लखनऊ। ‘सरकारी स्कूलों में नियुक्ति पाने के बाद तनख्वाह फिक्स हो जाती
है, इसलिए शिक्षक भी निश्चिंत हो जाते हैं। यहीं से वे भटकने लगते हैं और
सरकारी स्कूलों का स्तर गिरने लगता है। यही वजह है कि लोग प्राइवेट स्कूलों
में बच्चों को पढ़ाना पसंद कर रहे हैं।’ महिला समाख्या कार्यक्रम के तहत
शिक्षकों को प्रदेश के कैबिनेट मत्री शाहिद मंजूर ने कुछ इन शब्दों में सजग
किया।
उन्हाेंने कहा कि नए खुल रहे 24 आवासीय स्कूलों को ये शिक्षक अगर किसी मॉडल के रूप में तैयार करें तो भविष्य में सरकार ऐसे और स्कूल खोलते हुए प्रदेश में सरकारी स्कूली शिक्षा के मॉडल में भी बड़ा बदलाव कर सकती है। इन तदर्थ आधार पर नियुक्त शिक्षकों के लिए राजधानी में शनिवार को आयोजित प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम के दौरान मंजूर ने ये बातें कहीं।
कार्यक्रम में डिप्टी लेबर कमिश्नर डीजे सिंह भी मौजूद थे। ये प्रमाण पत्र लखनऊ में 23 जुलाई से आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने पर दिए गए हैं। कार्यक्रम में मेंटर शिक्षक डॉ. अवनीश, डॉ. शीला, अनिल चौबे, रघुनाथ पांडेय, रश्मि सिन्हा भी मौजूद रहे, जिन्होंने इन शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया है। वहीं कानपुर से आईं जया, फिरोजाबाद की मीनू सिंह, ललितपुर की अवंतिका, इटावा की श्वेता और जौनपुर के विष्णु वर्मा ने अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम का संचालन डॉली ने किया।
इन 12 जिलों में खुलेंगे स्कूल
आवासीय स्कूलों में सुरक्षित रहेंगी बेटियां
डॉ. स्मृति सिंह ने बताया कि शुरुआती स्तर पर बच्चों के नामांकन में कोई दिक्कत नहीं आई है, हालांकि लड़कियों को इन आवासीय स्कूलों में भेजने को लेकर श्रमिक अभिभावक चिंतित थे। लेकिन उन्हें समझाया गया कि उनके घरों और मोहल्लों से ज्यादा सुरक्षित माहौल उनकी बेटियों को इन आवासीय विद्यालयों में मिलेगा।
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उन्हाेंने कहा कि नए खुल रहे 24 आवासीय स्कूलों को ये शिक्षक अगर किसी मॉडल के रूप में तैयार करें तो भविष्य में सरकार ऐसे और स्कूल खोलते हुए प्रदेश में सरकारी स्कूली शिक्षा के मॉडल में भी बड़ा बदलाव कर सकती है। इन तदर्थ आधार पर नियुक्त शिक्षकों के लिए राजधानी में शनिवार को आयोजित प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम के दौरान मंजूर ने ये बातें कहीं।
कार्यक्रम में डिप्टी लेबर कमिश्नर डीजे सिंह भी मौजूद थे। ये प्रमाण पत्र लखनऊ में 23 जुलाई से आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने पर दिए गए हैं। कार्यक्रम में मेंटर शिक्षक डॉ. अवनीश, डॉ. शीला, अनिल चौबे, रघुनाथ पांडेय, रश्मि सिन्हा भी मौजूद रहे, जिन्होंने इन शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया है। वहीं कानपुर से आईं जया, फिरोजाबाद की मीनू सिंह, ललितपुर की अवंतिका, इटावा की श्वेता और जौनपुर के विष्णु वर्मा ने अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम का संचालन डॉली ने किया।
इन 12 जिलों में खुलेंगे स्कूल
आवासीय स्कूलों में सुरक्षित रहेंगी बेटियां
डॉ. स्मृति सिंह ने बताया कि शुरुआती स्तर पर बच्चों के नामांकन में कोई दिक्कत नहीं आई है, हालांकि लड़कियों को इन आवासीय स्कूलों में भेजने को लेकर श्रमिक अभिभावक चिंतित थे। लेकिन उन्हें समझाया गया कि उनके घरों और मोहल्लों से ज्यादा सुरक्षित माहौल उनकी बेटियों को इन आवासीय विद्यालयों में मिलेगा।
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