Ncte का काउंटर आया है उसको पूरा पढने के बाद जो तथ्य सामने आये हैं वो बहुत तारीफ़ के योग्य है और प्रभाव शाली है जिसमें शिक्षा मित्रों को केवल टेट ही नहीं बाकी सभी बिन्दुओं पर अपनी राय कानूनी प्रावधानों के साथ रखी है जिससे आप जान सकते हैं की किस प्रकार शिक्षा मित्रों का सफाया हाई कोर्ट करने वाला है।
1- पॉइंट नम्बर 4 मैं शिक्षामित्रों को स्पष्ट माना है की 26/05/1999 मैं केवल एंगेजमेंट (संविदा) पर 11माह के लिए रखा था ।इस पॉइंट से सरकार का तर्क ख़ारिज हो गया की वो पैरा टीचर है।।
2-पॉइंट 5 और 6 मैं NCTE ने स्पस्ट किया है की शिक्षामित्र की नियुक्ति केवल ग्राम पंचायत स्तर पर हुई एवं ग्राम प्रधान ,हेड टीचर इत्यादि की संस्तुति के बाद इनका फाइनल चयन जिला अधिकारी की अध्यक्षता में हुआ।।इस पॉइंट से सरकार एवं 1981 नियमावली शिक्षक भर्ती के नियमों का पालन नहीं किया गया क्योंकि1981 मैं पॉवर बेसिक शिक्षा अधिकारी को है।।इनका तर्क ख़ारिज की शिक्षामित्रअनट्
रेंड टीचर नियुक्त किये थे।।
3-पॉइंट नम्बर 9 मैं कहा है की काम करते हुए शिक्षामित्रों को 15/06/07 के आदेश में बता दिया था की शिक्षामित्रों को उच्च शिक्षा हेतु कोई अवकाश नहीं मिलेगा क्योंकि संविदा कर्मी अवकाश के योग्य नहीं होता।इस पॉइंट से सरकार का तर्क खारिज की शिक्षामित्र रहते बी ए करना gair कानूनी है
4-पॉइंट नम्बर 10 मैं NCTE ने स्पस्ट कर दिया है शिक्षामित्रों को कानूनी अधिकार नहीं है शिक्षक बनने का क्योंकि वो 11 माह की संविदा पर थे एवं उनके पास मिनिमम योग्यता टेट एवं सही स्तर पर प्राप्त स्नातक डिग्री नहीं है| सरकार और शिक्षामित्रों कातर्क ख़ारिज की l सभी रेगुलर डिग्री धारक बनेंगे मास्टर साब l
5-पॉइंट 11 मैं लिखा है की शिक्षामित्रों का बी टी सी RTE ACT 2009 के लागू होने से पूर्व का है इसलिए इनको छूट देना गलत है। जबकि समान योग्यता धारी बी टी सी रेगुलर लोगों के साथ अलग अलग नियम नहीं अपनाए जा सकते l सरकार का तर्क ख़ारिज की l इनको (शिक्षामित्रों) वरीयता दी जायेगी।
6-पॉइंट नम्बर 12 एवं 13 में NCTE ने लिखा है , जो अत्यंत महतवपूर्ण हैं की उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण हेत पत्र 03/01/2011 में लिखा था l
यहाँ 13 वें पॉइंट मैं NCTE ने लिख दिया है की सरकार ने इस लेटर मैं ये नहीं बताया था की हम प्रशिक्षण के बाद इनको सहायक अध्यापक बनायेंगे l सरकार का तर्क ख़ारिज और शिक्षामित्रों की ट्रेनिंग का पत्ता साफ़ l
इसी पॉइंट से खेल ख़त्म शिक्षामित्रों का।
7- पॉइंट 14 ,15,16,17 मैं साफ़ लिखा है की अकेडमिक संस्था NCTE को भारत सरकार के गजट एवं सिक्षा अधिकार अधिनियम की धारा 23 के उप धरा 1 मैं साफ़ लिखा है की मिनिमम योग्यता तय NCTE करेगी , सरकार का तर्क ख़ारिज की टेट एवं इनकी ट्रेनिंग वेध है ।इस पॉइंट से इनका पूरा इतिहास ही ख़त्म l
8-पॉइंट 19 मैं साफ़ लिखा है की RTE ACT HRD AND कानून मंत्रालय एवं तमाम संस्थाओ के सलाह और सुझाव से तय किया गया की योग्य शिक्षक केसे नियुक्त हो एवं RTE ACT के धारा 35 में उल्लेखित प्रावधान से RTE एक्ट की धारा 23 (2) को केसे लागू किया जाएगा , लिखा है l
यहाँ एक और बात बता दूँ की NCTE एवं केंद्र सरकार मिनिमम योग्यता स्नातक एव टेट दोनों में स्नातक में छूट देने का अधिकार रखती है , न की टेट से छूट का l टेट तो हर हाल मैं देना होगा।
सरकार के सभी तर्क यहाँ ख़ारिज हो गए और मैदान साफ़ कर डाला शिक्षामित्रों का।
9-पॉइंट 20 मैं साफ़ लिख दिया की योग्य शिक्षकों के चुनाव में कोई समझौता नहीं किया जा सकता , क्योंकि प्राइमरी और जूनियर के शिक्षक के समक्ष आने वाली मनोवैग्यानिक और तकनीकी कठिनाइयों से निपटने की योग्यता को जांचने टेट की परीक्षा ली जाती है , इससे किसी को भी छूट नहीं मिल सकती।
10-पॉइंट नम्बर 25 मैं उस पत्र का हवाला है जो 03 /01/2011 को प्रथम बार लिखा था ।NCTE ने साफ़ उत्तर में लिखा है की राज्य सरकार शिक्षामित्रों को रेगुलर नहीं मान सकती क्योंकि शिक्षामित्र 11 माह की संविदा परकाम कर रहे थे l NCTE ने यहाँ एक बात और साफ़ की है की अन्य राज्यों मैं रेगुलर शिक्षक माना गया है , जिन पर स्नातक और टेट पास है उन्हें ही लगाया जा सकता है।
जो कि उत्तरप्रदेश में किया नहीं गया है , इसलिए शिक्षामित्रों को कोई लाभ नहीं मिलेगा l
सरकार का वो पत्र जिस पर ट्रेनिंग आधारित थी हुआ शून्य l
अब शिक्षामित्र बेचारे न घर के रहे, न घाट के।
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1- पॉइंट नम्बर 4 मैं शिक्षामित्रों को स्पष्ट माना है की 26/05/1999 मैं केवल एंगेजमेंट (संविदा) पर 11माह के लिए रखा था ।इस पॉइंट से सरकार का तर्क ख़ारिज हो गया की वो पैरा टीचर है।।
2-पॉइंट 5 और 6 मैं NCTE ने स्पस्ट किया है की शिक्षामित्र की नियुक्ति केवल ग्राम पंचायत स्तर पर हुई एवं ग्राम प्रधान ,हेड टीचर इत्यादि की संस्तुति के बाद इनका फाइनल चयन जिला अधिकारी की अध्यक्षता में हुआ।।इस पॉइंट से सरकार एवं 1981 नियमावली शिक्षक भर्ती के नियमों का पालन नहीं किया गया क्योंकि1981 मैं पॉवर बेसिक शिक्षा अधिकारी को है।।इनका तर्क ख़ारिज की शिक्षामित्रअनट्
रेंड टीचर नियुक्त किये थे।।
3-पॉइंट नम्बर 9 मैं कहा है की काम करते हुए शिक्षामित्रों को 15/06/07 के आदेश में बता दिया था की शिक्षामित्रों को उच्च शिक्षा हेतु कोई अवकाश नहीं मिलेगा क्योंकि संविदा कर्मी अवकाश के योग्य नहीं होता।इस पॉइंट से सरकार का तर्क खारिज की शिक्षामित्र रहते बी ए करना gair कानूनी है
4-पॉइंट नम्बर 10 मैं NCTE ने स्पस्ट कर दिया है शिक्षामित्रों को कानूनी अधिकार नहीं है शिक्षक बनने का क्योंकि वो 11 माह की संविदा पर थे एवं उनके पास मिनिमम योग्यता टेट एवं सही स्तर पर प्राप्त स्नातक डिग्री नहीं है| सरकार और शिक्षामित्रों कातर्क ख़ारिज की l सभी रेगुलर डिग्री धारक बनेंगे मास्टर साब l
5-पॉइंट 11 मैं लिखा है की शिक्षामित्रों का बी टी सी RTE ACT 2009 के लागू होने से पूर्व का है इसलिए इनको छूट देना गलत है। जबकि समान योग्यता धारी बी टी सी रेगुलर लोगों के साथ अलग अलग नियम नहीं अपनाए जा सकते l सरकार का तर्क ख़ारिज की l इनको (शिक्षामित्रों) वरीयता दी जायेगी।
6-पॉइंट नम्बर 12 एवं 13 में NCTE ने लिखा है , जो अत्यंत महतवपूर्ण हैं की उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण हेत पत्र 03/01/2011 में लिखा था l
यहाँ 13 वें पॉइंट मैं NCTE ने लिख दिया है की सरकार ने इस लेटर मैं ये नहीं बताया था की हम प्रशिक्षण के बाद इनको सहायक अध्यापक बनायेंगे l सरकार का तर्क ख़ारिज और शिक्षामित्रों की ट्रेनिंग का पत्ता साफ़ l
इसी पॉइंट से खेल ख़त्म शिक्षामित्रों का।
7- पॉइंट 14 ,15,16,17 मैं साफ़ लिखा है की अकेडमिक संस्था NCTE को भारत सरकार के गजट एवं सिक्षा अधिकार अधिनियम की धारा 23 के उप धरा 1 मैं साफ़ लिखा है की मिनिमम योग्यता तय NCTE करेगी , सरकार का तर्क ख़ारिज की टेट एवं इनकी ट्रेनिंग वेध है ।इस पॉइंट से इनका पूरा इतिहास ही ख़त्म l
8-पॉइंट 19 मैं साफ़ लिखा है की RTE ACT HRD AND कानून मंत्रालय एवं तमाम संस्थाओ के सलाह और सुझाव से तय किया गया की योग्य शिक्षक केसे नियुक्त हो एवं RTE ACT के धारा 35 में उल्लेखित प्रावधान से RTE एक्ट की धारा 23 (2) को केसे लागू किया जाएगा , लिखा है l
यहाँ एक और बात बता दूँ की NCTE एवं केंद्र सरकार मिनिमम योग्यता स्नातक एव टेट दोनों में स्नातक में छूट देने का अधिकार रखती है , न की टेट से छूट का l टेट तो हर हाल मैं देना होगा।
सरकार के सभी तर्क यहाँ ख़ारिज हो गए और मैदान साफ़ कर डाला शिक्षामित्रों का।
9-पॉइंट 20 मैं साफ़ लिख दिया की योग्य शिक्षकों के चुनाव में कोई समझौता नहीं किया जा सकता , क्योंकि प्राइमरी और जूनियर के शिक्षक के समक्ष आने वाली मनोवैग्यानिक और तकनीकी कठिनाइयों से निपटने की योग्यता को जांचने टेट की परीक्षा ली जाती है , इससे किसी को भी छूट नहीं मिल सकती।
10-पॉइंट नम्बर 25 मैं उस पत्र का हवाला है जो 03 /01/2011 को प्रथम बार लिखा था ।NCTE ने साफ़ उत्तर में लिखा है की राज्य सरकार शिक्षामित्रों को रेगुलर नहीं मान सकती क्योंकि शिक्षामित्र 11 माह की संविदा परकाम कर रहे थे l NCTE ने यहाँ एक बात और साफ़ की है की अन्य राज्यों मैं रेगुलर शिक्षक माना गया है , जिन पर स्नातक और टेट पास है उन्हें ही लगाया जा सकता है।
जो कि उत्तरप्रदेश में किया नहीं गया है , इसलिए शिक्षामित्रों को कोई लाभ नहीं मिलेगा l
सरकार का वो पत्र जिस पर ट्रेनिंग आधारित थी हुआ शून्य l
अब शिक्षामित्र बेचारे न घर के रहे, न घाट के।
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