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आयोग के गोपनीय कक्षों में मोबाइल का उपयोग: गोपनीय, अतिगोपनीय, परीक्षा विभाग में उपयोग पर प्रतिबंध हटा

इलाहाबाद: उप्र लोकसेवा आयोग की भर्तियों की उच्च स्तरीय जांच की नौबत इसलिए आई, क्योंकि चयन में नियमों को तोड़ा गया। ऐसा भी नहीं है कि आयोग की खामियां दुरुस्त करने के प्रयास नहीं हुए लेकिन, बदली व्यवस्था कुछ दिनों तक कायम रह पाई। आयोग का अगुवा बदलते ही पुरानी प्रक्रिया बहाल हुई।
यही वजह है कि आयोग के गोपनीय कक्षों में कार्य करने वाले फिर से मोबाइल का उपयोग कर रहे हैं। पहले इस पर सख्ती से रोक लग चुकी है। 1प्रदेश सरकार आयोग की ओर से सपा शासनकाल में हुई पांच वर्ष की भर्तियों की जांच करा रही है। पिछले माह यहां सीबीआइ को रिकॉर्ड देने के नाम पर कर्मचारी, अधिकारी व बड़ों ने विरोध किया। कुछ को तो सीबीआइ ने फटकार लगाई और आयोग अध्यक्ष ने सदस्यों की बैठक बुलाकर चर्चा की। इसके ठीक उलट आयोग के गोपनीय, अति गोपनीय व परीक्षा कक्ष में अफसर व कर्मचारी मोबाइल का धड़ल्ले का प्रयोग कर रहे हैं, जबकि इस छूट से गोपनीयता भंग होने के पूरे आसार हैं। उस पर अंकुश लगाने की जगह पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी गई है। पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के समय आयोग परिसर में संभ्रांत व अन्य लोगों को प्रवेश आसानी से नहीं मिलता था लेकिन, गोपनीय कक्षों में अधिकारी व कर्मचारी मोबाइल का प्रयोग करते रहे हैं।1नवंबर 2015 में डॉ. सुनील कुमार जैन ने कार्यभार ग्रहण करने के बाद पूर्व अध्यक्ष की इस व्यवस्था को पलट दिया। उन्होंने आदेश दिया कि कोई भी अधिकारी व कर्मचारी मोबाइल लेकर गोपनीय कक्ष में प्रवेश नहीं करेगा, बल्कि प्रवेश के पहले वह मोबाइल बाहर रखेगा। यदि परिवारीजन से भी बात करना है तो कार्यालय के दूरभाष नंबर का प्रयोग करें। पांच महीने तक इस पर अमल हुआ लेकिन, बाद में डॉ. जैन का आदेश बदलकर पुरानी स्थिति बहाल हो गई।

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