गलत एक्सपीरियेंस सर्टिफिकेट का मामला
पटना : बिहार में सीबीएसइ बोर्ड के स्कूलों में 10 हजार शिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने फर्जी एक्सपीरियेंस सर्टिफकेट लेकर पहले बीएड किया और अब स्कूलों में पढ़ा रहे हैं. इसका खुलासा सीबीएसइ के विजिलेंस डिपार्टमेंट ने किया है. डिपार्टमेंट द्वारा की गयी जांच में कई स्कूलों के प्रिंसिपल के नाम सामने आये हैं, जो मोटी रकम लेकर फर्जी एक्सपीरियेंस सर्टिफिकेट बेचते थे.
प्रिंसिपल पर कार्रवाई का निर्देश
सीबीएसइ के विजिलेंस डिपार्टमेंट ने इसमें कई
प्रिंसिपल को पकड़ा है और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. इनमें सबसे पहला नाम डीएवी, खबड़ा, मुजफ्फरपुर के सहायक क्षेत्रीय निदेशक सह प्राचार्य एसके झा का है.
विजिलेंस डिपार्टमेंट की ओर से डीएवी प्रबंधन, दिल्ली को प्राचार्य एसके झा पर कार्रवाई करने के लिए नोटिस (लेटर नंबर सीबीएसइ/विजिलेंस/एफ 13522 (42)/2015) भेजा गया है. प्राचार्य एसके झा पर आरोप है कि उन्होंने बड़ी संख्या में फर्जी एक्सपीरियेंस सर्टिफिकेट दिये हैं.
2006 से चल रहा गोरख धंधा
इग्नू हो या अन्य संस्थान, कहीं से भी बीएड करने के लिए अभ्यर्थी को दो या तीन सालों का टीचर्स एक्सपीरियेंस सर्टिफिकेट देना होता है. राज्य में स्कूलों से फर्जी एक्सपीरियेंस सर्टिफिकेट देने का धंधा 2006 से बड़े पैमाने पर चल रहा है. इसमें बिहार के कई प्राइवेट स्कूलों के तार जुड़े हुए हैं.
फर्जी एक्सपीरियेंस सर्टिफिकेट के आधार पर बीएड करने के बाद स्कूल में टीचर के रूप में कार्यरत भी हैं. विजिलेंस डिपार्टमेंट ने सीमा कुमारी नामक शिक्षिका का उदाहरण भी डीएवी प्रबंधन को दिया है, जो डीएवी, खगाैल में कार्यरत हैं. सीमा कुमारी ने फर्जी एक्सपीरियेंस सर्टिफिकेट लेकर मगध विवि से बीएड की डिग्री ली थी.
डीएवी पब्लिक स्कूल एसोसिएशन के निखिल कुमार ने बताया कि डीएवी में फर्जी एक्सपीरियेंस सर्टिफिकेट देने मामला सामने आया है. डीएवी में कई सालों से यह चल रहा है. मैंने इस मामले को कई बार उठाया, तो मेरे ऊपर भी प्रेशर दिलवाया गया.
सहायक क्षेत्रीय निदेशक सह प्रार्चाय डीएवी के एसके झा ने बताया कि फर्जी सर्टिफिकेट का मामला सामने आया है. हमें भी इसकी जानकारी मिली है.
लेकिन, सीबीएसइ के विजिलेंस विभाग की ओर से कार्रवाई करने के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है. इस संबंध में डीएवी प्रबंधन संस्थान की डायरेक्टर निशा पेसिन से बात करने की कोशिश की गयी. उन्हें वाट्सअप नंबर पर मैसेज भी डाला गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
पकड़ में आने पर रद्द हो गया था नामांकन
इग्नू से बीएड करने के लिए जितेंद्र कुमार और शंकर झा ने फर्जी एक्सपीरियेंस सर्टिफिकेट देकर नामांकन लेना चाहा.
इन दोनों ने लिखित परीक्षा भी पास कर ली थी. बाद में पकड़ में आ जाने के कारण इन दोनों के नामांकन को इग्नू ने रद्द कर दिया गया था. इस संबंध में डीएवी प्रबंधन संस्थान की डायरेक्टर नीशा पसिन से बात करने की कोशिश की गयी. उन्हें वाट्सअप नंबर पर मैसेज भी डाला गया, लेकिन उन्होंने कोई जबाव नहीं दिया.
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