लखनऊ. सरकार से बातचीत विफल होने के बाद शिक्षा
मित्रों ने अपनी मांगों को लेकर राजधानी लखनऊ में आंदोलन शुरू कर दिया है।
प्रदेश भर के सैंकड़ों शिक्षामित्र राजधानी के ईको गार्डन पहुंच चुके हैं.
इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
शिक्षामित्रों का कहना है कि सीएम
योगी से मुलाकात के बाद एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन भी हुआ लेकिन उसका
निर्णय आज तक नहीं आया। इसी कारण वे आंदोलन कर रहे हैं।
समान कार्य समान वेतन की मांग
शिक्षामित्रों का कहना है कि वे अब न रुकने वाले। अब ये आंदोलन
देशव्यापी आंदोलन होगा। शिक्षामित्र बहाली न होने तक समान कार्य, समान वेतन
की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि मध्य प्रदेश
में सरकार ने 2.35 लाख संविदा शिक्षकों का समायोजन करने का फैसला किया है।
1.85 लाख संविदा कर्मचारियों को 62 साल की उम्र तक सेवा देने के साथ अन्य
विभाग की तरह सभी लाभ देने का भी फैसला हुआ है।
पहले भी किया है आंदोलन
बता दें कि शिक्षामित्रों ने मार्च में भी चार दिन तक लखनऊ में प्रदर्शन
किया था. जिसके बाद मुख्यमंत्री ने शिक्षामित्रों के प्रतिनिधि मंडल से
मुलाकात कर उनकी समस्या का समाधान खोजने का आश्वासन दिया था। शिक्षामित्रों
का आरोप है कि मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी उनकी मांग जस की तस बनी
हुई हैं। उनकी मांग है कि उन्हें 40 हजार की सैलरी और समायोजन के बाद मिला
सहायक अध्यापक का पद दिया जाए।
पिछली बार विफल हो गई थी कोशिश
बता दें कि इससे पहले भी शिक्षा मित्र ऐसी कोशिश कर चुके हैं जो कि
पिछली बार विफल हो गई थी। शिक्षा मित्रों का कहना है कि इस पूरे मामले में
समायोजन रद्द होने के बाद अब तक 500 से अधिक शिक्षामित्रों की मौत हो चुकी
है। उन सभी के परिवार को आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए। शिक्षामित्रों का
कहना है कि जब वह 10 हजार के मानदेय पर काम करते हैं तो पढ़ाने के लिए
योग्य हो जाते हैं। वहीं 40 हजार के वेतन के लिए उनको अयोग्य माना जाता है।
उन्होंने इसे सरकार की दोहरी नीति बताया।
शिक्षामित्रों के अनुसार उनके साथ जो कुछ भी हो रहा है, वह पूरी तरह से
राजनीति से प्रेरित है. एक सरकार ने नियुक्ति दी तो दूसरे ने समायोजन रद्द
कर दिया। मालूम हो कि 25 जुलाई, 2017 को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद
सरकार ने सूबे के करीब 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द किया
था।