62320 पदों के लिए सिपाही भर्ती: एसएससी व सीआरपीएफ के बीच फंसे अभ्यर्थी, अभ्यर्थियों के उग्र प्रदर्शन के बाद जांच में 307 को उत्तीर्ण किया गया

इलाहाबाद : कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की में गड़बड़ी उजागर हो गई है। परिणाम से खफा जिन अभ्यर्थियों ने कार्यालय में उग्र तेवर दिखाए और धरना देकर प्रशासन को छकाया था।
भर्ती अभिलेखों की दोबारा जांच होने पर उनमें से 307 अभ्यर्थियों को परीक्षा में उत्तीर्ण किया गया है और उनकी नियुक्ति करने के लिए एसएससी ने फाइल सीआरपीएफ को बढ़ा दी है। इसके बाद भी अभ्यर्थी यहां से वहां दौड़ रहे हैं उन्हें नियुक्ति नहीं मिल पा रही है।
एसएससी की केंद्रीय बलों के लिए 2015 का विज्ञापन 62320 पदों के लिए जारी हुआ था। आयोग ने इसकी लिखित परीक्षा चार अक्टूबर 2015 को कराई थी। उस समय कुछ केंद्रों की परीक्षा निरस्त करके दोबारा लिखित परीक्षा 22 नवंबर 2015 को हुई। लिखित परीक्षा का परिणाम 14 मार्च व सात अप्रैल 2016 को घोषित किया गया। उस समय एक लाख 44 हजार अभ्यर्थी मेडिकल परीक्षण के लिए सफल हुए थे। जिसमें नक्सल क्षेत्र के अधीन आने वाले जिलों की मेरिट पुरुष सामान्य में 69, पिछड़ी जाति में 64, अनुसूचित जाति में 54 और अनुसूचित जन जाति की 58 थी। मेडिकल के बाद अंतिम नियुक्ति दिए जाने के लिए जनवरी माह के अंत में परिणाम घोषित किया गया है। इसमें 57 हजार 14 अभ्यर्थी सफल करार दिए गए हैं। आयोग ने कुछ दिन बाद इसके अंक भी घोषित कर दिये, इसमें कई अभ्यर्थियों का नाम नहीं था, इससे गुस्साये युवाओं ने एसएससी कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन करने के साथ ही उग्र आंदोलन किया। उनका आरोप है कि कम कटऑफ वालों का चयन कर लिया गया है, जबकि योग्य अभ्यर्थी दौड़ से बाहर हो गए हैं। उस समय उन्हें सीआरपीएफ के ग्रुप सेंटर फाफामऊ भी भेजा गया। बाद में एसएससी ने प्रदर्शन करने वाले सभी युवाओं से प्रत्यावेदन लिया।
उसकी दोबारा जांच कराई। करीब 800 युवाओं ने प्रत्यावेदन दिया उनकी जांच में 307 ऐसे मिले जिनका चयन होना चाहिए था। ऐसे में एसएससी ने 307 अभ्यर्थियों को नियुक्त करने के लिए 20 फरवरी को फाइल सीआरपीएफ भेज दिया। युवा लगातार एसएससी व सीआरपीएफ के बीच दौड़ लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें नियुक्ति नहीं मिल रही है। इससे खफा युवाओं ने सोमवार को एसएससी कार्यालय के सामने धरना देकर नाराजगी जताई। अब एसएससी के अफसर एक माह का समय मांग रहे हैं। इस पर धरना खत्म किया गया है। यहां अभ्यर्थी महेंद्र कुमार मिश्र, भारत कुमार त्रिपाठी, शिवशंकर बिंद, रविरंजन सिंह, प्रदीप कुमार यादव व कमलेश कुमार आदि ने धरना दिया। युवाओं का कहना है कि वह नक्सल प्रभावित क्षेत्र के साथ न्याय नहीं हुआ है।

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