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कैबिनेट का फैसला: शिक्षामित्रों को 10000 रुपये मानदेय साथ में और भी बहुत कुछ

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश के 165157 शिक्षामित्रों को 3500 रुपये से बढ़ाकर दस हजार रुपये मानदेय देने का फैसला किया है।
इनमें 1.37 लाख वह शिक्षामित्र भी हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षक पद से हटा दिया गया था। कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने शिक्षामित्रों से हुई कई चक्र की वार्ता में यह भरोसा दिया था।लोकभवन में योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में संपन्न कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है।
फैसले के बाद शिक्षक पद पर समायोजित किए गए 1.37 लाख शिक्षामित्र पहली अगस्त, 2017 से मूल पद पर वापस हो जाएंगे। सरकार की शिक्षामित्रों के साथ पूरी सहानुभूति है। शिक्षामित्रों को 11 माह मानदेय मिलेगा। उल्लेखनीय है कि अखिलेश सरकार ने वर्ष 2014 में स्नातक उत्तीर्ण और दूरस्थ शिक्षा विधि से दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण पूरा करने वाले शिक्षामित्रों को अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से छूट देते हुए प्राथमिक शिक्षकों के पदों पर समायोजित करने का फैसला किया था। शिक्षामित्रों को शिक्षकों के पद पर समायोजित के लिए 19 जून, 2014 को शासनादेश जारी किया गया था।
प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में तैनात 1.37 लाख शिक्षामित्रों का समायोजन हो चुका था जब हाईकोर्ट ने सरकार के इस फैसले को गलत ठहराते हुए समायोजन को रद कर दिया था। बीती 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए उनके समायोजन को रद करने का निर्णय सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में अब राज्य सरकार समायोजित किये गए शिक्षामित्रों को उनके मूल पद पर वापस करने के लिए नियमावली में संशोधन किया गया है। इस मौके पर बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार अनुपमा जायसवाल भी मौजूद थी।
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