नई दिल्ली। सरकारी विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सरकारी विज्ञापनों में सिर्फ राष्ट्रपति,
पीएम और चीफ जस्टिस की ही फोटो लगेगी। कोर्ट ने आदेश दिया है कि अब किसी
भी सरकारी विज्ञापन में किसी सीएम, सांसद या मंत्री की तस्वीर नहीं लगनी
चाहिए।
साथ ही राष्ट्रपति, पीएम और चीफ जस्टिस खुद तय करेंगे कि उनकी तस्वीर विज्ञापन में लगनी चाहिए या नहीं। अदालत ने ये भी कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार तीन सदस्य कमेटी बनाएगी जो ये तय करेगी कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन हो रहा है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा से नीचे रह रही है इसलिए जनता का पैसा सरकारी विज्ञापन पर खर्च नहीं होना चाहिए।
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साथ ही राष्ट्रपति, पीएम और चीफ जस्टिस खुद तय करेंगे कि उनकी तस्वीर विज्ञापन में लगनी चाहिए या नहीं। अदालत ने ये भी कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार तीन सदस्य कमेटी बनाएगी जो ये तय करेगी कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन हो रहा है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा से नीचे रह रही है इसलिए जनता का पैसा सरकारी विज्ञापन पर खर्च नहीं होना चाहिए।
सीएम हों या मंत्री, सरकारी विज्ञापनों में नहीं दिखेंगे सरकारी
विज्ञापनों में सिर्फ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस की फोटो ही
छापने की अनुमति होगी।
सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि कोर्ट ने कहा है कि ऐसे होर्डिंग भी तुरंत प्रभाव से हटाए जाएं जिसमें मंत्री, सांसदों की तस्वीर इस्तेमाल की गई हो।
बता दें कि मुख्यमंत्री, सांसद, मंत्री खुद को श्रेय देने के लिए सरकारी विज्ञापन में अपनी तस्वीरें छपवाते हैं। इसमें किसी परियोजना या प्रोजेक्ट को लेकर जानकारी दी जाती है तो एक तरफ सांसदों, मंत्रियों की भी तस्वीर होती है। इसे लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाई थी। इसने कई सिफारिशें दी थीं, जिनमें से कोर्ट ने ज्यादातर मान लीं।
सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि कोर्ट ने कहा है कि ऐसे होर्डिंग भी तुरंत प्रभाव से हटाए जाएं जिसमें मंत्री, सांसदों की तस्वीर इस्तेमाल की गई हो।
बता दें कि मुख्यमंत्री, सांसद, मंत्री खुद को श्रेय देने के लिए सरकारी विज्ञापन में अपनी तस्वीरें छपवाते हैं। इसमें किसी परियोजना या प्रोजेक्ट को लेकर जानकारी दी जाती है तो एक तरफ सांसदों, मंत्रियों की भी तस्वीर होती है। इसे लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाई थी। इसने कई सिफारिशें दी थीं, जिनमें से कोर्ट ने ज्यादातर मान लीं।
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