आज बीटीसी बीएड बेरोज़गारों की कुछ भ्रामक पोस्ट्स सामने आई जिन को हम अपनी पिछली पोस्ट्स में ख़ारिज कर चुके हैं। उसी को पुनः नए सन्दर्भ में सामने रखते हैं। हाई कोर्ट के फैसले में कोर्ट ने कहा:-
"... An illegal appointment cannot be legalized by taking recourse to regularization.
"... एक अवैध नियुक्ति को नियमितीकरण का सहारा लेकर वैध नहीं किया जा सकता है।
मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप के रबी बहार, केसी सोनकर, माधव गंगवार और साथियों ने बीएड बीटीसी बेरोज़गारों की भ्रामक पोस्ट्स को ख़ारिज करते हुए लिखा
इस पर पहला तथ्य ये कि शिक्षामित्रों को शिक्षकों के स्थान पर नियुक्ति दी गई और इसके लिए राज्य सरकार ने वाकायदा पद सृजित किये 2001 से लेकर 2010 तक। दूसरा और सब से अहम अधिनियम 1972 के तहत स्थानीय प्राधिकारी द्वारा नियुक्त हुए। तीसरी बात केंद्र के निर्देश अनुसार नियुक्त हुए। *हाल ही में आये एक अन्य राज्य के काउंटर में भारत सरकार ने कहा कि शिक्षामित्रों के पद एसएसए के तहत स्वीकृत हैं।*
अब आते हैं 2011 के आरटीई एक्ट के दौरान राज्य ने अपनी नियमावली 2011 में अप्रशिक्षित अध्यापक के रूप में शामिल किया।
राज्य ने नियमावली 2011 से पहले अप्रशिक्षित अध्यापक के रूप में प्रशिक्षण कराया।
और अब हम प्रशिक्षित अध्यापक हैं।
इसी लिए हाई कोर्ट के सीजे ने खुद जवाब तलाश करने की कोशिश करते हुए हुए कहा:-
What can be regularized
क्या नियमित किया जा सकता ?."
इस बात का जवाब अब सुप्रीम कोर्ट ने 26 अकटुबर 2016 के पंजाब राज्य बनाम जगजीत सिंह केस में दे भी दिया। ये कह कर कि हाँ नियमित किया जा सकता है। *और ये नियमित वेतन पाने का अधिकार रखते हैं।*ये हालिया फैसला बीएड बीटीसी बेरोज़गारों की कुत्सित सोच से बहुत आगे का फैसला है और शिक्षामित्र समायोजन केस का फैसला शिक्षामित्रों के पक्ष में होने की ओर इशारा करता है।
मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप अपने अथक प्रयासों से अपनी आजीविका और मान सम्मान की रक्षा करने में समर्थ हैं। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए मिशन ने दो नयी याचिकाएं जो प्रशिक्षण, शिक्षक के रूप में स्थापित करवाने और समायोजन केस को मिशन की याचिका की सुनवाई पूर्ण हुए बिना निर्णीत न करने हेतु फाइल की जा रही हैं।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
"... An illegal appointment cannot be legalized by taking recourse to regularization.
"... एक अवैध नियुक्ति को नियमितीकरण का सहारा लेकर वैध नहीं किया जा सकता है।
मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप के रबी बहार, केसी सोनकर, माधव गंगवार और साथियों ने बीएड बीटीसी बेरोज़गारों की भ्रामक पोस्ट्स को ख़ारिज करते हुए लिखा
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- लोकसभा टीवी पर समान काम समान वेतन के सम्बन्ध में 26 अक्टूबर 16 को किये फ़ैसले की निम्न मुख्य बिन्दुओ को बताया गया
इस पर पहला तथ्य ये कि शिक्षामित्रों को शिक्षकों के स्थान पर नियुक्ति दी गई और इसके लिए राज्य सरकार ने वाकायदा पद सृजित किये 2001 से लेकर 2010 तक। दूसरा और सब से अहम अधिनियम 1972 के तहत स्थानीय प्राधिकारी द्वारा नियुक्त हुए। तीसरी बात केंद्र के निर्देश अनुसार नियुक्त हुए। *हाल ही में आये एक अन्य राज्य के काउंटर में भारत सरकार ने कहा कि शिक्षामित्रों के पद एसएसए के तहत स्वीकृत हैं।*
अब आते हैं 2011 के आरटीई एक्ट के दौरान राज्य ने अपनी नियमावली 2011 में अप्रशिक्षित अध्यापक के रूप में शामिल किया।
राज्य ने नियमावली 2011 से पहले अप्रशिक्षित अध्यापक के रूप में प्रशिक्षण कराया।
और अब हम प्रशिक्षित अध्यापक हैं।
इसी लिए हाई कोर्ट के सीजे ने खुद जवाब तलाश करने की कोशिश करते हुए हुए कहा:-
What can be regularized
क्या नियमित किया जा सकता ?."
इस बात का जवाब अब सुप्रीम कोर्ट ने 26 अकटुबर 2016 के पंजाब राज्य बनाम जगजीत सिंह केस में दे भी दिया। ये कह कर कि हाँ नियमित किया जा सकता है। *और ये नियमित वेतन पाने का अधिकार रखते हैं।*ये हालिया फैसला बीएड बीटीसी बेरोज़गारों की कुत्सित सोच से बहुत आगे का फैसला है और शिक्षामित्र समायोजन केस का फैसला शिक्षामित्रों के पक्ष में होने की ओर इशारा करता है।
मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप अपने अथक प्रयासों से अपनी आजीविका और मान सम्मान की रक्षा करने में समर्थ हैं। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए मिशन ने दो नयी याचिकाएं जो प्रशिक्षण, शिक्षक के रूप में स्थापित करवाने और समायोजन केस को मिशन की याचिका की सुनवाई पूर्ण हुए बिना निर्णीत न करने हेतु फाइल की जा रही हैं।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।
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