डीएलएड (पूर्व में बीटीसी) 2017 में खाली रह गयीं 19 हजार सीटें: अभ्यर्थियों ने प्रवेश को दो हजार जमा करने के बाद भी किया किनारा

इलाहाबाद : डीएलएड (पूर्व बीटीसी) 2017 में करीब 19 हजार सीटें खाली रह गई हैं। तमाम अभ्यर्थियों ने मनचाहे कालेजों का विकल्प भरा और प्रवेश के लिए तय शुल्क भी जमा किया लेकिन, ऐन मौके पर प्रवेश नहीं लिया है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय पूरा ब्योरा एनआइसी से जुटा रहा है और मंथन करने के बाद शासन को रिपोर्ट भेजेगा, उसके बाद प्रवेश की तस्वीर साफ होगी। 1डीएलएड में प्रवेश के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने इस बार ऑनलाइन काउंसिलिंग कराई थी। इसकी वजह यह थी कि तमाम कालेजों में सीटें खाली रह जाती थी और कालेज संचालक इसका जिम्मा जिला शिक्षा व प्रशिक्षण केंद्रों पर डाल रहे थे। यही नहीं सत्र को नियमित करने के लिए 2016 सत्र को शून्य करने का भी निर्णय लिया गया। यह दोनों दांव भी डीएलएड की सभी सीटें भरने में सही साबित नहीं हो पाए हैं, बल्कि बड़ी संख्या में सीटें रिक्त रह गई हैं। परीक्षा नियामक कार्यालय ने तीसरे चरण का प्रवेश पूरा होने के समय दावा किया था कि कुल दो लाख 900 सीटों में से एक लाख 97 हजार 620 सीटें भर गई हैं, सिर्फ 4380 सीटें खाली रह गई हैं। यह सीटें प्रदेश के 186 कालेजों की रही हैं। जिनमें आजमगढ़, बागपत, गाजीपुर, मेरठ, मुजफ्फर नगर, सहारनपुर, शामली आदि जिले शामिल थे। 1असल में, उस समय परीक्षा नियामक कार्यालय ने अभ्यर्थियों को जो कालेज आवंटन किया था, उसे भी प्रवेश मान लिया गया, लेकिन बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने प्रवेश में रुचि ही नहीं दिखाई। तमाम अभ्यर्थी ऐसे हैं जिन्होंने दो हजार रुपए टोकन मनी जमा करने के बाद भी प्रवेश नहीं लिया। यही नहीं परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने तीसरा चरण पूरा होने के बाद सभी अभ्यर्थियों को एक मौका और यह कहते दिया कि जिन्होंने दो हजार रुपये जमा करके प्रवेश नहीं लिया है वह भी उन कालेजों में प्रवेश ले सकते हैं, जहां के लिए दावेदारी की हो, बशर्ते वहां सीटें रिक्त हों। तीसरा चरण पूरा होने के बाद एनआइसी से परीक्षा नियामक कार्यालय को बताया गया कि करीब 19 हजार सीटें खाली हैं। अब खाली सीटों का विस्तृत ब्योरा जुटाया जा रहा है कि आखिर कितने ऐसे कालेज हैं, जहां एक भी प्रवेश नहीं हुआ है। या फिर किन कालेजों में सारी सीटें नहीं भरी हैं। यह रिपोर्ट जल्द ही शासन को भेजी जाएगी और उसके बाद जो निर्देश होगा उसका पालन किया जाएगा।

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