उत्तरप्रदेश के हुकुमरान जो श्रावस्ती जाकर सूबे की प्राथमिक शिक्षा की स्थिति पर खेद जताते हैं और अब हर सम्भव तरीक़े से अपने अधिकारियों पर नकेल कस रहे हैं उसके जवाब के लिए आज एक तस्वीर पेश कर रहा हूँ
कुछ नेता के द्वारा छोड़े गए flunkies लगातार अपनी पैरवी का दम भरकर दूसरों को बेवक़ूफ़ मान रहे हैं जबकि हक़ीक़त में केस याचिकाओं और तथ्यों के आधार पर लड़े जाते हैं नाकि facebook पर डाली जाने वाली पोस्ट्स से |
ज्ञात हो शिक्षा मित्र मुद्दे पर जब पूरा प्रदेश सुप्तावस्था में था, ७२८२५ शिक्षक भर्ती अपने अंतिम चरम पर थी और प्रदेश के नौनिहाल न चाहते हुए भी एक ऐसे तबके से पढ़ने को मजबूर थे जो कैसे भी मानकों से सहायक अध्यापक के पद के लायक नहीं थे और प्रदेश सरकार अपनी चुनावी योजना में सफल हो रही थी तब आपकी ये टीम न ही समाजवादी शिक्षकों की स्कीम को साफ़ करने में लगी थी वरन समस्त टेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की नियुक्तियों के लिए आरटीई एक्ट के इतिहास की सबसे पहली परमादेश याचिका प्रदान की तत्पश्चात शिक्षा मित्रों के विरुद्ध लगातार सफलतम प्रयास इसी टीम के द्वारा किया गया है जिसके लिए शिक्षा मित्रों की ट्रेनिंग को अवैध कराने के लिए २-२ स्वीक्रत याचिकाएँ भी इसी टीम की हैं |
जो नोटिफ़िकेशन आपको दिखाया गया है उसमें NCTE के द्वारा साफ़ साफ़ कहा गया है :-
१) NCTE एक्ट की धारा १७(४) के अनुसार कोई भी चाहे वो केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार ट्रेनिंग के लिए ऐसा संस्थान प्राप्त नहीं करा सकते हैं जो ग़ैर मान्यता प्राप्त हो?
मेरा सवाल है इस पर तो SCERT कौन होती है ट्रेनिंग कराने के लिए?
२) MHRD के एक पत्र के अनुसार ऐसे व्यक्ति समायोजन के लिए मान्य नहीं होंगे तो फिर समायोजन कैसे हुआ?
३) इसके अलावा वो छूट के केवल कार्यरत शिक्षकों के लिए यहाँ एक चीज़ पर ज़ोर दिया है शिक्षक तो माननीय उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में शिक्षा मित्रों को संविदा कर्मी माना है ?
अब कहाँ से ख़ुद को सिद्ध करेंगे शिक्षक?
इसके अलावा एक सवाल ओर है :-
जब इनकी नियुक्ति २००१ में हो गयी थी जैसा कि ये कहते हैं तो फिर नियुक्ति की ज़रूरत क्यूँ पड़ गई?
क्या २००४ आदि बैच वालों की दोबारा नियुक्ति हुई है जो २३ august २०१० से पहले अध्यापक (शिक्षक) थे ?
इसी के साथ अब उन अटकलों को शांत कर देना चाहिए जहाँ MHRD और NCTE शिक्षा मित्रों के साथ दिखाई देंगे मिश्रा जी के सामने और 12A के लिए इतना बता दूँ तैयारी के साथ आना वरना चिल्लाते रह जाओगे @@@@@@@@@
मेरा सवाल है मा० मुख्यमंत्री महोदय से है श्रावस्ती में जो आपके समक्ष हुआ वो आपके द्वारा बोई हुई फसल है नाकि किसी ओर के , थोडा सा खेद हो तो आगामी चुनावों के मद्देनजर खुद को सशक्त बनाने हेतु फैसला रिवर्ट कर लीजिये वरना जल्द ही परिणाम होगा आपके ही समक्ष।
फ़िलहाल समस्त टेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए अवसर प्रदान करने हेतु उत्तरप्रदेश के योग्य टेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए राज्य सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक पदों पर स्थापित शिक्षा मित्रों को जड़ से उखाड़ने के लिए आपकी ये टीम शुरू से अंत तक लगी हुई है जिसको अंजाम देने के लिए आपकी इस टीम के पास याचिकाएँ हैं |
रविवार तक हम अपने द्वारा हमेशा से खड़े किए गए वरिष्ठ अधिवक्ताओं को फ़ाइनल करके २७ जुलाई के लिए written submissions के साथ ब्रीफ़ करके तैयारी पूर्ण कर लेंगे और इस बार सर्वप्रथम शिक्षा मित्रों पर सुनवाई होने के chances अधिक हैं तो किसी भी प्रकार से हम भी risk लेने के मूड में नहीं हैं |
महादेव पर विश्वास बनाए रखें, महादेव कृपा अवश्य करेंगे |
धन्यवाद
हर हर महादेव
आपका कार्यकर्ता
हिमांशु राणा
नोट :- अंत में ये ही कहना चाहूँगा अन्य गुटों के लिए कि इस टीम के द्वारा बो हुई फ़सल खड़ी है आओ काश करवा लो, हम शांत रहेंगे
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कुछ नेता के द्वारा छोड़े गए flunkies लगातार अपनी पैरवी का दम भरकर दूसरों को बेवक़ूफ़ मान रहे हैं जबकि हक़ीक़त में केस याचिकाओं और तथ्यों के आधार पर लड़े जाते हैं नाकि facebook पर डाली जाने वाली पोस्ट्स से |
ज्ञात हो शिक्षा मित्र मुद्दे पर जब पूरा प्रदेश सुप्तावस्था में था, ७२८२५ शिक्षक भर्ती अपने अंतिम चरम पर थी और प्रदेश के नौनिहाल न चाहते हुए भी एक ऐसे तबके से पढ़ने को मजबूर थे जो कैसे भी मानकों से सहायक अध्यापक के पद के लायक नहीं थे और प्रदेश सरकार अपनी चुनावी योजना में सफल हो रही थी तब आपकी ये टीम न ही समाजवादी शिक्षकों की स्कीम को साफ़ करने में लगी थी वरन समस्त टेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की नियुक्तियों के लिए आरटीई एक्ट के इतिहास की सबसे पहली परमादेश याचिका प्रदान की तत्पश्चात शिक्षा मित्रों के विरुद्ध लगातार सफलतम प्रयास इसी टीम के द्वारा किया गया है जिसके लिए शिक्षा मित्रों की ट्रेनिंग को अवैध कराने के लिए २-२ स्वीक्रत याचिकाएँ भी इसी टीम की हैं |
जो नोटिफ़िकेशन आपको दिखाया गया है उसमें NCTE के द्वारा साफ़ साफ़ कहा गया है :-
१) NCTE एक्ट की धारा १७(४) के अनुसार कोई भी चाहे वो केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार ट्रेनिंग के लिए ऐसा संस्थान प्राप्त नहीं करा सकते हैं जो ग़ैर मान्यता प्राप्त हो?
मेरा सवाल है इस पर तो SCERT कौन होती है ट्रेनिंग कराने के लिए?
२) MHRD के एक पत्र के अनुसार ऐसे व्यक्ति समायोजन के लिए मान्य नहीं होंगे तो फिर समायोजन कैसे हुआ?
३) इसके अलावा वो छूट के केवल कार्यरत शिक्षकों के लिए यहाँ एक चीज़ पर ज़ोर दिया है शिक्षक तो माननीय उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में शिक्षा मित्रों को संविदा कर्मी माना है ?
अब कहाँ से ख़ुद को सिद्ध करेंगे शिक्षक?
इसके अलावा एक सवाल ओर है :-
जब इनकी नियुक्ति २००१ में हो गयी थी जैसा कि ये कहते हैं तो फिर नियुक्ति की ज़रूरत क्यूँ पड़ गई?
क्या २००४ आदि बैच वालों की दोबारा नियुक्ति हुई है जो २३ august २०१० से पहले अध्यापक (शिक्षक) थे ?
इसी के साथ अब उन अटकलों को शांत कर देना चाहिए जहाँ MHRD और NCTE शिक्षा मित्रों के साथ दिखाई देंगे मिश्रा जी के सामने और 12A के लिए इतना बता दूँ तैयारी के साथ आना वरना चिल्लाते रह जाओगे @@@@@@@@@
मेरा सवाल है मा० मुख्यमंत्री महोदय से है श्रावस्ती में जो आपके समक्ष हुआ वो आपके द्वारा बोई हुई फसल है नाकि किसी ओर के , थोडा सा खेद हो तो आगामी चुनावों के मद्देनजर खुद को सशक्त बनाने हेतु फैसला रिवर्ट कर लीजिये वरना जल्द ही परिणाम होगा आपके ही समक्ष।
फ़िलहाल समस्त टेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए अवसर प्रदान करने हेतु उत्तरप्रदेश के योग्य टेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए राज्य सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक पदों पर स्थापित शिक्षा मित्रों को जड़ से उखाड़ने के लिए आपकी ये टीम शुरू से अंत तक लगी हुई है जिसको अंजाम देने के लिए आपकी इस टीम के पास याचिकाएँ हैं |
रविवार तक हम अपने द्वारा हमेशा से खड़े किए गए वरिष्ठ अधिवक्ताओं को फ़ाइनल करके २७ जुलाई के लिए written submissions के साथ ब्रीफ़ करके तैयारी पूर्ण कर लेंगे और इस बार सर्वप्रथम शिक्षा मित्रों पर सुनवाई होने के chances अधिक हैं तो किसी भी प्रकार से हम भी risk लेने के मूड में नहीं हैं |
महादेव पर विश्वास बनाए रखें, महादेव कृपा अवश्य करेंगे |
धन्यवाद
हर हर महादेव
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