लखनऊ। हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद शिक्षामित्रों को लेकर खड़े हुए बखेड़े
से बचने के लिए तीन फॉर्मूले पर अध्ययन किया जा रहा है। सबसे पहले
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से राहत लेने की तैयारी है।
राज्य सरकार को उम्मीद है कि केंद्र से सुधरे रिश्ते के चलते उसे इसमें
कामयाबी मिल सकती है।
इसके लिए उत्तराखंड व महाराष्ट्र में एनसीटीई से दी गई छूट को आधार बनाए जाने की तैयारी है। इसके अलावा त्रिपुरा मॉडल के साथ शिक्षक सहायक के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है।
इसके लिए उत्तराखंड व महाराष्ट्र में एनसीटीई से दी गई छूट को आधार बनाए जाने की तैयारी है। इसके अलावा त्रिपुरा मॉडल के साथ शिक्षक सहायक के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है।
मुख्य सचिव आलोक रंजन की अध्यक्षता में गठित समिति इन फॉर्मूलों को आधार
बनाकर आगे चल रही है। राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने से परहेज कर रही है।
जानकारों की माने तो विधि विशेषज्ञों ने भी यही सलाह दी है कि किसी तरह से
एनसीटीई से राहत प्राप्त कर ली जाए।
देश के किसी भी राज्य से यूपी में सबसे अधिक 1.70 लाख शिक्षा मित्र हैं।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम आने के बाद एनसीटीई से अनुमति लेकर शिक्षा
मित्रों को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से से दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण
दिलाया गया। इसमें से दो चरणों में 1,35,826 शिक्षा मित्रों को सहायक
अध्यापक बनाया जा चुका है और 34,174 का समायोजन बाकी है। हाईकोर्ट का आदेश
आने के बाद से राज्य सरकार सकते में आ गई है। शिक्षा मित्रों के संख्या बल
को देखते हुए उनसे कोई भी किनारा करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो या मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी
सभी शिक्षा मित्रों को ढांढस बंधा रहे हैं। इसलिए राज्य सरकार शिक्षा
मित्रों के लिए तीन फॉर्मूले पर विचार कर रही है।
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