अभी भी तकरीबन एक लाख शिक्षकों की नौकरी से खतरा टला नहीं

एकेडमिक मेरिट के आधार पर यूपी में चयनित शिक्षकों का भविष्य तीन साल की नौकरी के बाद भी सुरक्षित नहीं है। एकेडमिक मेरिट के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं पर कोई निर्णय नहीं हो सका, लेकिन अभी भी तकरीबन एक लाख शिक्षकों की नौकरी से खतरा टला नहीं है।
दरअसल शिक्षक भर्ती के लिए पहली बार आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2011 में कथित धांधली के आरोप पर समाजवादी पार्टी ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी से पूरे प्रकरण की जांच करवाई। इसके बाद शिक्षकों की भर्ती एकेडमिक मेरिट के आधार पर करने के लिए अध्यापक सेवा नियमावली 1981 में 15वां संशोधन कर दिया गया।
इसके आधार पर बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी या उर्दू बीटीसी और टीईटी पास अभ्यर्थियों के लिए 9770 सहायक अध्यापकों की भर्ती 8 अक्तूबर 2012 में निकाली गई। इसमें चयनित शिक्षक फरवरी 2013 से पढ़ा रहे हैं। इसके बाद फिर 16वां संशोधन करते हुए 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती के लिए दिसंबर 2012 में विज्ञापन जारी किया।
हालांकि हाईकोर्ट ने 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती टीईटी मेरिट पर करने का निर्देश दिया और 15वां संशोधन 20 नवंबर 2013 को निरस्त कर दिया। हालांकि संशोधन निरस्त होने से पहले 9770, 10800, 29334, 4280, 10000 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। प्रशिक्षु शिक्षक मामले में एकेडमिक मेरिट व्यवस्था निरस्त होने के बाद भी सरकार ने 15000, 3500 उर्दू और 16,448 बीटीसी भर्ती का विज्ञापन जारी किया। ये सारी भर्तियां भी पूरी हो चुकी है।
इस बीच टीईटी मेरिट समर्थकों ने शिक्षक भर्ती में टीईटी अंकों को वरीयता देने के लिए हाईकोर्ट में कई याचिकाएं कर दी। चूंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है इसलिए हाईकोर्ट ने 24 नवंबर को सुनवाई के दौरान इस मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के कारण खतरा बना हुआ है।
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