अगली तारीख 17 नवम्बर लगने से याची दुखी

अगली तारीख 17 नवम्बर लगने से याची दुखी हैं क्योंकि उन्हें यकीन था कि जज साहब आज याचियों की नियुक्ति का आदेश दे देंगे ,,,, दुःख की इस बेला में न्यायपालिका को गरियाने में याची इतने व्यस्त हो गए हैं
कि उन्हें याद ही नही है कि जिस आदेश की वो आज प्रतीक्षा कर रहे थे वो आदेश तो 24 अगस्त को ही हो चुका है ,,,,, सुप्रीम कोर्ट के जज इतने नादान नही होते हैं कि एक ही आदेश को बार-बार दुहरायें ,,,,,
कोर्ट परिसर के बाहर खड़ी भीड़ को देखकर जजों के इरिटेट होने और डेट दे देने की ये जो ख़बरें आप पढ़ रहे हो ये उन लोगों द्वारा उड़ाई गयी है जो कोर्टरूम चले तो जाते हैं लेकिन अंग्रेजी भाषा के ज्ञान के अभाव में कोर्ट में हुयी कार्यवाही को समझ ही नहीं पाते ,,,ऐसा कोई एक आदमी कोर्टरूम से बाहर निकलते हुए ऊँची आवाज में जो कुछ भी बक देता है बाकी सब उसे ही सत्य समझकर फेसबुक पर अपडेट कर देते हैं ,,,,
इससे पहले का मेरा अनुभव यह है कि गणेश दीक्षित की पोस्ट में कोर्ट कार्यवाही का जो वर्णन लिखा होता है वही कोर्ट के आर्डर में होता है ,,,,,, चूँकि कोर्ट का आर्डर आने में एक-दो दिन लगेंगे इसलिए फिलहाल गणेश भाई की पोस्ट से ही काम चलाइये ,,,,, यदि गणेश भाई ने इस बार भी सच लिखा है तो आज का दिन याचियों के नाम माना जाएगा जबकि याची तो ऐसे विलाप कर रहे हैं जैसे मिश्रा जी ने याचियों को नियुक्ति देने में आ रही समस्याओं को बताने वाले सरकार के हलफनामे को खारिज ना करके जायज ठहरा दिया हो ,,,,,
याचियों को मेरी सलाह है कि ज्यादा अधीर होकर अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ ना करें क्योंकि बिना किसी विज्ञापन और बिना किसी चयन आधार के इतनी बड़ी संख्या को जॉब दिलाना सुप्रीमकोर्ट के जजों के लिए इतना आसान काम नहीं जितना आसान आपके लिए याची बनना था ,,,,, याचियों के पक्ष में आदेश तो मिश्रा जी 24 अगस्त को दे ही चुके हैं ,,,,उस आदेश का क्रियान्वयन कराने के लिए जज साहब को ही दिमाग दौड़ाने दो ,,,,, अपना दिमाग 17 नवम्बर तक किसी और काम में लगाओगे तो कोई नुकसान नहीं होगा ,,,,,,
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