य सरकार दोनों विगयापन के पदों को भरने में आना कानी कर रहे हैं उस सन्दर्भ में टैग मेंडमस का स्नैप् शॉट है।

#जय_बजरँगबली

धन्यवाद।

The present writ petition is being filed by the petitioner ,
under article
32 of the constitution of India to protect the
fundamental Right to the
children under the age of 6-14 years, the state of UP
has issued a
notification dated 30.11.2011 for the post of only
72,825 trainee
teachers, deliberately in the violation of the provisions of
service rule
1981 and Section 25(1) RTE Act 2009 and the state
issued another fresh
notification dated 07.12.2012 which was otherwise
unobjectionable but it
was challenged by some petitioners therefore the
recruitment of about only
72,000 petitioners was suspended by the respondent
state , because the
state does not want to provide quality education to the
student in the age
of 6 to 14 years even more than 2.5 lacs competent
teachers are available
in the state.
It is also worth mentioning here that in both the
vacancies the required
eligibility of the candidates are same as per the
guideline of the legal
provisions, and the applicants who filed the application
forms for both
vacancies are also almost common but the respondent
state deliberately
issued the vacancy in the contravention of the essential
regulatory laws
because the state is not serious in the compliance of
Article 21-A & RTE
Act 2009 and deliberately keep on in violation of
fundamental Right of
children of the state.

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