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शिक्षकों के विनियमितीकरण का रास्ता साफ

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : प्रदेश भर के अशासकीय माध्यमिक कालेजों में वर्षो से तैनात तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरण का रास्ता साफ हो गया है। सरकार ने पिछले साल ही इस संबंध में आदेश जारी किया था, लेकिन उस पर अनुपालन नहीं हो सका।
अब प्रक्रिया को जल्द पूरा करने के संबंध में निर्देश जारी हुए हैं। इसमें असंतुष्ट शिक्षकों के प्रत्यावेदन पर गंभीरता से विचार करके निर्णय लेने का आदेश दिया गया है। उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (यथा संशोधित) अधिनियम 1982 की धारा 33 छह में किए गए प्रावधान के तहत प्रदेश भर के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक कालेजों के शिक्षकों का विनियमितीकरण होना है। सात अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 तक तदर्थ रूप में नियुक्त 1408 शिक्षक एवं सात अगस्त 1993 से 25 जनवरी 1999 तक तदर्थ रूप में नियुक्त 526 अल्पकालिक शिक्षकों को यह लाभ दिया जाना है। शासन ने पिछले साल मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को इस संबंध में आदेश जारी करके विनियमितीकरण की प्रक्रिया पूरी करने को कहा। इस प्रक्रिया में मंडलीय समिति एवं मंडल स्तर पर जो निर्णय किए गए उससे असंतुष्ट शिक्षकों ने विभाग को तमाम प्रत्यावेदन सौंपे। इसके बाद कार्यवाही जहां की तहां रुक गई। अब अफसरों ने फिर प्रकरण का संज्ञान लिया है। माध्यमिक शिक्षा के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने इस संबंध में एक कमेटी बनाकर प्रकरण का निस्तारण करने का आदेश दिया है।
तीन सदस्यीय कमेटी गठित : तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरण के लिए तीन विभागीय अफसरों की कमेटी बनाई गई है। इसमें व्यावसायिक शिक्षा के अपर शिक्षा निदेशक अध्यक्ष, व्यावसायिक शिक्षा के उप शिक्षा निदेशक व सहायक शिक्षा निदेशक को सदस्य बनाया गया है।
यह अफसर असंतुष्ट शिक्षकों के प्रत्यावेदन पर विचार करके उसका निस्तारण करेंगे और समग्र रिपोर्ट शासन एवं माध्यमिक शिक्षा के निदेशक को भेजेंगे। टीम को आदेश है कि प्रकरण का जल्द निस्तारण किया जाए। माना जा रहा है कि होली बाद तदर्थ शिक्षकों को इसका लाभ मिल सकता है।
शिक्षकों के विनियमितीकरण का रास्ता साफ
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