सीसैट क्वालीफाइंग पेपर होने से सामान्य अध्ययन बना निर्णायक
कार्मिक मंत्रालय के फैसले से प्रतियोगियों में उत्साह
इलाहाबाद(ब्यूरो)। सिविल सर्विसेज में सीसैट को क्वालीफाइंग पेपर किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले से इलाहाबाद के प्रतियोगियों में उत्साह का माहौल है। फैसले से खुश प्रतियोगियों ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ भवन पर जश्न मनाया और एक दूसरे को बधाई दी। उन्होंने पीसीएस में यही व्यवस्था लागू करने की भी मांग की।फैसले की सूचना मिलने के बाद शाम से ही प्रतियोगियों का छात्रसंघ भवन पर जमावड़ा शुरू हो गया था। भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के बैनर तले जुटे प्रतियोगियों ने मिठाई बांटकर खुशी जाहिर की। इसमें विषय विशेषज्ञ भी शामिल रहे। विशेषज्ञों और प्रतियोगियों का कहना था कि इस फैसले से पूरब के ऑक्सफोर्ड का गौरव फिर वापस होगा। जश्न मनाने वालों में कौशल सिंह, एस.कुमार, अनिल उपाध्याय, विक्की खान आदि शामिल रहे। सीसैट के मुददे पर इलाहाबाद से दिल्ली तक आंदोलन की अगुवाई करने वाले छात्र नेता राणा यशवंत प्रताप सिंह के नेतृत्व में भी छात्रों का छात्रसंघ भवन पर जमावड़ा हुआ और जश्न मनाया। इस फैसले के लिए उन्होंने केंद्र सरकार के प्रति आभार प्रकट किया। जश्न मनाने वालों में सर्वेश सिंह, प्रदीप उपध्याय, राहुल सिंह, विपिन सिंह आदि शामिल रहे।
अमर उजाला ब्यूरो
इलाहाबाद। सिविल सर्विसेज प्रारंभिक परीक्षा में सीसैट को क्वालीफाइंग पेपर किए जाने से हिन्दी पट्टी के प्रतियोगियों की बड़ी बाधा दूर हो गई है। कार्मिक मंत्रालय के इस फैसले के तहत सीसैट में क्वालीफाई करने केलिए प्रतियोगियों को अब सिर्फ 33 फीसदी अंक पाने वाले होंगे। मंत्रालय के इस फैसले से प्रतियोगियों में जश्न का माहौल है।
प्रारंभिक परीक्षा में सीसैट लागू होने के बाद हिन्दी पट्टी के प्रतियोगियों की सफलता का ग्राफ लगातार नीचे गिर रहा था। यहां के प्रतियोगी पहला पड़ाव ही पार नहीं पार कर पा रहे थे। इसका असर अंतिम परिणाम पर भी पड़ा। नए प्रारूप में इंजीनियरिंग तथा विज्ञान वर्ग के प्रतियोगियों का काफी वर्चस्व रहा। सीसैट लागूृ होने से पहले इलाहाबाद में 50 से अधिक प्रतियोगी आईएएस बनने में सफल होते थे लेकिन विगत तीन वर्षों से यह संख्या काफी कम हो गई है। इस बार तो मुख्य परीक्षा में सफल होने वालों की संख्या इकाई में पहुंच गई है।
इसके विरोध में प्रतियोगियों ने दिल्ली तक आंदोलन चलाया। पूरे देश में तेज आंदोलन के बाद पिछले साल सीसैट से अंग्रेजी के प्रश्नों को बाहर कर दिया गया था। इसके बाद भी प्रतियोगियों का आंदोलन जारी रहा। ऐसे में मंत्रालय के सीसैट को क्वालीफाइंग पेपर किए जाने से प्रतियोगियों को बड़ी राहत मिली है। सिविल सेवा कोच रनीश जैन का कहना है कि इस फैसले से एक बार फिर सभी प्रतियोगियों में बराबर की लड़ाई होगी। नए प्रारूप में सामान्य अध्ययन निर्णायक होगा। सामान्य अध्ययन में हिन्दी पट्टी के प्रतियोगियों की पकड़ अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में विभाग के इस फैसले से हिन्दी पट्टी के प्रतियोगियों का वर्चस्व एक फिर इस भर्ती परीक्षा में कायम होगा।
सीसैट की वजह से पीछे रह गए थे यहां के प्रतियोगी, अब राहत की उम्मीद
प्रतियोगियों ने की पीसीएस में भी यही व्यवस्था लागू करने की मांग
कार्मिक मंत्रालय के फैसले से प्रतियोगियों में उत्साह
इलाहाबाद(ब्यूरो)। सिविल सर्विसेज में सीसैट को क्वालीफाइंग पेपर किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले से इलाहाबाद के प्रतियोगियों में उत्साह का माहौल है। फैसले से खुश प्रतियोगियों ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ भवन पर जश्न मनाया और एक दूसरे को बधाई दी। उन्होंने पीसीएस में यही व्यवस्था लागू करने की भी मांग की।फैसले की सूचना मिलने के बाद शाम से ही प्रतियोगियों का छात्रसंघ भवन पर जमावड़ा शुरू हो गया था। भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के बैनर तले जुटे प्रतियोगियों ने मिठाई बांटकर खुशी जाहिर की। इसमें विषय विशेषज्ञ भी शामिल रहे। विशेषज्ञों और प्रतियोगियों का कहना था कि इस फैसले से पूरब के ऑक्सफोर्ड का गौरव फिर वापस होगा। जश्न मनाने वालों में कौशल सिंह, एस.कुमार, अनिल उपाध्याय, विक्की खान आदि शामिल रहे। सीसैट के मुददे पर इलाहाबाद से दिल्ली तक आंदोलन की अगुवाई करने वाले छात्र नेता राणा यशवंत प्रताप सिंह के नेतृत्व में भी छात्रों का छात्रसंघ भवन पर जमावड़ा हुआ और जश्न मनाया। इस फैसले के लिए उन्होंने केंद्र सरकार के प्रति आभार प्रकट किया। जश्न मनाने वालों में सर्वेश सिंह, प्रदीप उपध्याय, राहुल सिंह, विपिन सिंह आदि शामिल रहे।
अमर उजाला ब्यूरो
इलाहाबाद। सिविल सर्विसेज प्रारंभिक परीक्षा में सीसैट को क्वालीफाइंग पेपर किए जाने से हिन्दी पट्टी के प्रतियोगियों की बड़ी बाधा दूर हो गई है। कार्मिक मंत्रालय के इस फैसले के तहत सीसैट में क्वालीफाई करने केलिए प्रतियोगियों को अब सिर्फ 33 फीसदी अंक पाने वाले होंगे। मंत्रालय के इस फैसले से प्रतियोगियों में जश्न का माहौल है।
प्रारंभिक परीक्षा में सीसैट लागू होने के बाद हिन्दी पट्टी के प्रतियोगियों की सफलता का ग्राफ लगातार नीचे गिर रहा था। यहां के प्रतियोगी पहला पड़ाव ही पार नहीं पार कर पा रहे थे। इसका असर अंतिम परिणाम पर भी पड़ा। नए प्रारूप में इंजीनियरिंग तथा विज्ञान वर्ग के प्रतियोगियों का काफी वर्चस्व रहा। सीसैट लागूृ होने से पहले इलाहाबाद में 50 से अधिक प्रतियोगी आईएएस बनने में सफल होते थे लेकिन विगत तीन वर्षों से यह संख्या काफी कम हो गई है। इस बार तो मुख्य परीक्षा में सफल होने वालों की संख्या इकाई में पहुंच गई है।
इसके विरोध में प्रतियोगियों ने दिल्ली तक आंदोलन चलाया। पूरे देश में तेज आंदोलन के बाद पिछले साल सीसैट से अंग्रेजी के प्रश्नों को बाहर कर दिया गया था। इसके बाद भी प्रतियोगियों का आंदोलन जारी रहा। ऐसे में मंत्रालय के सीसैट को क्वालीफाइंग पेपर किए जाने से प्रतियोगियों को बड़ी राहत मिली है। सिविल सेवा कोच रनीश जैन का कहना है कि इस फैसले से एक बार फिर सभी प्रतियोगियों में बराबर की लड़ाई होगी। नए प्रारूप में सामान्य अध्ययन निर्णायक होगा। सामान्य अध्ययन में हिन्दी पट्टी के प्रतियोगियों की पकड़ अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में विभाग के इस फैसले से हिन्दी पट्टी के प्रतियोगियों का वर्चस्व एक फिर इस भर्ती परीक्षा में कायम होगा।
सीसैट की वजह से पीछे रह गए थे यहां के प्रतियोगी, अब राहत की उम्मीद
प्रतियोगियों ने की पीसीएस में भी यही व्यवस्था लागू करने की मांग
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