latest updates

latest updates

UP Election 2017 : मुलायम के महल में पड़ी दरार , प्रदेश की सत्ता जाने का डर

लखनऊ.यूपी में होने वाले विधानसभा का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की बेचैनी बढ़ती जा रही है। उसे प्रदेश की सत्ता जाने का डर अभी से सताने लगा है।
समाजवादी पार्टी का परंपरागत वोट माने जाने वाले मुस्लिम ही अब उनसे दूरी बनाने लगा है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) द्वारा अल्पसंख्यक वोट बैंक को कांग्रेस से जोड़ने की रणनीति और बसपा प्रमुख मायावती के मुस्लिम कार्ड खेलने के कारण सपा खेमे में बेचैनी साफ देखने को मिल रही है। सपा प्रमुख मुलायम सिंह को डर है कि कहीं बसपा भी इस बार सपा से तीन दशकों से अधिक समय से जुड़े इस मजबूत वोट बैंक (मुस्लिम) को अपने तरफ करने में सफल न हो जाए।
कहीं ये कारण तो नहीं मुस्लिमों की नाराजगी का
तीन दशकों से सपा से जुड़े मुस्लिम एकदम से उससे नहीं दूर हुए। बीते चार साल में ऐसी कई घटनाएं हुईं जिनके कारण मुस्लिमों ने सपा नेतृत्व के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की। मुस्लिमों ने सबसे पहले अपनी नाराजगी मुजफ्फरनगर दंगे के बाद व्यक्त की। सरकार दंगा नियंत्रण करने में पूरी तरह फेल साबित हुई थी। जिसके कारण बड़ी संख्या में लोगों की जानें गईं और हजारों लोग बेघर हो गए थे।
कई बार भाजपा का करीबी होने का दे चुके हैं संकेत
उसके बाद मुलायम सिंह खुद कई बार भाजपा से नजदीकियों का संकेत दे चुके हैं। कुछ दिन पहले ही सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह ने अयोध्या में कारसेवको पे गोली चलाने को लेकर माफी मांगी। इससे पहले भी सपा मुखिया ने कई ऐसे बयान दिए हैं जिससे मुस्लिम सपा से दूर हुए। केंद्र की मोदी सरकार का मुखर विरोध करने के बजाय कई मौकों पे उल्टा साथ दे दिया जिससे मुस्लिमों में मुलायम के लिए नाराजगी शुरू हुई।
नाराजगी के कारण गवानी पड़ी कई सीटें
मुस्लिमों की नाराजगी के कारण ही सपा को उपचुनाव में तीन में से दो सीट गवानी पड़ी थी जिसमें मुस्लिम वोटों की अच्छी खासी तादात थी, सपा सिर्फ बीकापुर जीतने में सफल रही। राजनीतिक पंडित बीकापुर में सपा की जीत ना मानकार इसे आनंदसेन की व्यक्तिगत उप्लब्धि बताते हैं। बीकापुर में मुस्लिम वोट सपा के बजाय दूसरी पार्टियों को भी गया। वहीं उपचुनाव में बसपा ने अपने प्रत्याशी नहीं उतारे थे, लेकिन 2017 के आम चुनाव में बसपा के होने से सपा को मुस्लिम वोट बैंक को अपने साथ जोड़े रखना किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा। 
72825 शिक्षक भर्ती के अंतर्गत नियुक्त ऐसे अभ्यर्थी जिन्होंने 29334 गणित विज्ञान भर्ती में चयन होने के बावजूद, भय के कारण ज्वाइनिंग नही लिया,ऐसे अभ्यर्थियों को 5 महीने बाद राहत देने से हाईकोर्ट का इंकार, याचिका ख़ारिज, कोर्ट का आदेश(Court Order For Junior Math Science) देखे
मुस्लिम नेता छोड़ रहे सपा
दो दिन पहले ही नगर पालिका परिषद सिद्धार्थनगर के अध्यक्ष मुहम्मद जमील सिद्दीकी समाजवादी पार्टी छोड़कर बसपा में शामिल हो गए। जमील छात्र जीवन से ही समाजवादी पार्टी की सियासत करने वाले नगर पालिका अध्यक्ष पार्टी के विभिन्न संगठनों के साथ सपा के जिला महासचिव भी रह चुके हैं। जिले के कद्दावार मुस्लिम चेहरों में शुमार पालिका अध्यक्ष की पार्टी में खूब चलती थी। वह विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय के करीबियों में रहे। हाल ही में हुए ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में भाई शफीक अहमद को नौगढ़ से ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ाने को लेकर वह बागी बनने को भी तैयार हो गए थे हालांकि बाद में पार्टी ने घोषित उम्मीदवार को वापस लेकर फ्री फाइट की छूट दे दी थी जिसमें जमील ने अपने भाई को भारी मतों के अंतर से चुनाव जीता लिया था।
मुसलमानों को कांग्रेस से जोड़ना चाहते हैं पीके
बता दें कि प्रशांत किशोर दलितों और मुसलमानों को कांग्रेस से जोड़ने के लिए लेकर नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसी को लेकर अगले माह से कांग्रेस एक अभियान भी चला सकती है। इसी क्रम में अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में कई बदलाव भी किए गए हैं। यही वजह है कि अब खुद सपाई ही इसकी आशंका जताने लगे हैं। उन्हें डर है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बसपा, सपा के मजबूत मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगा सकती हैं।
सपा के सुर बदले, मुलायम को बताया मुसलमानों का मसीहा
चुनाव करीब होने और अपना कुनबा दरकते देख सपा भी एलर्ट हो गई है। प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी मुलायम सिंह को मुसलामानों का सच्चा मसीहा बताते नजर आ रहे हैं। उनकी यह वकालत कहीं न कहीं इस ओर इशारा करती है कि मुस्लिम वोट बैंक को लेकर पार्टी में बौखलाहट है। राजेंद्र चैधरी ने आगे कहा कि जब कभी अल्पसंख्यकों के हितों पर चोट पहुंची मुलायम ही उनके पक्ष में खुलकर खड़े हुए हैं। जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद तोड़ने की साजिश हुई तो मुलायम सिंह यादव ने ही सांप्रदायिक उन्माद का सामना करते हुए मस्जिद को टूटने से बचाया था। अल्पसंख्यकों को सरकारी नौकरियों में सबसे ज्यादा भर्तियां समाजवादी सरकार ने ही की है। आज अखिलेश यादव के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यकों को उर्दू अनुवादक तथा शिक्षकों के पदों पर भर्ती किया जा रहा है। समाजवादी सरकार बनने के बाद से ही आतंकवादी बताकर किसी अल्पसंख्यक नौजवान को जेल में बंद नहीं किया गया है। बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की रिहाई में भी यह सरकार पीछे नहीं रही है।
वोट बैंक टूटने के डर से ओवैसी को यूपी आने से रोका

मुस्लिम मतों के धु्रवीकरण के डर से ही हैदराबाद के सांसद और एमआईएम प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी को लंबे समय तक उत्तर प्रदेश में सभा करने की इजाजत नहीं दी गई। विश्लेषक इसे समाजवादी पार्टी की रणनीति का हिस्सा मानते हैं। ओवैसी को पहले अनुमति दी गई, फिर रद्द कर दी गई। कभी कहा जाता कि जगह छोटी पड़ जाएगी, कभी कहा कि ट्रैफिक जाम होगा, कभी कहा कि धार्मिक त्योहार है। फिर कहा कि आपके भाषण की वजह से कुछ गड़बड़ हो जाएगी। लेकिन बाद में सपा सरकार ने पार्टी के कार्यक्रम को लेकर पब्लिक मीटिंग करने की इजाजत दी। हालांकि बिहार में ओवैसी कुछ खास नहीं कर पाए। एमआईएम को यूपी के विधानसभा चुनाव से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। उनकी पार्टी का दावा है कि हम बिहार से ज्यादा यूपी में मजबूत हैं।
More News : 

sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

latest updates