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कृषि सहकारी समितियों में सचिवों की सीधी भर्ती का रास्ता साफ

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप्र कृषि सहकारी समितियों के सचिव की सीधी भर्ती के खिलाफ दाखिल याचिकाएं खारिज कर दी हैं। साथ ही 14वें व 16वें संशोधन नियमावली को वैध करार दिया है। कोर्ट ने कहा है कि संशोधन कानून से समितियों में कार्यरत सचिवों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता।
नियमावली के तहत भर्ती में कार्यरत सचिवों व स्टाफ को शामिल होने की छूट दी गई है। यहां तक कि सोसाइटी के स्टाफ व अधिकारियों के बीच ही सीधी भर्ती की जा रही है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने राजेंद्र प्रसाद पांडेय व 26 अन्य सहित कई अन्य याचिकाओं पर दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एनआर मिश्र ने बहस की। इनका कहना था कि संशोधन नियमावली से समिति की स्वायत्तता में हस्तक्षेप किया जा रहा है। साथ ही कार्यरत सचिवों के नियुक्ति पाने के अधिकार का हनन हो रहा है। 1राज्य सरकार का कहना था कि केंद्रीयकृत व्यवस्था के तहत राज्य सरकार ने समिति के सचिव पद पर 50 फीसद सीधी भर्ती का फैसला लिया। नियम संशोधित कर जिले स्तर पर क्षेत्रीय समिति को भर्ती का जिम्मा दिया है जिसने भर्ती विज्ञापन निकाला जिसे कार्यरत सचिवों ने चुनौती दी। कोर्ट ने कहा कि सरकार कार्यरत सचिवों व स्टाफ के बीच से ही सीधी भर्ती करने जा रही है। ऐसे में याचियों के चयन में शामिल होने के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता। याचिका बलहीन होने के कारण कोर्ट ने खारिज कर दी है।

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