बेरोजगारों ने मांगी नौकरियां , टीजीटी-पीजीटी 2016 की लिखित परीक्षा जल्द कराई जाए

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : बेरोजगारों के सब्र का बांध अब टूट रहा है। बड़ी संख्या में युवाओं ने एकजुट होकर कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन किया और भर्तियां शुरू करने की मांग की। युवाओं ने अल्टीमेटम दिया है कि यदि तीन तक उनकी अनसुनी हुई तो 26 दिसंबर से डीएम कार्यालय के सामने बेमियादी आंदोलन शुरू करेंगे।

प्रदेश में भाजपा सरकार के गठन के बाद पहले भर्तियों पर रोक लगी और फिर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और अधीनस्थ सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों ने त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद से अब तक आयोगों का पुनर्गठन नहीं हो सका है, जबकि अधीनस्थ आयोग के लिए आवेदन लिए जा चुके हैं और चयन बोर्ड व उच्चतर में आवेदन की प्रक्रिया कुछ दिन पहले ही पूरी हुई है। युवाओं ने कहा कि नौ माह बाद भी सरकार की निष्क्रियता से आयोग संचालित नहीं हो पा रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री ने चुनावी जनसभाओं में 90 दिन में चयन प्रक्रिया शुरू कराने का वादा किया था। बेरोजगारों ने मांग की है कि प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक यानी टीजीटी-पीजीटी 2016 की लिखित परीक्षा जल्द कराई जाए और उसके तत्काल बाद परिणाम भी जारी हो। इसी तरह से राजकीय कालेजों की एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा का भी एलान किया जाए। बेरोजगारों ने कहा कि इस संबंध में वह तमाम बार धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन, सुनवाई नहीं हो रही है।
युवाओं ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी सौंपा है। इसमें लिखा है कि देरी होने पर इलाहाबाद बंद के साथ ही उग्र तरीके से आंदोलन छेड़ेंगे। इसके लिए प्रशासन व सरकार जिम्मेदार होगी। 26 दिसंबर को चयन बोर्ड पर भी युवाओं ने बैठक बुलाई है। यहां डा. एसएन विश्वकर्मा, रश्मि द्विवेदी, नुपुर चटर्जी, नीलू गुप्ता, स्नेहलता, सौम्या, ¨रकी यादव, संगीता पाल, वंदना मौर्या, शेर सिंह, अनिल कुमार पाल समेत बड़ी संख्या में अभ्यर्थी मौजूद थे।
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त सरे दिन आंदोलन जारी

ब सिक शिक्षा परिषद मुख्यालय के सामने 29334 भर्ती में आठवीं काउंसिलिंग कराने की मांग को लेकर अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिन अभ्यर्थियों को पहले नियुक्ति पत्र दिया गया, उन्हें कार्यभार ग्रहण कराया जा रहा है लेकिन, अन्य पदों को भरने के लिए काउंसिलिंग नहीं कराई जा रही है, जो हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना है। इस संबंध में वह परिषद को ज्ञापन भी सौंप चुके हैं।
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