साख पर सवाल , शुचिता के निर्णयों पर शासन का यूटर्न : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

इलाहाबाद , भर्ती आयोग और चयन बोर्ड की परीक्षाओं की शुचिता पर लगातार अंगुली उठने के बावजूद शासन सख्त निर्णय लेने के बजाए अहम आदेशों से यूटर्न ले रहा है। प्रतियोगी परीक्षा कराने के लिए सुधार संबंधित जारी किए गए शासनादेश लागू करने से पहले ही निरस्त किए जा रहे हैं।
ऐसे में भर्ती एजेंसियों की साख के साथ सरकार के निर्णयों पर भी सवाल उठने लगे हैं। मामला सीधे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के उच्चशिक्षा विभाग से जुड़ा है। इससे प्रतियोगी छात्र सीधे मुख्यमंत्री की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

चार फरवरी को उच्च शिक्षा विभाग की ओर से असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा शुचिता पूर्ण ढंग संपन्न कराने के लिए शासनादेश जारी किया गया था। शासनादेश में आयोग को परीक्षा में अनियमितता रोकने के लिए तमाम निर्देश दिए गए थे। इसमें कहा गया था कि परीक्षा के सफल संचालन के लिए प्रश्न पत्रों, ओएमआर शीट और उत्तर पुस्तिकाओं को जिलाधिकारी द्वारा नामित अधिकारी या नोडल अधिकारी की देखरेख में कोषागार (डबल लॉक) में रखा जाएगा। इसी तरह परीक्षा के बाद ओएमआर शीट उत्तर पुस्तिकाओं को जांचने के लिए नामित एजेंसी को दिए जाने से पहले उसकी स्कैनिंग जिलाधिकारी द्वारा नामित मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में कराई जाएगी। स्कैंड ओएमआर शीट की प्रति अनिवार्य रूप से डबल लॉक में अग्रिम आदेशों तक सुरक्षित रखी जाएगी। लेकिन, शासन ने दोनों अहम बिंदुओं को लेकर जारी आदेश निरस्त कर दिए हैं। महत्वपूर्ण यह है कि आयोग को छूट दे दी गई है कि वह अपने पूर्व अधिनियम और विनियमावली के प्रावधानों के तहत परीक्षा कराने के लिए स्वतंत्र है।
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