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ये है तस्वीर : सूबे को 1.60 लाख शिक्षकों की दरकार, सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 1.60 लाख पद खाली

कानपुर : प्रदेश की योगी सरकार ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के जो लक्ष्य तय किए हैं उसकी राह में सबसे बड़ा स्पीड ब्रेकर शिक्षकों की कमी का है। वर्तमान में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 1.60 लाख पद खाली हैं।
सरकार ने शैक्षिक सत्र में कम से कम 220 दिन पढ़ाई कराने के लिए शिक्षकों की बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज कराने, पढ़ाई के स्तर का मूल्यांकन कराने व कई छुंिट्टयां रद करने जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यह फैसले शिक्षा के स्तर को उठाने के लिए तो बेहतर हैं लेकिन यदि सूबे के हजारों स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हों, जूनियर स्कूलों में प्रधानाध्यापक न हों, गणित व विज्ञान जैसे विषयों के शिक्षक न हों तो वहां शिक्षा का बेहतर माहौल बनने पर संशय होना स्वाभाविक है। सर्व शिक्षा अभियान प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2016 तक कक्षा 8 तक के प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 1,74,726 पद रिक्त थे। इसके बाद 15 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती हुई तो भी 1.60 लाख पद खाली हैं। हालांकि इसके बाद बड़ी संख्या में शिक्षक सेवानिवृत्त भी हो गए

ये है तस्वीर

शिक्षकों के स्वीकृत पद : 7,59,958

कार्यरत शिक्षक : 5,85,232

शिक्षकों के खाली पद : 1,74,726

शिक्षकों की भर्ती हुई : 15,000

कुल खाली पद : 1,59,726

इनमें प्राथमिक के खाली पद : 1,53,307

इनमें प्रधानाध्यापकों के खाली : 1016

केंद्रीय विद्यालयों में भी संकट

केंद्र से संचालित केंद्रीय व नवोदय विद्यालयों में भी शिक्षकों की कमी है। रिपोर्ट बताती है कि 200 केंद्रीय व 125 नवोदय विद्यालयों में प्रधानाचार्य नहीं हैं। केंद्रीय विद्यालय में 10 हजार व नवोदय में 2023 शिक्षक कम हैं। 1734 नान टीचिंग स्टाफ कम है। केंद्रीय विद्यालयों में 113 उप प्रधानाचार्यो के पद खाली हैं
शिक्षा की गुणवत्ता सुधार को उठाए जा रहे कदम अच्छे हैं परंतु शिक्षकों की कमी के चलते सुधार के अपेक्षित परिणाम मिल पाना संभव न होगा। प्राथमिकता के आधार पर शिक्षकों की नियुक्तियां की जानी चाहिए।

- कृष्ण मोहन त्रिपाठी, पूर्व निदेशक बेसिक माध्यमिक शिक्षा परिषद
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