कृषि तकनीकी सहायक भर्ती का परिणाम रद्द, 2013 में 6628 पदों पर किया गया चयन हाईकोर्ट ने बताया अवैध, आयोग को नए सिरे से चयन का निर्देश

इलाहाबाद प्रदेश सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश कृषि तकनीकी सहायक ग्रुप-सी परीक्षा 2013 में चयनित 6628 पदों पर किए गए चयन को अवैध करार देते हुए उसे रद कर दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि इन पदों के लिए हुई लिखित परीक्षा और उसके घोषित परिणाम में कोई
गलती नहीं है।
आयोग ने लिखित परीक्षा परिणाम के बाद की गई प्रक्रियाओं में गलती की है इस कारण चयन रद किया जाता है। असल में आयोग ने लिखित परीक्षा के बाद ऑफिस मेमोरेंडम जारी करके सामान्य वर्ग, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति के पदों को कम कर दिया था। कम किए गए सभी पद पिछड़ा वर्ग में जोड़े गए। इसीलिए आरक्षण 50 फीसद से बढ़कर 88 फीसद हो गया और सामान्य वर्ग को केवल 12 फीसद सीटें मिली। इसे कोर्ट ने अवैध करार दिया है। 1हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि प्रदेश सरकार व उप्र लोकसेवा आयोग लिखित परीक्षा परिणाम के बाद की चयन प्रक्रिया नए सिरे से चार माह में पूरा करे। इसी के साथ जजों ने प्रतियोगियों की याचिकाएं भी मंजूर कर ली हैं। 1न्यायमूर्ति वीके शुक्ल व न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने मनीष उपाध्याय व कई अन्य प्रतियोगियों की याचिकाओं पर प्रमुख सचिव को आदेश दिया है कि कैडर के हिसाब से पदों की संख्या का आकलन कर तत्काल आयोग को मुहैया कराया जाए, ताकि चार माह के अंदर इंटरव्यू आदि की प्रक्रिया पूरी हो सके। याचिका पर अधिवक्ता आलोक मिश्र व अनिल सिंह बिसेन ने बहस की। याचिका में 12 अक्टूबर, 2014 के आयोग के आफिस मेमोरेंडम को चुनौती गई दी थी, जिसके तहत पिछड़ा वर्ग के 566 पदों को बढ़ाकर 2030 कर दिया गया था। आयोग ने पहले 6628 पदों के सापेक्ष प्रदेश सरकार को आरक्षित श्रेणी के 88 प्रतिशत तथा सामान्य के मात्र 12 फीसदी अभ्यर्थियों का चयन पर नियुक्ति के लिए भेजा था। इसे कोर्ट व संविधान के अनुच्छेद 16(4)जी और आरक्षण कानून 1994 की धारा 3(1) के विपरीत माना गया।

उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग को नए सिरे से चयन का निर्देश, प्रदेश सरकार व आयोग को चार माह में परिणाम देने का निर्देश अब बदल जाएगी आयोग में भर्तियों की तस्वीर
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