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हाईकोर्ट के निर्णय की सम्पूर्ण विवेचना: गणेश शंकर दीक्षित, टीईटी संघर्ष मोर्चा ,उ.प्र.की जुबानी

त्रिदेव यथा सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मजी,पालनकर्ता विष्णुजी और संहारक शिवजी के अस्तित्व का एहसास कराने वाले शरद मौसम के आगमन से काफी पहले शुरू हुये सुधार कार्यक्रमों में सभी पुण्य और दैविक
आत्माओं के द्वारा नित आहुति देने का अनुष्ठान अनवरत जारी है और वादे के मुताबिक भ्रष्टाचार और अन्याय को ख़त्म करने की प्रक्रिया सतत प्रगतिशील है , चूँकि  तंत्र में पूरी तरह से जंग लग चुकी है इसलिये पुनर्निर्माण में समय लग रहा है ।

इलाहाबाद हाइकोर्ट द्वारा जारी नवीनतम आदेश ने  हमारी लड़ाई में पूर्ण जीत के संकेत दे दिये हैं , समस्त शिक्षा जगत के लिये ये बहुत बढ़ा निर्णय है ।

हमारी टीम एक बार फ़िर सफल हुई , सभी को बधाई , विशेषकर अनुज पाठकजी को ,जिन्हें इस केस की विशेष जिम्मेदारी दी गयी थी और उन्होंने जीतकर अपनी योग्यता को पुन:सिद्ध किया ।

आदेश को पढ़कर अगर सारगर्भित किया जाये तो अब ये स्थापित हो गया है की अब टीईटी अंको के अस्तित्व के आधार पर ही कोई प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती सम्भव होगी ।
फिलहाल टीईटी वेटेज 1% से लेकर 100% तक सरकार की मंशा के अनुरूप कुछ भी हो सकता है पर सम्भावना है की आगामी भर्तियों में वेटेज कम से कम 51% तो होगा ही या 100% भी । क्योंकि कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है की वेटेज का प्रभाव दिखना चाहिये ।

बेसिक शिक्षा नियमावली,1982  के 15 वें और 16 वें व 18 वें  संशोधनों को असम्वैधानिक घोषित कर दिया गया है , अर्थात 72825 के उपरांत की सभी भर्तियां असंवेधानिक जिसका मतलब है की वर्तमान सरकार ने कानून और
सम्विधान की अवहेलना की है ।

पिछले पाँच वर्ष का इतिहास देखें तो स्पष्ट होता है की वर्तमान सरकार ने अदालत के आदेशों को अँगूठा दिखा , हठधर्मिता दिखाते हुये ,अपनी मनमानी की ।
  शिक्षक भर्तियों के संदर्भ में कभी ऐसा लगा ही नहीँ की उत्तरप्रदेश में लोकतांत्रिक या साम्विधानिक व्यवस्था है ।

तत्कालीन कानून कुछ और था , और सरकार के अपने भर्ती नियम कुछ और ही ।

असल में इन भर्तियों के संदर्भ में वर्तमान सरकार शिक्षा माफियाओं (भ्रष्ट नेता +भ्रष्ट अधिकारी + भ्रष्ट मीडियाकर्मी ) के दवाब में थी , उ.प्र. में ज्यादातर नेताओं के आय के प्रमुख स्त्रोत कॉलेज/स्कूल ही हैं , उनके स्कूल/कॉलेजोँ के हित के अनुरूप विज्ञापन निकलवा लिये , कानून/अदालत क्या चीज़ थी इनके लिये !
ज्यादातर अधिकारी भी इसी हवा में बह रहे थे सो उन्होंने भी लापरवाही की पराकाष्ठा को पार करते हुये ,नियम/कानून की फुल अनदेखी ।
                   वहीँ दलाली कर रही वर्तमान पत्रकारिता का सरकारी मोह और चाटुकारिता ने इस मनमानी का पुरजोर समर्थन किया ।
  माननीय मुख्यमंत्री जी और बेसिक शिक्षामंत्रीजी को एहसास भी नहीँ हुआ की कब इन भ्रष्टाचारियों के त्रिगुट ने कब अपनी मतलबपरस्ती के लिये सरकार को छल लिया ।
छले तो असल में अभ्यर्थी गये हैं ,लाखों युवा सड़क पर आ गये जिन्हें अभी पूर्णरूपेण एहसास भी नहीँ इसका । लाखों अभ्यर्थी सोचते रहे की सरकार ने उनके हित में काम किया है पर अब पता लग रहा है की ये तो एक छलावा था ,जिसके परिणामस्वरूप आज वो कहीँ के नहीँ रहे ।

अदालतें  भावनाओं के आधार पर फैसला नहीँ करतीं , कानून और न्याय अंधा और निष्पक्ष होता है और साथ ही निर्दयी भी ।
 हालाँकि टीईटी मोर्चा पहले दिन से ही लोगों को इस कानूनी अवहेलना के बारे में चेताता चला आ रहा है , क्योंकि जिनका नुकसान हुआ है वो भी हमसे जुड़े लोग हैं , हमारे ही लोग हैं ।

   गलत नियमों पर भर्ती के कृत्य में शामिल सत्ता और प्रशासन के लोगों को ईश्वर माफ नहीँ करेगा ।

बेसिक विभाग का भ्रष्टाचार इस शासन/ प्रशासन को नहीँ दिख रहा है , पर अदालतों को सब दिखाई दे रहा है । गत पंद्रह दिन में ही कोर्ट ने कितने अधिकारियों को सजा दी है !
पर मंत्रीजी या मुख्यमंत्री जी ने आजतक एक भी बीएसए /एबीएसए ,सचिव/डाइरेक्टर को बेसिक की दुर्दशा के लिये दंडित नहीँ किया ।
हाँ , आये दिन समाचारों में शिक्षकों को दंडित करने की खबरें ज़रूर आती हैं , तो क्या शिक्षकों के अलावा भी कोई इस दुर्दशा के लिये जिम्मेदार है ?

ज्यादातर ब्लोक रिसोर्स सेंटर (brc) मनी रिसोर्स सेंटर बने हुये हैं और ज्यादातर एबीआरसी मनी कलेक्टर । शिक्षकों का शोषण हो रहा है , गुणवत्ता और अव्यवस्था के पाटों के बिच पीस रहा है ।
न मंत्रीजी के पास सुधार का कोई प्लान है और ना ही मुख्यमंत्रीजी के पास बेसिक की दुर्दशा के लिये समय । क्योंकि बेसिक में साहब गरीबों के बच्चे आते हैं जो कड़क सर्दियों में भी ठंडी ज़मीन पर बैठने को बाध्य हैं , ये एक नये साम्यवाद की ज़मीन तैयार हो रही है जिसकी क्रांति सत्ता हस्तांतरण को जल्द ही तैयार होगी ।

वैसे मेरा एक सुझाव है की शासन के पास बेसिक विभाग के लिये जब कोई प्लान और समय नहीँ है तो इसे पूर्णतः प्राइवेट सेक्टर को सौंप दें जिससे देश के धन की बचत के संग-संग जनता से शिक्षा नामक छल तो होने से बचेगा । क्योंकि प्राइवेट सेक्टर में इतने काबिल लोग हैं , जिन्हें  दुर्दशा को दूर करना रुचिकर लगेगा,उनके पास समय भी होगा और अच्छा प्लान भी ।

    अदालती निर्णय सरकार की निरंकुशता की गवाही देने के लिये काफी हैं ।
  बाकी टीईटी मोर्चा पूरी तरह से अन्याय,भ्रष्टाचार और असत्य के खिलाफ लड़ने को सर्वदा तत्पररत है , ईश्वर विदित मार्ग के अनुगामी होने से ईश्वरकृपा हम पर बनी हुई है।
 अब सुप्रीम कोर्ट में जज साहब को नियुक्ति के बारे में सब मालूम है अर्थात कितने पद खाली हैं और कितने टीईटी उत्तीर्ण अभी चयन की बाट जोह रहे हैं । ईश्वर सबका है और सबके हित की सोचता है ।

सभी से अनुरोध है की फेसबूक पर ऑर्डर की डरावनी व्याख्या प्रस्तुत करनेवालों से सावधान रहें ,क्योंकि कुछ लोग गलत व्याख्या से डराकर अपने चंदे की दुकान चमकाने की सोच रहे हैं । 72825 एक अटल सत्य और न्याय है जो अब 72825 से लाखों में बदलने को आतुर है ।शेष फ़िर....
                      आपका   - गणेश शंकर दीक्षित
                                      टीईटी संघर्ष मोर्चा ,उ.प्र.
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