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टेट मेरिट अजर अमर थी और रहेगी............पूर्णेश शुक्ल(महाकाल)

साथियों,आज हम फिर वहीं पर आकर खड़े हो गए हैं जहाँ से हमने चलना स्टार्ट किया था।हमारी लड़ाई टेट मेरिट और अकादमिक मेरिट की थी लेकिन समय के साथ परिस्थितियां बदलती गयी।
आज के परिदृश्य में हमारे दुश्मन सिर्फ अकादमिक ही नही हैं अपितु कुछ स्वार्थी नेताओं की धन लिप्सा ने और पार्टी विशेष की खुन्नस ने असंख्य दुश्मन बना दिए।

साथियों,एक बात ध्यान देने योग्य है कि उनको दूसरे के घरों में पत्थर नहीं फेंकने चाहिए जिनके खुद के घर शीशे के बने हों। मेरे कहने का सीधा सा आशय है कि अभी हम खुद माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश पर नौकरी कर रहे हैं और दूसरों को दुश्मन बनाते जा रहे हैं।क्या यह तर्कसंगत / न्यायसंगत है?

टेट मेरिट अजर अमर थी और रहेगी। परन्तु हमें एकल बेंच की हार नही भूलना चाहिए और हमे पूर्ण सजग रहना चाहिए।

साथियों,कहीं ऐसा तो नहीं है जिनको हम निरन्तर दुश्मन बनाते जा रहे हैं वह हम पर ही भारी पड़े।आज के परिदृश्य में (जूनियर भर्ती के संदर्भ में)हमने करीब -करीब 90 हजार नये दुश्मन बना लिए हैं। क्या यह सब कुछ 72825 भर्ती के पक्ष में है?

साथियों,इस विषय पर चिन्तन- मनन करने की आवश्यकता है।
आप सभी की मंगलकामना के साथ -
सधन्यवाद..
आपका
पूर्णेश शुक्ल(महाकाल)
सहायक अध्यापक(माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के तहत)
बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश।
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