लखनऊ. उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों का मुद्दा
केंद्र और राज्य सरकार के लिए गले की हड्डी बना हुआ है। चाहे उत्तर प्रदेश
की पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार हो या बीजेपी की मौजूदा योगी आदित्यनाथ
सरकार, दोनों के सामने शिक्षामित्रों का मुद्दा बड़ी मुसीबत बना।
लेकिन इस
बार तो शिक्षामित्रों के मुद्दे पर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
सार्वजनिक मंच पर भिड़ गए। हालांकि ये दोनों नेता वहां एक साथ मौजूद नहीं
थे, लेकिन दोनों का मुद्दा एक ही था। दोनों नेताओं ने शिक्षामित्रों के
मुद्दे पर एक दूसरे को कटघरे में खड़ा किया।
सरकार नहीं कर रही कोई मदद
दरअसल शिक्षामित्र लगातार ये आरोप लगाते रहे हैं कि कोई भी राजनीतिक दल उनके मुद्दे पर गंभीर नहीं है। सरकार के ध्यान
न देने की वजह से ही आज हमारा और हमारे परिवार का भविष्य अंधकार में है।
शिक्षामित्र लगातार मांग कर रहे हैं कि उनके मुद्दे पर योगी सरकार कोई
गंभीर कदम उठाए। शिक्षामित्रों की मांग है कि राज्य और केंद्र सरकार कानून
बनाकर उन्हें दोबारा सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करे। शिक्षामित्रों
के नेताओं ने कई बार अपनी मांगों को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात
भी की। लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी मांगों पर यूपी सरकार कोई कदम
नहीं उठा रही है। शिक्षामित्र अपनी हालत के लिए यूपी की पूर्ववर्ती अखिलेश
यादव की सरकार को भी आंड़े हाथों लेते रहते हैं। शिक्षामित्रों का कहना है
कि अगर समय रहते सपा सरकार हमारे लिए कोई उचित कदम उठा लेती तो आज हम लोगों
की ये हालत न हुई होती।
शिक्षामित्रों के मुद्दे पर भिड़े
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सहायक अध्यापक पद से समायोजन निरस्त किए जाने के
बाद से ही उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्र आंदोलन कर रहे हैं। आपको बता दें कि
शिक्षामित्र लगातार योगी सरकार से कानून बनाकर उन्हें समायोजित करने की
मांग कर रहे हैं। लेकिन शायद ये पहली बार हुआ हो जब किसी सार्वजनिक मंच से
योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के बीच इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर
चला हो। दरअसल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुए एक कार्यक्रम में
सीएम योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अलग-अलग शिरकत
की। दोनों आए तो अलग-अलग थे लेकिन शिक्षामित्रों के मुद्दे पर
आरोप-प्रत्यारोप का दौर एक समान था। कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ और
अखिलेश यादव ने शिक्षामित्रों की मौजूदा हालत के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार
बताया।
शिक्षामित्रों का कौन करेगा भला
शिक्षामित्रों की परेशानी के लिए सपा-बसपा को जिम्मेदार बताते हुए सीएम
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछली सरकारों के काले कारनामों के चलते
शिक्षामित्र आज ये सजा भुगतने को मजबूर हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि
प्रदेश की पिछली समाजवादी पार्टी सरकार ने गलत तरीके का इस्तेमाल करके
उनको समायोजित कर दिया। सीएम योगी ने कहा कि हमारी सरकार ने शिक्षामित्रों
की पूरी मदद की और उनका मानदेय भी 3550 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर
दिया है। वहीं कुछ देर बाद ही जब उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश
यादव ने उसी कार्यक्रम में कहा कि उत्तर प्रदेश में जब पहले बीजेपी की
सरकार थी तभी शिक्षामित्रों की भर्ती की गई थी। बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र
में शिक्षामित्रों को समायोजित करने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं
किया। बीजेपी की गलत नीतियों के चलते शिक्षामित्रों की नौकरी चली गई और कई
शिक्षामित्रों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। अखिलेश यादव ने कहा कि अब तो
केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर बीजेपी की सरकारें हैं। अब तो उन्हें
शिक्षामित्रों के मुद्दे को सुलझा लेना चाहिए।
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