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एसएमएस की कार्रवाई में बुरे फंसे कुछ बीएसए, प्रदेश में बड़ी संख्या में शिक्षकों का वेतन रोकने और काटे जाने का मामला, बीएसए से पूछे गए यह सवाल

बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में सुधार के नाम पर शिक्षकों का उत्पीड़न हो रहा है। स्कूल में उपस्थिति का एसएमएस समय पर न भेजने के कारण कई जिलों में तमाम शिक्षकों का वेतन रोका और काटा गया है।
अफसरों की अनसुनी पर यह प्रकरण विभागीय मंत्री तक पहुंचा।
उन्होंने इस पर नाराजगी जताई है और सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है कि वह बताए कि अब तक कितने शिक्षकों पर मनमानी कार्रवाई हुई है।
कार्रवाई का वाजिब कारण न होने पर बीएसए को भी अल्टीमेटम मिल सकता है।1बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में इस बार तमाम नए-नए प्रयोग हुए हैं। शासन के निर्देश पर हर दिन क्या पढ़ाया जाए इसका विस्तृत शैक्षिक कैलेंडर बना और उस पर सख्ती से अमल के निर्देश हुए। इसी तरह से खंड शिक्षा अधिकारियों ने हर स्कूल से मोबाइल एसएमएस के जरिए हाजिरी मांगी। इसमें निर्देश दिया गया कि यदि कोई शिक्षक कैजुअल या फिर आकस्मिक अवकाश पर जाता है कि तय समय से आधे घंटे पहले उसका एसएमएस खंड शिक्षा अधिकारी को देना होगा। वहीं कुछ स्थानों पर छात्र संख्या एवं शिक्षकों की उपस्थिति भेजने का भी निर्देश है। खास बात यह है कि विभाग ने इस कार्य के लिए न तो मोबाइल उपलब्ध कराया है और न ही नेट पैक आदि के लिए किसी तरह का धन शिक्षकों को मुहैया कराया गया है। केवल फरमान पर हर हाल में अमल करने को कहा गया है। 1इस आदेश का शिक्षक अनुपालन भी कर रहे थे, लेकिन इसी बीच प्रदेश के कई जिलों में बड़ी संख्या में शिक्षकों का वेतन इसलिए रोका या फिर काटा गया है कि उन्होंने एसएमएस समय पर नहीं भेजा। शिक्षकों का कहना है कि आकस्मिक अवकाश में कार्य में व्यस्तता या फिर समस्या गंभीर होने पर एसएमएस की औपचारिकता भले ही नहीं निभा पाए, लेकिन उनका प्रार्थना पत्र विद्यालय में समय से पहुंचा और अवकाश पंजिका में वह दर्ज भी है, तब एसएमएस के आधार पर कार्रवाई उचित नहीं है। शिक्षकों ने इसकी शिकायत बड़े अफसरों से की, लेकिन अनसुनी होने पर विभागीय मंत्री से गुहार लगाई गई। उन्होंने भी ऐसी कार्रवाई पर हैरानी जताई। शिक्षा निदेशक बेसिक दिनेश बाबू शर्मा ने सभी बीएसए को पत्र भेजकर पूरी रिपोर्ट 15 नवंबर तक मांगी है।
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