“बना रहा हूं करप्शरन फ्री, क्राइम फ्री यूपी”

आज पुलिस अफेंसिव दिखाई दे रही है। 12 सौ से अधिक एन्काउंटर हुए हैं। पुलिस और प्रशासन के कार्य में किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं।
लेकिन, आम पब्लिक के प्रति अधिकाधिक संवेदनशीलता और अपराधियों के साथ सख्ती होनी चाहिए।

उत्तर प्रदेश को अपराध मुक्त करने, सुशासन देने और विकास की राह पर ले जाने के ऊंचे दावे के साथ विशाल बहुमत हासिल कर आई भाजपा सरकार को सात माह से अधिक होने को हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बेहद सक्रिय कार्यशैली से एहसास होता है कि उन्हें इसका बखूबी इल्म है। वे कहते भी हैं, "क्राइम फ्री, करप्‍शन फ्री यूपी बनाना ही सबसे बड़ा लक्ष्य है।" लेकिन उनके सामने चुनौती राज्य को बीमारू दर्जे की छवि से बाहर लाना ही नहीं है, अपनी सियासी जमीन भी पुख्ता करने की है, जिसकी धमक राज्य ही नहीं, लोकसभा चुनावों में भी सुनाई पड़े। यह यूं ही नहीं है कि हाल में राष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी भूमिका दिखाई दी। इन तमाम सवालों पर उन्होंने आउटलुक के संपादक हरवीर सिंह के साथ विस्तार से बातचीत की। मुख्य अंशः

आपको उत्तर प्रदेश का शासन संभाले सात महीने से ज्यादा होने को हैं। आपने पिछली सरकारों के कामकाज पर श्वेतपत्र भी जारी किया। आपकी सरकार के अभी तक ऐसे कौन से प्रमुख काम हैं जिन पर योगी आदित्यनाथ की छाप दिखती है?
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उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद एक नई कार्य संस्कृति ने जन्म लिया है। नई कार्य संस्कृति से प्रदेश के हर तबके के लोगों में एक नया विश्वास भर गया है। हर क्षेत्र में परिवर्तन दिख रहा है। वर्षों की जंग लगी व्यवस्‍था सुधारने में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन शुरुआत अच्छी दिशा में है और उसके परिणाम भी दिखने लगे हैं।

ऐसी कौन-सी पांच चीजें हैं जिन्‍हें कहा जा सकता है कि योगी जी के आने से ये हो गया है?

देखिए, एक तो विश्वास है। पब्लिक का विश्वास सरकार के प्रति कायम हुआ है। केंद्र में आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने जैसे देश में चली आ रही जात-पात, तुष्टीकरण की राजनीति से हट करके गांव, गरीब, किसान, नौजवान और महिला को केंद्रबिंदु बना कर पूरी राजनीति की दिशा बदली है, उसी तर्ज पर प्रदेश में हम लोगों ने कार्य करना प्रारंभ किया है। पहली बार उत्तर प्रदेश के राजनैतिक एजेंडे में किसान, युवा और महिलाएं हैं। किसानों की फसली ऋण माफी का कार्यक्रम सफलतापूर्वक चल रहा है। दो चरणों के कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुए हैं। तीसरा चरण शुरू हो रहा है। जिन किसानों ने कोऑपरेटिव बैंक से लोन लिया था और जिनके खाते एनपीए हो गए थे, ऐसे 13 लाख किसानों के खाते फिर से संचालित कराए गए। इस बारे में कैबिनेट से बिल भी पास करा लिया गया है। दूसरे, किसानों को उनकी उपज का दाम मिले और यही उसकी खुशहाली की दिशा में आगे बढ़ने का अगला चरण है। पांच वर्ष में प्रदेश में गेहूं का क्रय कुल 30 लाख टन के आसपास हो पाया। वह भी आढ़तियों के माध्यम से होता था। पहली बार हुआ है कि सीधे किसान से एक वर्ष में 37 लाख टन गेहूं खरीद हुआ। आरटीजीएस के माध्यम से किसान के खाते में पैसा गया।

खेती-किसानी की दशा सुधारने के लिए अगले कदम क्या हैं?

हम खेती में नई तकनीक और नवोन्मेष के लिए करीब 90 कृषि विज्ञान केंद्र स्‍थापित करने जा रहे हैं। जिसे केंद्र के आग्रह और फंड के बावजूद पिछली सरकार ने नजरअंदाज किया। हम इन केंद्रों को विश्वविद्यालयों से जोड़ने के बदले स्वायत्त भी कर रहे हैं, ताकि सीधे ये किसानों से जुड़ सकें और उन्हें प्रशिक्षण दे सकें। इसी तरह मंडियों को ई-नेम पोर्टल से जोड़कर उन्हें राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के काबिल बना रहे हैं। इसके लिए हमने अधिकारियों से गुजरात, हरियाणा, पंजाब जाकर पता करने को कहा है, जहां अच्छे काम हो रहे हैं।

आपकी पार्टी का एक बड़ा वादा प्रदेश को अपराधमुक्त करने का है। प्रदेश की कानून-व्यवस्था की स्थिति को दुरुस्त करने में आपकी सरकार कहां तक कामयाब हुई है?

हमें बिगड़ी हुई जर्जर व्यवस्‍था मिली थी। पुलिस पर माफियाओं के हमले हो रहे थे। अपराधी उन पर गोली चला रहे थे। पुलिस पिटती थी। पुलिस डिफेंसिव थी। आज पुलिस अफेंसिव दिखाई दे रही है। 1200 से अधिक एन्‍काउंटर अब तक हुए हैं।

हां, 1991 में कल्याण सिंह की सरकार के समय में जो सख्ती हुई थी उससे अपराधियों में कुछ भय का माहौल बना था। लंबे अरसे के बाद पुलिस एक्टिव दिखनी शुरू हुई है।

हमारा दिशा-निर्देश स्पष्ट है। हमें करप्‍शन फ्री, क्राइम फ्री यूपी चाहिए। पुलिस और प्रशासन के कार्य में किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं। लेकिन, आम पब्लिक के प्रति अधिकाधिक संवेदनशीलता और अपराधियों के साथ सख्ती होनी चाहिए। अपराधियों को गिरफ्तार करिए। कहीं भी भयभीत होकर मत रहिए। वह अगर गोली चला रहा है तो ड‌रिए मत, उसकी गोली का जवाब गोली से देने में संकोच मत क‌रिए। इसका परिणाम है कि 1200 से अधिक एन्‍काउंटर हुए हैं अब तक यूपी में। इसमें हमारे कुछ जवान शहीद भी हुए हैं। सौ के आसपास जवान घायल भी हुए हैं। लेकिन, इस दौरान 1100 से अधिक अपराधी पकड़े गए हैं। 800 से ज्यादा अपराधियों ने भागकर दूसरे राज्यों में शरण ले ली है या वहां की अदालतों में सरेंडर किया है। पांच सौ से अधिक अपराधी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अपनी बेल रिजेक्ट करा कर जेल के अंदर गए। लगभग 25 के आसपास दुर्दांत अपराधी पुलिस मुठभेड़ में मारे भी गए। इससे पब्लिक के मन में एक विश्वास पैदा हुआ है।

आपकी सरकार ने स्वीकार किया है कि राज्य में पुलिसकर्मियों का अभाव है। इस बारे में क्या कर रहे हैं?

प्रदेश में पिछली सरकारों की कार्यप्रणाली भेदभावपूर्ण थी। भ्रष्टाचार से युक्त थी। न्यायालय ने भर्तियों की पारदर्शिता पर तमाम प्रश्न उठने के बाद रोक लगाई थी। हम लोग जब आए तो ये चैलेंज हमारे सामने भी आया। हम लोगों ने अपना नया एफिडेविट दाखिल किया कोर्ट में। सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती से स्टे हटाया। अब प्रदेश में 42,500 से अधिक कांस्टेबल और पांच हजार से अधिक सब-इंस्पेक्टर की भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ हुई है। हम आगामी तीन वर्ष में लगभग 1.5 लाख पुलिसकर्मियों की भर्ती करेंगे। उत्तर प्रदेश में सशस्‍त्र बल पीएसी की, जिसकी प्रदेश को दंगामुक्त करने में बड़ी भूमिका हुआ करती थी, पिछली सरकारों ने लगभग 54 कंपनियां बंद कर दी थीं। हम इन सबको फिर सक्रिय कर रहे हैं। स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट यूनिट के गठन की भी स्वीकृति दे दी गई है। एनडीआरएफ की तर्ज पर एसडीआरएफ गठित होगा। प्रदेश में माफिया गिरोहों पर शिकंजा कसने और राष्ट्रविरोधी तत्वों से निपटने के लिए एटीएस की ताकत भी बढ़ाई जा रही है।

यह तो ठीक है कि आपने  सुरक्षा का माहौल बनाया, लेकिन आर्थिक रूप से पिछड़े उत्तर प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए ‌क्या कर रहे हैं?

प्रदेश में नई औद्योगिक नीति व्यापक निवेश और रोजगार को लेकर आ रही है। नई औद्योगिक नीति को पोर्टल पर डाला गया है। सुझाव मांगे गए हैं। औद्योगिक नीति के साथ-साथ सिविल एविएशन की भी नीति आनी है, इसमें आइटी की भी नीति आनी है, टेक्सटाइल की भी। एक साथ हम उसको कंबाइंड करके ला रहे हैं। इस पर देश के भी और बाहर के भी उद्योगपतियों ने रुचि दिखाई है। मुझे खुशी है कि अब तक जापान, फिनलैंड और यूरोप के कई देशों के लोगों ने राज्य में निवेश करने में रुचि दिखाई है।

उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत बहुत खराब है। यहां स्वास्थ्य विभाग में बड़े घोटाले भी हुए हैं। आप जिस गोरखपुर लोकसभा सीट का लंबे समय से प्रतिनिधित्व करते रहे हैं, पिछले दिनों वहां के अस्पताल में बड़ी संख्या में बच्चों की मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी थी। ऐसी स्थितियों को टालने के लिए आप क्या कर रहे हैं?

गोरखपुर की घटना को बेवजह तूल दे दिया गया। गोरखपुर में जो कारण बताए जा रहे थे, वो कारण नहीं थे। इन्‍सेफ्लाइटिस से मौतें जरूरी हुईं। लेकिन, अन्य जो कारण बताए जा रहे थे, वे सारे निर्मूल साबित हुए। ऐसा नहीं कि इन्‍सेफ्लाइटिस को रोकने के लिए हमलोगों ने इस दौरान कार्य न किए हों। हादसे के वक्त तक हमारी सरकार को केवल तीन महीने हुए थे। लेकिन, हमारी कार्रवाई उससे पहले प्रारंभ हो चुकी थी। जैसे, इन्‍सेफ्लाइटिस के प्रति संवेदनशील 38 जिलों में 92 लाख बच्चों को टीकाकरण कराना। दूसरे, अति संवेदनशील 20 जिलों के फिजीशयन और पीडियाट्रिक्स जितने थे, उन सबके प्रशिक्षण की व्यवस्‍था गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कराई गई। तीसरे, 30 जिलों के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक्स आइसीयू बनाया गया।

शिक्षा क्षेत्र में भी हालात संतोषजनक नहीं हैं। राज्य में शिक्षकों की भारी कमी है। नियुक्तियां ही नहीं हुई हैं। शिक्षा-मित्रों के मामले में न्यायालय का फैसला आने के बाद यह बड़ा मुद्दा बन गया है जो आप लोगों के लिए बड़ा चैलेंज है।

शिक्षा-मित्रों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जो डायरेक्‍शन दिए हैं, हम लोग उसको लागू कर रहे हैं। टीईटी की परीक्षा भी हुई है। इनके लिए यह मौका है। शिक्षा-मित्रों को अलग से अनुभव का वेटेज भी दिया जाएगा। जहां तक शिक्षकों की कमी की बात है तो उसे पूरा करने के लिए हमें प्रदेश के अंदर बड़ी मात्रा में शिक्षकों की भर्ती करनी है। मुझे लगता है कि हम लोग एक-डेढ़ साल में 1 लाख 76 हजार शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया को पूरा कर लेंगे। उच्च शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा के लिए भी हम आयोग गठित करके भर्ती की प्रक्रिया में तेजी लाना चाहते हैं, जिससे सभी संस्थानों को समय से नए सत्र में शिक्षक उपलब्‍ध हो सकें।



राज्य में प्रशासनिक नौकरियों में चयन और नियुक्तियों को लेकर सवाल उठते रहे हैं, खासतौर से राज्य लोकसेवा आयोग में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इसमें पारदर्शिता लाने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?

यूपीपीएससी की जो पुरानी प्रक्रिया थी, उसका हमलोगों ने पूरा अवलोकन किया और हमें लगा कि काफी धांधली हुई है। हम उस सबकी जांच कराने जा रहे हैं। सीबीआइ को मामला रेफर कर दिया है। यूपीपीएससी के साथ चीफ सेक्रेटरी स्तर पर कई बार बैठकें हो चुकी हैं। कार्य में तेजी और पारदर्शिता लाने की स्पष्ट हिदायत दे दी गई है।

 

भाजपा में आपकी भूमिका राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही है। पिछले दिनों आप केरल, गुजरात, बिहार गए। लगता है, आने वाले समय में पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर आप काफी सक्रिय होने वाले हैं। इन संभावनाओं को आप किस तरह से देखते हैं?



मैं पार्टी का सामान्य कार्यकर्ता हूं। मुझे मुख्यमंत्री पार्टी ने बनाया है। आदरणीय प्रधानमंत्री जी और आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने मुझे यह जिम्मेदारी दी है। पार्टी मुझे जहां कहेगी, जहां कहती है, मैं वहां जाता हूं, वहां जाऊंगा।

आपकी छवि एक मजबूत हिंदुत्ववादी नेता की भी है।

मेरी छवि भाजपा के कार्यकर्ता की है और मैं उसी रूप में कार्य करता हूं।

राजनेता और अब मुख्यमंत्री होने के साथ ही आप एक महंत भी हैं। नई जिम्मेदारी को पुराने काम से कैसे अलग देखते हैं? दोनों भूमिकाओं में संतुलन कैसे करते हैं?

बड़ी जिम्मेदारी है। उतनी ही बड़ी जवाबदेही भी है। दोनों का निर्वाह करने का प्रयास है।

आप कामकाज में बहुत समय देते हैं। दिन की शुरुआत जल्दी करते हैं और देर रात तक काम करते हैं। कहीं यह प्रेरणा आपको प्रधानमंत्री मोदी से तो नहीं मिली? आप भी बहुत...

देखिए, हमलोगों की प्रदेश सरकार की कार्यपद्धति और कार्य की प्रेरणा केंद्र सरकार और आदरणीय प्रधानमंत्री जी हैं। हम समय-समय पर इसके बारे में मार्गदर्शन भी लेते हैं।

ऐसी कई मिसालें हैं कि यूपी में ब्यूरोक्रेसी पॉलिटिकल लाइन पर बंटी रही है। इस बारे में आप क्या कहेंगे?

यह लीडरशिप पर निर्भर करता है। हर अधिकारी को पता है कि प्रदेश में और शासन-प्रशासन के बारे में मैं क्या चाहता हूं। स्वाभाविक रूप से जो उस पर खरा पाया जाएगा, वही टिक पाएगा। जो नहीं कर पाएगा, उसको जाना होगा। हमें प्रदेश को करप्‍शन फ्री करना है, क्राइम फ्री करना है, हमें जनता के प्रति जवाबदेह बनना है। अत्यधिक संवेदनशील बनना है। इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।

2019 लोकसभा चुनावों में विपक्ष के महागठबंधन की बातें चल रही हैं, अगर वह होता है तो राज्य में भाजपा को किस तरह की चुनौती का सामना करना पड़ेगा? क्या 2014 के प्रदर्शन को अगले लोकसभा चुनावों में बरकरार रखा जा सकेगा?

केंद्र सरकार और आदरणीय मोदी जी ने इस देश में औसतन 10 दिन में एक लोक कल्याण की नई योजना शुरू की है। पहली बार हो रहा है कि देश का प्रधानमंत्री ही अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के साथ सीधे संवाद कर रहा है। ऐसे लोगों की बुनियादी सुविधाओं यानी उनके सिर ढकने, उनके घरों में बिजली कनेक्‍शन, रसोई गैस, शौचालय के बारे में चिंता कर रहा है। किसानों की आय बढ़ाने, उनकी समस्याओं के समाधान, युवाओं को रोजगार के साथ जोड़ने के बारे में, इतनी सारी चिंताएं पहली बार कोई प्रधानमंत्री कर रहा है। आधारभूत ढांचे के विकास में एक नया प्रयास देश में हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की छवि एक मजबूत और उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति के रूप में बनी है। ये सारे प्रयास प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में हो रहे हैं। भारत की जनता हमेशा कृतज्ञता ज्ञापित करती है। 2019 एक ऐसा अवसर होगा जब भारत की जनता प्रधानमंत्री जी के बिना किसी भेदभाव के समाज के प्रत्येक व्यक्ति को विकास के साथ जोड़ने के लिए उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करेगी। इसलिए मेरा मानना है कि 2019 में और अच्छा बहुमत प्राप्त होगा।

यूपी में आपके आने के बाद बड़ी संख्या में स्लॉटर हाउस बंद कराए गए हैं। टाइम पत्रिका ने भी इसका जिक्र किया है। राज्य में मीट उद्योग लगभग 30 हजार करोड़ की इंडस्ट्री है और एक धर्म विशेष के लोग उसमें ज्यादा हैं। ऐसे में कई तरह की बातें हवा में हैं...

हमने तो एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट की जो गाइडलाइन थी, जो डायरेक्‍शन थे, उसे लागू किया है। जो मानकों को पूरा करता है, उसको नहीं छेड़ा गया है। जो मानकों को पूरा नहीं करता है, हमने उसको रोका है। मेरे पास उस समय लोग आए थे। मैंने उनसे कहा कि क्या सरकार ने बंद किया है? यह सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, एनजीटी ने कहा है। आप उन मानकों को पूरा करिए। हमें न्यायिक संस्‍थाओं के आदेश का पालन करना पड़ेगा।

बीएचयू की घटना पर देशभर में जैसी चर्चा हुई, उस पर क्या कहेंगे आप?

बीएचयू की घटना पर जांच कमेटी बनाई गई। उसने जो प्रारंभिक रिपोर्ट दी, उसे केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया गया। एचआरडी मिनिस्ट्री को भी अवगत करा दिया गया। म‌जिस्ट्रेटी जांच चल रही है। विश्वविद्यालय कैंपस के अंदर का मामला है, हमलोग उसमें बहुत हस्तक्षेप नहीं करते। लेकिन, सभी विश्वविद्यालयों से इस बारे में अपील की गई है कि पब्लिक के साथ सीधे संवाद और विश्वविद्यालयों में, महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं से सीधे संवाद स्‍थापित करके उनकी समस्याओं का समाधान होना चाहिए। इसके लिए मुझे लगता है कि संस्‍थाओं को अत्यंत सक्रिय और संवेदनशील होना होगा।

एक बड़ा राजनैतिक मुद्दा सड़क और बिजली का भी है। इस मोर्चे पर क्या हो रहा है?

हमने 19 मार्च को सत्ता में आने के एक महीने के अंदर पूरे प्रदेश का सर्वे कराया। एक लाख इक्कीस हजार किलोमीटर की सड़कें हमें गड्ढायुक्त मिलीं। कोर्ट ने रोक लगाई थी खनन पर। अवैध माइनिंग चल रही थी, हमलोगों ने उसको रोका। बरसात के कारण सड़कें नहीं बनीं, लेकिन तीन महीनों में 80 हजार किलोमीटर सड़कों को गड्ढामुक्त किया गया। प्रदेश में विद्युत वितरण में हो रहे भेदभाव को रोका गया। 75 के 75 जिलों में बिजली आपूर्ति बहाल की गई है। जिला मुख्यालयों में 24 घंटे, तहसील मुख्यालयों में 20 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे बिजली उपलब्‍ध कराई है। प्रदेश के 1225 ऐसे गांव थे जिनमें विद्युतीकरण नहीं हो पाया था। सभी 1225 गांवों में विद्युतीकरण पूरा कर लिया गया है।

राज्य की सारी पंचायतों में?

ग्राम पंचायतों में। अभी मजरे (टोले) बाकी हैं। हमारे प्रदेश में अभी बड़ी मात्रा में ऐसे मजरे हैं, छोटे-छोटे मजरे हैं, जो बचे हैं। इस दौरान हमलोगों ने लगभग 26 हजार से अधिक मजरों में विद्युतीकरण का कार्य पूरा किया है। 20 लाख ऐसे लोगों को विद्युत कनेक्‍शन उपलब्‍ध कराए हैं।

केंद्रीय स्तर पर स्वच्छता और आवास का बड़ा शोर है, राज्य में क्या स्थिति है?

पिछली सरकार ने तीन वर्ष में मुश्किल से 50 हजार का सर्वेक्षण किया था। किसी को आवास नहीं मिल पाया था। आज हम लगभग नौ लाख लोगों को ग्रामीण क्षेत्र में आवास उपलब्‍ध करा चुके हैं। आवास के पैसे उपलब्‍ध कराए जा चुके हैं। पहली किस्त जारी हो चुकी है। कुछ क्षेत्रों में दूसरी किस्त भी जारी हो चुकी है। शेष 71 हजार के लिए मार्च तक उपलब्‍ध कराने थे। शहरी क्षेत्र में एक लाख 60 हजार आवास के लिए पैसा उपलब्‍ध कराया गया है।

प्रदेश में गंगा जी के तटवर्ती क्षेत्रों में 25 जिले हैं। उन 25 जिलों के 1627 गांवों को हमने खुले में शौच से मुक्त घोषित किया है। पहले प्रदेश का एक भी जिला ऐसा नहीं था। हम छह जिलों को पूरी तरह खुले में शौच से मुक्त कर चुके हैं। हमारा प्रयास होगा कि 21 जिले 31 दिसंबर तक खुले में शौच से मुक्त हो जाएं। प्रतिदिन 15 हजार शौचालय बन रहे हैं।

गरीबों से जुड़ी योजनाओं में किस तरह का बदलाव किया गया है?

राशन कार्ड के सत्यापन की कार्रवाई हुई है। 33 लाख राशन कार्ड फर्जी पाए गए, जो अपात्रों को दिए गए थे। उन 33 लाख राशन कार्डों को हमने फिर से पात्र लोगों को उपलब्ध करवाया है। शहरी क्षेत्रों में खाद्यान्न का घोटाला न हो, इसके लिए हमने ई-पायस मशीनें (फिंगर प्रिंट वगैरह सत्यापन के लिए) स्‍थापित की हैं और राशन कार्ड को आधार से लिंक करके हर लाभार्थी को ये सुविधा दी है कि वह किसी भी दुकान में जाकर खाद्यान्न ले सके। ग्रामीण क्षेत्रों में भी हम यह लागू करने जा रहे हैं।
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