औरैया. जनपद के एरवाकटरा विकास खंड के अंतर्गत पड़ने
वाली ग्राम पंचायत दोवामाफी के प्राथमिक विद्यालय की हालत देखे तो आपको
सिर्फ कूड़ो का ढेर एवं टूटी फूटी बिल्डिंग ही दिखाई देगी। शिक्षा के नाम
पर सरकार को प्रतिवर्ष के हिसाब से अध्यापक, शिक्षामित्र एवं आंगनबाड़ी
कार्यकत्री लाखों का चूना लगा रहे हैं।
मौके पर मौजूद प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक सुनील कुमार ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षामित्र राजकुमार कभी भी स्कूल में पढ़ाने नहीं आता है, जिसकी शिकायत कई बार लिखित तथा मौखिक रूप से एस डी ओ एवं बी आर सी पर की मगर अधिकारियों की कान पर जू तक नही रेंगा ओर न ही कभी शिक्षामित्र के खिलाफ कोई भी कार्यवाही की। यहाँ तक कि अध्यापक द्वारा सम्बंधित अधिकारियों पर रिश्वत लेने तक का आरोप लगाया गया।
तो वहीं मौके पर मौजूद प्रधानाचार्य राजीव कुमार ने बताया कि शिक्षामित्र राजकुमार के ना आने के कारण बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तथा स्कूल में पंजीकृत लगभग नब्बे बच्चों को एक अध्यापक कहाँ तक देखे जबकि मुझे तो विद्यालय संबंधी बहुत ही कार्य होते हैं, जिससे कही बी आर सी भी जाना पड़ता है, लेकिन कई प्रयास करने के बाबजूद कभी भी शिक्षामित्र स्कूल नहीं आता है।
एक माह में सिर्फ चार दिन खुलता है आंगनबाड़ी केंद्र-
जनपद के एरवाकटरा विकास खंड के अंतर्गत पड़ने वाले ग्राम दोवामाफी का आंगनबाड़ी केंद्र में लगभग सत्तर बच्चे पंजीकृत होने के बावजूद भी मात्र एक माह में चार दिन खुलता है। एक तरफ जहाँ शासन द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को बच्चों के लिए पंजीरी, बिस्कुट तथा खाना तक कि व्यववस्था करती है, तो वहीं सरकार की तरफ से नियुक्त आंगनबाड़ी कार्यकत्री मौज काट रही हैं। सवाल ये उठता है कि आखिर ग्राम प्रधान इस ओर बिल्कुल ध्यान क्यों नहीं दे रहा है जबकि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को खाने का पैसा ग्राम प्रधान के हस्ताक्षर के बिना नहीं निकलता है। साढ़े ग्यारह के करीब पहुंची सहायिका विमलेश कुमारी से पूछने पर ये भी नहीं बताया गया कि आंगनबाड़ी केंद्र पर कितने बच्चे पंजीकृत हैं तथा खाना के बारे में पूछने पर बताया कि खाने का पैसा तो ऊपर से ही नहीं आता।
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मौके पर मौजूद प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक सुनील कुमार ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षामित्र राजकुमार कभी भी स्कूल में पढ़ाने नहीं आता है, जिसकी शिकायत कई बार लिखित तथा मौखिक रूप से एस डी ओ एवं बी आर सी पर की मगर अधिकारियों की कान पर जू तक नही रेंगा ओर न ही कभी शिक्षामित्र के खिलाफ कोई भी कार्यवाही की। यहाँ तक कि अध्यापक द्वारा सम्बंधित अधिकारियों पर रिश्वत लेने तक का आरोप लगाया गया।
तो वहीं मौके पर मौजूद प्रधानाचार्य राजीव कुमार ने बताया कि शिक्षामित्र राजकुमार के ना आने के कारण बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तथा स्कूल में पंजीकृत लगभग नब्बे बच्चों को एक अध्यापक कहाँ तक देखे जबकि मुझे तो विद्यालय संबंधी बहुत ही कार्य होते हैं, जिससे कही बी आर सी भी जाना पड़ता है, लेकिन कई प्रयास करने के बाबजूद कभी भी शिक्षामित्र स्कूल नहीं आता है।
एक माह में सिर्फ चार दिन खुलता है आंगनबाड़ी केंद्र-
जनपद के एरवाकटरा विकास खंड के अंतर्गत पड़ने वाले ग्राम दोवामाफी का आंगनबाड़ी केंद्र में लगभग सत्तर बच्चे पंजीकृत होने के बावजूद भी मात्र एक माह में चार दिन खुलता है। एक तरफ जहाँ शासन द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को बच्चों के लिए पंजीरी, बिस्कुट तथा खाना तक कि व्यववस्था करती है, तो वहीं सरकार की तरफ से नियुक्त आंगनबाड़ी कार्यकत्री मौज काट रही हैं। सवाल ये उठता है कि आखिर ग्राम प्रधान इस ओर बिल्कुल ध्यान क्यों नहीं दे रहा है जबकि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को खाने का पैसा ग्राम प्रधान के हस्ताक्षर के बिना नहीं निकलता है। साढ़े ग्यारह के करीब पहुंची सहायिका विमलेश कुमारी से पूछने पर ये भी नहीं बताया गया कि आंगनबाड़ी केंद्र पर कितने बच्चे पंजीकृत हैं तथा खाना के बारे में पूछने पर बताया कि खाने का पैसा तो ऊपर से ही नहीं आता।
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