72825 भर्ती में अकादमिक संघ की हार के बाद और 29334 जूनियर भर्ती में JRT MORCHA की जीत के बाद JRT MORCHA KI श्रेष्ठता साबित हुई थी, और वर्चस्व की लड़ाई में वे आगे हैं, हालाँकि हाई कोर्ट में भर्ती के
BTC अकादमिक भर्ती मोर्चा के लीडर भी अलग हैं,
आईये देखते हैं कि क्या हैं सवाल जवाब,
29334 भर्ती के जे आर टी मोर्चा की तरफ से
26 दिसंबर को मेरठ में चौधरी चरण सिंह पार्क में यूपी वेस्ट मतलब मेरठ व सहारनपुर मण्डल की मीटिंग का संयुक्त रूप से आयोजन किया गया था जिसमे मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के के यादव व अन्य अग्रिम पन्थी के लोगों के निर्देश पे मुझे आनन-फानन में मेरठ जाना पड़ा।
मेरठ मीटिंग का मैन कांसेप्ट था कि मोर्चा और संघ क्या हैं इनका उदय कैसे हुआ।
जबकि यह दोनों ही वर्ड इमेजनरी हैं
कोर्ट मैटर में सबसे अधिक रोल किसका रहा।
क्या मोर्चा अपनी कोई रणनीति बना चुका है क्या मोर्चा और संघ दोनों एक साथ काम कर सकते हैं क्या दोनों कोर्ट में प्रभावी पैरवी के लिए कॉर्डिनेशन कर सकते हैं।
इसके साथ साथ उनके कुछ सबाल जिनकी संख्या 25 थी।
मोर्चा की तरफ से मेरे साथ लीगल मास्टर दीपक शर्मा जी ने मीटिंग ने प्रतिभाग किया।
इस मीटिंग को मोर्चा की तरफ से org किया गया लेकिन उसमे संघ के कुछ चुनिंदा लोग जो पूरे प्रदेश में वायरल की तरह घूम रहे हैं उन्होंने भी प्रतिभाग किया।
जिसमे एक सहारनपुर के अंधभक्त एक फतेहपुर के एडवोकेट जिन्हें बोलना तक नहीं आता है एक सुल्तानपुर के जो अकॉउंट शेयर होने की बजह से उछल कूद कर रहे हैं एक वनारस जिन्हें देखकर ही हर कोई अंदाजा लगा सकता है कि यह कितने बड़े खाने वाले होंगे जिन्होंने गाँव के ग़रीबो की पालिसी करके सारा रुपया खा लिया और वनारस भाग गए। कोर्ट के बहाने फिरसे लोगों को गुमराह करके अपना उल्लू सीधा करना चाह रहे हैं। ऐसे लोगों ने भी प्रतिभाग किया।
मीटिंग का संचालन मेरठ जोन कॉर्डिनेटर सचिन बौद्ध ने किया।
मीटिंग में सबसे पहले सहारनपुर के जिला अध्यक्ष रजनीश सहगल ने अपने विचार व्यक्त किये और कोर्ट मैटर पे मोर्चा द्वारा किये गए कार्य बताये और आगे भी प्लानिंग के तहत कार्य करने के बारे में बताया।
उसके बाद बागपत से अंकित तोमर ने अपने विचार प्रकट किये और उनके द्वारा लड़ा गया दरोगा व्हाइटनर का केस बताया गया जिसका हमारी भर्ती से कोई सम्बन्ध नहीं था लेकिन अपने को कोर्ट मास्टर बताने पे ही समय बर्बाद कर गए। और यह सिद्ध करना चाह रहे थे कि भाईयों देख लो हम भी कुछ हैं लेकिन वह केवल स्पीच देने तक ही रहे उसके बाद उन्होंने भी अपने को इस तरह सरेंडर कर दिया जैसे की अब इन्हें कुछ आता जाता नहीं है।
उसके बाद एक अंधभक्त जिन्होंने विरोध में पोस्ट टाइप करना ही सीखा है और उन्होंने कभी न तो इल्लाहाबाद हाई कोर्ट का गेट देखा न ही कभी दिल्ली में सुप्रीम गेट देखा है अगर उन्होंने कुछ किया है तो केवल विरोध किया है वह भी बिना जाने समझे और मीटिंग में उन्हें यह क्लियर हो गया कि अगर कोर्ट में कोई मजबूती से फाइट करेगा तो वह केवल मोर्चा ही है इसके सिबा किसी के बस की बात नहीं है लेकिन बेचारे क्या करें उन्हें तो पार्टी की गाइड लाइन ही फॉलो करनी पड़ रही है उसका रीजन है कि मोर्चा ऐसे डिस्टर्बिंग एलिमेंट को अपने साथ रखना नहीं चाहता है और संघ के लोगों की अंधभक्ति उनसे उतर नहीं रही। ऐसे व्यक्ति ने भी अपने विचार रखे और संघ द्वारा किये गए कार्य बताये जो खुद कभी इल्लाहाबाद व दिल्ली या होने वाले धरने में नहीं गए लेकिन कॉपी पेस्ट कहानी को दोहराया गया और उनके द्वारा पूछे गए सबाल एक प्लेन पेपर पे नोट कराये गए। क्योंकि जब यह लोग क्वेरी कर रहे थे तो उसी समय मैंने सचिन बौद्ध को सभी पॉइंट कॉपी पे नोट करने के लिए कहा जिससे सभी की क्वेरी याद रहें और उनका प्रॉपर जबाब दिया जा सके।
उसके बाद हाथरस के लखटकिया जो इस समय लखीमपुर में पोस्टेड हैं उनकी शक्ल ही अजीबो गरीब थी सायद उन्हें देखकर कोई चवन्नी अठन्नी भी नहीं देगा जो संघ के पैरोकार हैं उन्होंने भी अपनी बात रखी और उनके द्वारा पूछे गए सबाल नोट करा लिए गए।
इसी तरह कानून के महान ज्ञाता जो इस समय फतेहपुर में अपनी जॉब कर रहे हैं और जहाँ भी जाते हैं वहाँ सबसे पहले अपनी डिग्री का प्रदर्शन जरूर करते हैं और कहते घूम रहे हैं कि हम llb किये हैं और अच्छा ज्ञान रखते हैं ऐसे लोगों ने भी अपनी बात रखकर same वही क्वेरी की जो पहले ही उनके साथी कर चुके थे।
मतलब वहाँ केवल हम उनके जबाब देने ही गया था यही मेरा उद्देश्य था। और यह देखना चाह रहे थे कि यह कितने गहरे में हैं लेकिन जब देखा तो पता चला कि वह जिस नदीं में तैर रहे थे उसमे पिछले तीन सालों से पानी ही नहीं छोड़ा गया तो गहराई का कोई मतलब ही नहीं था। मतलब जीरो /सन्नाटा।
लास्ट में जब हम लोगों का नंबर आया तो मुझे न ही किसी से सबाल करना था और न ही किसी को सुझाव देना था हम लोगों का उद्देश्य केवल उनके सबालों से ही उनको धूल चटाना था।
हम सबाल करते तो किससे।
सबाल उसी से किये जाते हैं जो काम करता है जिसका काम दिखता है। जिसके साथ काफिला होता है।
जिसकी कोई ठोस प्लानिंग होती है।
जिसका इंटेंशन क्लियर होता है।
सभी के सबाल जो पूछे गए उनका एक एक पॉइंट लेकर दीपक शर्मा ने ऑन the स्पॉट जबाब दिया।
उनके अधिकतर जबाब तो ऐसे थे कि उनका जबाब हमारे जनपद का कोई भी एक्टिव मेंबर दे सकता था। वैसे इस शहीदों की नगरी में एक से बढ़कर एक योद्धा जॉब कर रहे हैं जिनका इस भर्ती में बहुत बड़ा योगदान ही नहीं बल्कि बहुत बड़ी क़ुरबानी है।
उनके कुछ सबाल ऐसे थे जिनपे हम और दीपक दोनों लोग सुनकर हँसते रहे।
कुछ सबाल बता भी रहे हैं जिनका जबाब भी साथ में दिए दे रहा हूँ।
1-जब कोर्ट ने स्टे दे दिया था तो मोर्चा ने कोर्ट आर्डर के इतर जाकर विधानसभा का घेराव क्यों किया।
ans-धरना कोर्ट के आर्डर के विपरीत नहीं बल्कि कोर्ट में सरकार को काउंटर लगाने के लिए प्रेशर बनाने के लिए किया गया कि जल्द से जल्द सरकार कोर्ट में अपना काउंटर लगाये जिससे फाइनल हियरिंग करायी जा सके।
मतलब कि अनिल की रिट पे प्रमोशन मैटर पे कोर्ट ने अंतरिम आर्डर पास करके नियुक्ति पे रोक लगा दी थी और सरकार से काउंटर भी मांग लिया था जो सरकार लगा नहीं रही थी। लेकिन संघ के लोगों को क्या पता था क्योंकि न तो वह लोग धरना प्रदर्शन में गए थे और तब न ही उनका जन्म हुआ था।
वह एक ऐसा धरना प्रदर्शन जहाँ से एक ऐसी दिशा मिली कि लोग जुड़ते रहे और कारवाँ बनता रहा।
यही से लोग एक दूसरे से जुड़ना शुरू हुए और आज उसका परिणाम सबके सामने है।
2-मोर्चा के द्वारा दिसंबर में कोई धरना प्रदर्शन नहीं किया गया और न ही कोई एफआईआर हुई यह सब प्रोपोगण्डा है।
ans- इसका जबाब उनके पहले क्वेश्चन से ही मिल जायेगा। एक तरफ कह रहे कि धरना क्यों किया जबकि कोर्ट ने स्टे दे रखा था दूसरी तरफ कह रहे कि कोई धरना नहीं हुआ। लेकिन यह दोनों सबाल अलग अलग लोगों में पूछे सायद सबाल पूछने का उनका कॉर्डिनेशन बिगड़ गया था या कह लो कि पहले से क्लियर नहीं किया😊
धरना भी हुआ वह भी 11 दिसंबर से 22 दिसंबर तक जिसमे हमारे कई साथी आमरण अनसन पे बैठे और लास्ट में सरकार की उदासीनता को देखते हुए गोमती में जम्प लगा गए जिसमे पुलिस के द्वारा एक बार फिरसे लाठी चार्ज किया जिसमे पहले विवेकानंद को अरेस्ट किया जो तीन दिन बाद जेल से बाहर आये। गोमती में कूदने से कई लोग बेहोश हो गए जिन्हें पुलिस के द्वारा आनन फानन में सिविल हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया शेष लोगों को अरेस्ट करके पुलिस लाइन ले जाया गया जिन्हें बाद में रिहा कर दिया गया लेकिन जो लोग हॉस्पिटल में एडमिट हुए उन सभी पे fir हुई जो आज भी परेशान हैं उनके घर हर मंथ में कोई न कोई सम्मन आ ही जाता है।
ऑन स्पॉट उनके इस सबाल पे लोगों ने प्रश्न चिन्ह लगा दिया और मजाक के पात्र बन गए।
3-मोर्चा द्वारा 9बी पे क्यों बार किया गया जबकि संघ ने रिट फ़ाइल की तो उसकी टाँग खीच रहे थे?
ans-मोर्चा के द्वारा कोई 9बी फ़ाइल करने का विचार नहीं था। मोर्चा का इंटेंशन अलग था हमारी रणनीति अलग थी जिसे आप लोगों के ने डिस्ट्रॉय करा दिया।
नीरज तिवारी के द्वारा rti मंगवाई जिसे संघ ने चुराकर अपनी 9बी में लगा दिया जबकि मोर्चा के द्वारा rti मंगाने का कांसेप्ट अलग था।
और विरोधियों के कुछ अनपढ़ या कहें कि बिना एक्सपीरियंस के लोगों के द्वारा trp बढ़ाने के चक्कर में मोर्चा की रणनीति पे पानी फेर दिया।
हम ncte से कोई काउंटर नहीं मांग रहे थे। हमारा स्टैंड क्लियर था कि rti ऐसे समय पे लगाएंगे कि साँप भी मरे और लाठी टूटे न लेकिन संघ के लोगों ने करी करायी मेहनत पे पानी फेर दिया और वह rti बिना किसी एडवांटेज की जाया हुई जिसका खेद आज भी है।
हम सुप्रीम पहले से जाने की प्लानिंग बना चुके थे इसीलिए sc में दो ia डाली गयीं जिनका मोटिव कुछ और था लेकिन trp लेने के चक्कर में करी करायी मेहनत पे पानी फेर दिया और ncte से उल्टा सीधा वही काउंटर लगा दिया जिसमे sk शर्मा व sk पाठक की रिट पे आये आर्डर मेंशन हैं। हम sc में सेफ जोन से जाना चाहते थे लेकिन आज sc में पहुँच तो गए लेकिन अपना बेस खत्म करके। वह बात अलग है कि हमारा बेस 20 नंबर 2013 को ही खत्म कर दिया था उसके बाद 18 अगस्त 2015 को सुधीर जी के आर्डर के द्वारा मरे इंसान पे मोहर लगा दी गयी।
वह बात अलग है कि हम लोगों ने मिलकर डेड बॉडी में मोर्चा के द्वारा दीपक शर्मा के नाम से फ़ाइल की गयी स्पेशल अपील ने जान डाल दी। जिसकी बजह से आज आप लोग जॉब कर रहे हो।
यह भी है कि जिस 9बी को संघ ने चैलेन्ज किया उसी 9बी को मोर्चा ने भी बाद में शफीक के द्वारा व प्रमोद के द्वारा चैलेन्ज किया इसकी बजह थी कि अनूप तिर्वेदी का छोटा सा ज्ञान जिन्हें खुद चीफ जस्टिस ने अपनी कोर्ट से भगा दिया था। तब मोर्चा ने हाई कोर्ट के टॉप एडवोकेट रविकान्त को खड़ा किया और बिना किसी को हवा लगे डबल बेंच में प्रवेश करा दिया।
यही एक बजह थी कि संघ के बाद मोर्चा को 9बी फ़ाइल करनी पड़ी। लेकिन फाइनल हियरिंग में 9बी से रिलेटेड सभी रिटें स्टैंड by डिसमिश कर दी गयीं जिनपे कोई ज्यादा बहस नहीं हुई। क्योंकि same मैटर अपैक्स कोर्ट में पेंडिंग था।
4- मोर्चा को अपना हिसाब देना चाहिए जिसका अभी तक दिया नहीं गया?
ans-इस बात पे मेरे द्वारा सीधा जबाब था कि इन पाँच महान विभूतियों व इनके साथियों को हमारा संघठन कोई राईट नहीं देता है कि यह लोग हिसाब मांगे। जिन्हें हिसाब देना था उन्हें 10 दिसंबर की मीटिंग में बुलाया गया जहाँ सभी को बताया गया जो नहीं गए वह क्यों नहीं गए फिर आज सबाल क्यों कर रहे। जिसे प्रॉब्लम हो वह व्यक्तिगत बात कर सकता है लेकिन कोई कहे कि कोषद्य्क्ष सभी के घर घर जाकर हिसाब देंगे तो वह दिन में सपने देखना बंद कर दे।
5-मोर्चा ने प्रोफेशनल के खिलाप शैलेन्द्र को क्यों खड़ा किया जो कि गलत था?
ans- यह लड़ाई ब्रह्मदेव के आर्डर से शुरू हुई जिसमे सुधीर जी ने दो महीने के अंदर कॉउंसलिंग कराकर चयनित लोगों को 15 दिन में जोइनिंग लैटर जारी करने को कहा।
उस आर्डर में कुल पाँच लोगों के नाम थे जिनके द्वारा रिट फ़ाइल की गयी। इसमें ब्रह्मदेव यादव सतेंद्र यादव देवेन्द्र यादव दीपक शर्मा व एक और साथी था जिसका नाम याद नहीं आ रहा है। जब कॉउंसलिंग शुरू हुई तो देखा गया कि आर्डर लाने वाले मसीहा लोगों का चयन होना मुश्किल लग रहा था जिसमे दीपक शर्मा को छोड़कर शेष लोगों का नंबर आज तक कॉउंसलिंग में नहीं आ पाया वह लोग शैलेन्द्र जी को लेकर दुवारा कोर्ट पहुँच गए और उन्होंने प्रोफ के खिलाफ रिट फ़ाइल कर दी और केस चलने लगा। तब मोर्चा का जन्म ही नहीं हुआ था तो कैसे कहें कि मोर्चा ने प्रोफ के मैटर में टाँग अड़ा दी। लोगों को खुली अभिव्यक्ति होती है कि वह अपनी बात कोर्ट में रखें और वकील किसी का बंधुआ मजदूर नहीं होता है जो आपके कहने से कार्य करे। उनका या पैशन होता है कि लोग आएँ और मेरी दुकान चले।
लिहाजा मोर्चा का इसमें कोई इंट्रेस्ट नहीं था। मोर्चा का गठन 11 दिसंबर 2014 के धरने से कुछ दिन पहले किया गया।
6-नीलम ने अपनी रिट खुद बापिस ले ली इसमें मोर्चा का क्या रोल है?
ans- उनके इस सबाल का जबाब मुझे देना ही नहीं पड़ा क्योंकि यह सभी को पता था कि नीलम कैसे विथड्रॉव हुईं और इसके लिए इन्दुप्रकाश ने कितनी मेहनत की। इंदुपरकश जोन कॉर्डिनेटर हैं मोर्चा की तरफ से।
इस प्रकार की बहुत सारी क्वेरी की गयीं जिनका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं था।
उनकी इन सभी बातों का हम लोगों ने चुटकी में यूँ ही जबाब दे दिया और वह लोग मीटिंग में हंसी का पात्र बन गए।
किताब के पन्ने बहुत हैं लेकिन
शेष पॉइंट नेक्स्ट पोस्ट में।
नहीं तो लोग इर्रिटेट हो जायेंगे रीड करते करते।
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29334 भर्ती के जे आर टी मोर्चा की तरफ से
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क्या मोर्चा अपनी कोई रणनीति बना चुका है क्या मोर्चा और संघ दोनों एक साथ काम कर सकते हैं क्या दोनों कोर्ट में प्रभावी पैरवी के लिए कॉर्डिनेशन कर सकते हैं।
इसके साथ साथ उनके कुछ सबाल जिनकी संख्या 25 थी।
मोर्चा की तरफ से मेरे साथ लीगल मास्टर दीपक शर्मा जी ने मीटिंग ने प्रतिभाग किया।
इस मीटिंग को मोर्चा की तरफ से org किया गया लेकिन उसमे संघ के कुछ चुनिंदा लोग जो पूरे प्रदेश में वायरल की तरह घूम रहे हैं उन्होंने भी प्रतिभाग किया।
जिसमे एक सहारनपुर के अंधभक्त एक फतेहपुर के एडवोकेट जिन्हें बोलना तक नहीं आता है एक सुल्तानपुर के जो अकॉउंट शेयर होने की बजह से उछल कूद कर रहे हैं एक वनारस जिन्हें देखकर ही हर कोई अंदाजा लगा सकता है कि यह कितने बड़े खाने वाले होंगे जिन्होंने गाँव के ग़रीबो की पालिसी करके सारा रुपया खा लिया और वनारस भाग गए। कोर्ट के बहाने फिरसे लोगों को गुमराह करके अपना उल्लू सीधा करना चाह रहे हैं। ऐसे लोगों ने भी प्रतिभाग किया।
मीटिंग का संचालन मेरठ जोन कॉर्डिनेटर सचिन बौद्ध ने किया।
मीटिंग में सबसे पहले सहारनपुर के जिला अध्यक्ष रजनीश सहगल ने अपने विचार व्यक्त किये और कोर्ट मैटर पे मोर्चा द्वारा किये गए कार्य बताये और आगे भी प्लानिंग के तहत कार्य करने के बारे में बताया।
उसके बाद बागपत से अंकित तोमर ने अपने विचार प्रकट किये और उनके द्वारा लड़ा गया दरोगा व्हाइटनर का केस बताया गया जिसका हमारी भर्ती से कोई सम्बन्ध नहीं था लेकिन अपने को कोर्ट मास्टर बताने पे ही समय बर्बाद कर गए। और यह सिद्ध करना चाह रहे थे कि भाईयों देख लो हम भी कुछ हैं लेकिन वह केवल स्पीच देने तक ही रहे उसके बाद उन्होंने भी अपने को इस तरह सरेंडर कर दिया जैसे की अब इन्हें कुछ आता जाता नहीं है।
उसके बाद एक अंधभक्त जिन्होंने विरोध में पोस्ट टाइप करना ही सीखा है और उन्होंने कभी न तो इल्लाहाबाद हाई कोर्ट का गेट देखा न ही कभी दिल्ली में सुप्रीम गेट देखा है अगर उन्होंने कुछ किया है तो केवल विरोध किया है वह भी बिना जाने समझे और मीटिंग में उन्हें यह क्लियर हो गया कि अगर कोर्ट में कोई मजबूती से फाइट करेगा तो वह केवल मोर्चा ही है इसके सिबा किसी के बस की बात नहीं है लेकिन बेचारे क्या करें उन्हें तो पार्टी की गाइड लाइन ही फॉलो करनी पड़ रही है उसका रीजन है कि मोर्चा ऐसे डिस्टर्बिंग एलिमेंट को अपने साथ रखना नहीं चाहता है और संघ के लोगों की अंधभक्ति उनसे उतर नहीं रही। ऐसे व्यक्ति ने भी अपने विचार रखे और संघ द्वारा किये गए कार्य बताये जो खुद कभी इल्लाहाबाद व दिल्ली या होने वाले धरने में नहीं गए लेकिन कॉपी पेस्ट कहानी को दोहराया गया और उनके द्वारा पूछे गए सबाल एक प्लेन पेपर पे नोट कराये गए। क्योंकि जब यह लोग क्वेरी कर रहे थे तो उसी समय मैंने सचिन बौद्ध को सभी पॉइंट कॉपी पे नोट करने के लिए कहा जिससे सभी की क्वेरी याद रहें और उनका प्रॉपर जबाब दिया जा सके।
उसके बाद हाथरस के लखटकिया जो इस समय लखीमपुर में पोस्टेड हैं उनकी शक्ल ही अजीबो गरीब थी सायद उन्हें देखकर कोई चवन्नी अठन्नी भी नहीं देगा जो संघ के पैरोकार हैं उन्होंने भी अपनी बात रखी और उनके द्वारा पूछे गए सबाल नोट करा लिए गए।
इसी तरह कानून के महान ज्ञाता जो इस समय फतेहपुर में अपनी जॉब कर रहे हैं और जहाँ भी जाते हैं वहाँ सबसे पहले अपनी डिग्री का प्रदर्शन जरूर करते हैं और कहते घूम रहे हैं कि हम llb किये हैं और अच्छा ज्ञान रखते हैं ऐसे लोगों ने भी अपनी बात रखकर same वही क्वेरी की जो पहले ही उनके साथी कर चुके थे।
मतलब वहाँ केवल हम उनके जबाब देने ही गया था यही मेरा उद्देश्य था। और यह देखना चाह रहे थे कि यह कितने गहरे में हैं लेकिन जब देखा तो पता चला कि वह जिस नदीं में तैर रहे थे उसमे पिछले तीन सालों से पानी ही नहीं छोड़ा गया तो गहराई का कोई मतलब ही नहीं था। मतलब जीरो /सन्नाटा।
लास्ट में जब हम लोगों का नंबर आया तो मुझे न ही किसी से सबाल करना था और न ही किसी को सुझाव देना था हम लोगों का उद्देश्य केवल उनके सबालों से ही उनको धूल चटाना था।
हम सबाल करते तो किससे।
सबाल उसी से किये जाते हैं जो काम करता है जिसका काम दिखता है। जिसके साथ काफिला होता है।
जिसकी कोई ठोस प्लानिंग होती है।
जिसका इंटेंशन क्लियर होता है।
सभी के सबाल जो पूछे गए उनका एक एक पॉइंट लेकर दीपक शर्मा ने ऑन the स्पॉट जबाब दिया।
उनके अधिकतर जबाब तो ऐसे थे कि उनका जबाब हमारे जनपद का कोई भी एक्टिव मेंबर दे सकता था। वैसे इस शहीदों की नगरी में एक से बढ़कर एक योद्धा जॉब कर रहे हैं जिनका इस भर्ती में बहुत बड़ा योगदान ही नहीं बल्कि बहुत बड़ी क़ुरबानी है।
उनके कुछ सबाल ऐसे थे जिनपे हम और दीपक दोनों लोग सुनकर हँसते रहे।
कुछ सबाल बता भी रहे हैं जिनका जबाब भी साथ में दिए दे रहा हूँ।
1-जब कोर्ट ने स्टे दे दिया था तो मोर्चा ने कोर्ट आर्डर के इतर जाकर विधानसभा का घेराव क्यों किया।
ans-धरना कोर्ट के आर्डर के विपरीत नहीं बल्कि कोर्ट में सरकार को काउंटर लगाने के लिए प्रेशर बनाने के लिए किया गया कि जल्द से जल्द सरकार कोर्ट में अपना काउंटर लगाये जिससे फाइनल हियरिंग करायी जा सके।
मतलब कि अनिल की रिट पे प्रमोशन मैटर पे कोर्ट ने अंतरिम आर्डर पास करके नियुक्ति पे रोक लगा दी थी और सरकार से काउंटर भी मांग लिया था जो सरकार लगा नहीं रही थी। लेकिन संघ के लोगों को क्या पता था क्योंकि न तो वह लोग धरना प्रदर्शन में गए थे और तब न ही उनका जन्म हुआ था।
वह एक ऐसा धरना प्रदर्शन जहाँ से एक ऐसी दिशा मिली कि लोग जुड़ते रहे और कारवाँ बनता रहा।
यही से लोग एक दूसरे से जुड़ना शुरू हुए और आज उसका परिणाम सबके सामने है।
2-मोर्चा के द्वारा दिसंबर में कोई धरना प्रदर्शन नहीं किया गया और न ही कोई एफआईआर हुई यह सब प्रोपोगण्डा है।
ans- इसका जबाब उनके पहले क्वेश्चन से ही मिल जायेगा। एक तरफ कह रहे कि धरना क्यों किया जबकि कोर्ट ने स्टे दे रखा था दूसरी तरफ कह रहे कि कोई धरना नहीं हुआ। लेकिन यह दोनों सबाल अलग अलग लोगों में पूछे सायद सबाल पूछने का उनका कॉर्डिनेशन बिगड़ गया था या कह लो कि पहले से क्लियर नहीं किया😊
धरना भी हुआ वह भी 11 दिसंबर से 22 दिसंबर तक जिसमे हमारे कई साथी आमरण अनसन पे बैठे और लास्ट में सरकार की उदासीनता को देखते हुए गोमती में जम्प लगा गए जिसमे पुलिस के द्वारा एक बार फिरसे लाठी चार्ज किया जिसमे पहले विवेकानंद को अरेस्ट किया जो तीन दिन बाद जेल से बाहर आये। गोमती में कूदने से कई लोग बेहोश हो गए जिन्हें पुलिस के द्वारा आनन फानन में सिविल हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया शेष लोगों को अरेस्ट करके पुलिस लाइन ले जाया गया जिन्हें बाद में रिहा कर दिया गया लेकिन जो लोग हॉस्पिटल में एडमिट हुए उन सभी पे fir हुई जो आज भी परेशान हैं उनके घर हर मंथ में कोई न कोई सम्मन आ ही जाता है।
ऑन स्पॉट उनके इस सबाल पे लोगों ने प्रश्न चिन्ह लगा दिया और मजाक के पात्र बन गए।
3-मोर्चा द्वारा 9बी पे क्यों बार किया गया जबकि संघ ने रिट फ़ाइल की तो उसकी टाँग खीच रहे थे?
ans-मोर्चा के द्वारा कोई 9बी फ़ाइल करने का विचार नहीं था। मोर्चा का इंटेंशन अलग था हमारी रणनीति अलग थी जिसे आप लोगों के ने डिस्ट्रॉय करा दिया।
नीरज तिवारी के द्वारा rti मंगवाई जिसे संघ ने चुराकर अपनी 9बी में लगा दिया जबकि मोर्चा के द्वारा rti मंगाने का कांसेप्ट अलग था।
और विरोधियों के कुछ अनपढ़ या कहें कि बिना एक्सपीरियंस के लोगों के द्वारा trp बढ़ाने के चक्कर में मोर्चा की रणनीति पे पानी फेर दिया।
हम ncte से कोई काउंटर नहीं मांग रहे थे। हमारा स्टैंड क्लियर था कि rti ऐसे समय पे लगाएंगे कि साँप भी मरे और लाठी टूटे न लेकिन संघ के लोगों ने करी करायी मेहनत पे पानी फेर दिया और वह rti बिना किसी एडवांटेज की जाया हुई जिसका खेद आज भी है।
हम सुप्रीम पहले से जाने की प्लानिंग बना चुके थे इसीलिए sc में दो ia डाली गयीं जिनका मोटिव कुछ और था लेकिन trp लेने के चक्कर में करी करायी मेहनत पे पानी फेर दिया और ncte से उल्टा सीधा वही काउंटर लगा दिया जिसमे sk शर्मा व sk पाठक की रिट पे आये आर्डर मेंशन हैं। हम sc में सेफ जोन से जाना चाहते थे लेकिन आज sc में पहुँच तो गए लेकिन अपना बेस खत्म करके। वह बात अलग है कि हमारा बेस 20 नंबर 2013 को ही खत्म कर दिया था उसके बाद 18 अगस्त 2015 को सुधीर जी के आर्डर के द्वारा मरे इंसान पे मोहर लगा दी गयी।
वह बात अलग है कि हम लोगों ने मिलकर डेड बॉडी में मोर्चा के द्वारा दीपक शर्मा के नाम से फ़ाइल की गयी स्पेशल अपील ने जान डाल दी। जिसकी बजह से आज आप लोग जॉब कर रहे हो।
यह भी है कि जिस 9बी को संघ ने चैलेन्ज किया उसी 9बी को मोर्चा ने भी बाद में शफीक के द्वारा व प्रमोद के द्वारा चैलेन्ज किया इसकी बजह थी कि अनूप तिर्वेदी का छोटा सा ज्ञान जिन्हें खुद चीफ जस्टिस ने अपनी कोर्ट से भगा दिया था। तब मोर्चा ने हाई कोर्ट के टॉप एडवोकेट रविकान्त को खड़ा किया और बिना किसी को हवा लगे डबल बेंच में प्रवेश करा दिया।
यही एक बजह थी कि संघ के बाद मोर्चा को 9बी फ़ाइल करनी पड़ी। लेकिन फाइनल हियरिंग में 9बी से रिलेटेड सभी रिटें स्टैंड by डिसमिश कर दी गयीं जिनपे कोई ज्यादा बहस नहीं हुई। क्योंकि same मैटर अपैक्स कोर्ट में पेंडिंग था।
4- मोर्चा को अपना हिसाब देना चाहिए जिसका अभी तक दिया नहीं गया?
ans-इस बात पे मेरे द्वारा सीधा जबाब था कि इन पाँच महान विभूतियों व इनके साथियों को हमारा संघठन कोई राईट नहीं देता है कि यह लोग हिसाब मांगे। जिन्हें हिसाब देना था उन्हें 10 दिसंबर की मीटिंग में बुलाया गया जहाँ सभी को बताया गया जो नहीं गए वह क्यों नहीं गए फिर आज सबाल क्यों कर रहे। जिसे प्रॉब्लम हो वह व्यक्तिगत बात कर सकता है लेकिन कोई कहे कि कोषद्य्क्ष सभी के घर घर जाकर हिसाब देंगे तो वह दिन में सपने देखना बंद कर दे।
5-मोर्चा ने प्रोफेशनल के खिलाप शैलेन्द्र को क्यों खड़ा किया जो कि गलत था?
ans- यह लड़ाई ब्रह्मदेव के आर्डर से शुरू हुई जिसमे सुधीर जी ने दो महीने के अंदर कॉउंसलिंग कराकर चयनित लोगों को 15 दिन में जोइनिंग लैटर जारी करने को कहा।
उस आर्डर में कुल पाँच लोगों के नाम थे जिनके द्वारा रिट फ़ाइल की गयी। इसमें ब्रह्मदेव यादव सतेंद्र यादव देवेन्द्र यादव दीपक शर्मा व एक और साथी था जिसका नाम याद नहीं आ रहा है। जब कॉउंसलिंग शुरू हुई तो देखा गया कि आर्डर लाने वाले मसीहा लोगों का चयन होना मुश्किल लग रहा था जिसमे दीपक शर्मा को छोड़कर शेष लोगों का नंबर आज तक कॉउंसलिंग में नहीं आ पाया वह लोग शैलेन्द्र जी को लेकर दुवारा कोर्ट पहुँच गए और उन्होंने प्रोफ के खिलाफ रिट फ़ाइल कर दी और केस चलने लगा। तब मोर्चा का जन्म ही नहीं हुआ था तो कैसे कहें कि मोर्चा ने प्रोफ के मैटर में टाँग अड़ा दी। लोगों को खुली अभिव्यक्ति होती है कि वह अपनी बात कोर्ट में रखें और वकील किसी का बंधुआ मजदूर नहीं होता है जो आपके कहने से कार्य करे। उनका या पैशन होता है कि लोग आएँ और मेरी दुकान चले।
लिहाजा मोर्चा का इसमें कोई इंट्रेस्ट नहीं था। मोर्चा का गठन 11 दिसंबर 2014 के धरने से कुछ दिन पहले किया गया।
6-नीलम ने अपनी रिट खुद बापिस ले ली इसमें मोर्चा का क्या रोल है?
ans- उनके इस सबाल का जबाब मुझे देना ही नहीं पड़ा क्योंकि यह सभी को पता था कि नीलम कैसे विथड्रॉव हुईं और इसके लिए इन्दुप्रकाश ने कितनी मेहनत की। इंदुपरकश जोन कॉर्डिनेटर हैं मोर्चा की तरफ से।
इस प्रकार की बहुत सारी क्वेरी की गयीं जिनका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं था।
उनकी इन सभी बातों का हम लोगों ने चुटकी में यूँ ही जबाब दे दिया और वह लोग मीटिंग में हंसी का पात्र बन गए।
किताब के पन्ने बहुत हैं लेकिन
शेष पॉइंट नेक्स्ट पोस्ट में।
नहीं तो लोग इर्रिटेट हो जायेंगे रीड करते करते।
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