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शिक्षामित्रों की भर्ती को सरकार ने कमर कसी, चयन के नए मानदंड निर्धारित

लखनऊ (जेएनएन)। परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापक से शिक्षामित्रों के मूल पद पर लौटाए गए एक लाख 37 हजार शिक्षकों के रिक्त पदों पर सरकार ने भर्ती के लिए कमर कस ली है।
इसके लिए अध्यापक सेवा नियमावली में परिवर्तन किया गया है। अब बेसिक शिक्षा परिषद में भी सहायक अध्यापकों की भर्ती लिखित परीक्षा से होगी।

मंगलवार को कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। इस फैसले के तहत शिक्षामित्रों को प्रतिवर्ष के अनुभव पर ढाई अंक का वेटेज मिलेगा। अभी हाल ही में सरकार ने राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में भी शिक्षकों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा का प्रावधान किया था।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में संपन्न कैबिनेट की बैठक में सात प्रस्ताव मंजूर किए गए। इसमें सबसे अहम फैसला लिखित परीक्षा से बेसिक शिक्षकों की भर्ती है। फैसलों की जानकारी सरकार के प्रवक्ता व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा व स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने दी। शर्मा ने बताया कि कैबिनेट ने अध्यापक सेवा नियमावली में बदलाव किया है। शिक्षक चयन के लिए नए मानदंड बनाये गए हैं।

भर्ती के लिए अब लिखित परीक्षा 60 नंबर की होगी। 40 नंबर अंक पत्रों की मेरिट के आधार पर मिलेंगे। लिखित परीक्षा में उन्हीं अभ्यर्थियों को बैठने का मौका मिलेगा जो उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण किए होंगे। लिखित परीक्षा के लिए न्यूनतम उत्तीर्ण अंक (क्वालिफाइंग मार्क्स) निदेशक, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा राज्य सरकार के अनुमोदन से जारी किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का होगा अनुपालन
बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल ने बताया कि इस भर्ती में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया जाएगा। परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों द्वारा यदि टीईटी पास कर ली जाती है तो आगामी दो क्रमिक भर्तियों में सहायक अध्यापकों के रिक्त पदों पर सीधी भर्ती के जरिये नियुक्ति के लिए अवसर मिलेगा। शिक्षामित्रों को निर्धारित आयु सीमा में छूट मिलेगी और शिक्षण अनुभव का वेटेज भी मिलेगा। शिक्षा मित्रों को प्रति वर्ष के अनुभव के आधार पर ढाई अंक और अधिकतम 25 अंक दिए जाएंगे। अनुपमा ने कहा कि मुख्यमंत्री प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर गंभीर हैं।

मूल पद पर वापस किए गये 1.37 लाख सहायक अध्यापक 
राज्य सरकार द्वारा शिक्षामित्र योजना परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में निर्धारित मानक अनुसार अध्यापक-छात्र अनुपात बनाये रखने के उद्देश्य से वर्ष 1999 में प्रारंभ की गई थी। करीब एक लाख 76 हजार शिक्षामित्रों के सृजित पदों के सापेक्ष एक लाख 70 हजार शिक्षामित्रों में से एक लाख 53 हजार 400 शिक्षामित्र वर्ष 2001-02 से 2010 तक सर्व शिक्षा अभियान, भारत सरकार के अन्तर्गत वित्त पोषित थे।

इन शिक्षामित्रों के मानदेय पर आने वाले व्यय का 65 प्रतिशत अंश भारत सरकार और 35 फीसद राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता था। शेष 16600 शिक्षामित्रों को राज्य सरकार की योजना में वर्ष 2010 तक संविदा पर नियुक्त किया गया था। इनके मानदेय पर आने वाला व्यय पूर्णत: राज्य सरकार के बजट से वहन किया जाता रहा है। इनमें एक लाख 37 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद पर किया गया था जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने मूल पद पर वापस कर दिया था।
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