राज्य सरकार शिक्षा मित्रों के लिए तीन फॉर्मूले पर विचार कर रही है।
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- त्रिपुरा मॉडल त्रिपुरा में सर्व शिक्षा अभियान में रखे गए संविदा शिक्षकों को 2009 से नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जा रहा है। वहां इन शिक्षकों को मातृत्व अवकाश से लेकर अन्य सभी सुविधाएं दी जा रही हैं। यही नहीं हर छह माह पर नियमित शिक्षकों की तरह वेतन वृद्धि दी जाती है। पांच साल पूरा कर चुके स्नातक संविदा शिक्षकों को 21,933 और इससे कम अनुभव वालों को 14,260 तथा इंटर पास पांच साल से अधिक अनुभव वालों को 11,211 वेतन दिया जा रहा है। शिक्षामित्रों के कुछ संगठनों ने भी इस मॉडल को सुझाया है।
- महाराष्ट्र मॉडल महाराष्ट्र में शिक्षा मित्रों के तर्ज पर बस्तीशाला रखे गए। आरटीई अधिनियम आने के बाद स्नातक पास बस्तीशाला को दो वर्षीय शिक्षा शास्त्र का प्रशिक्षण देते हुए सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किया गया। इनका समायोजन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किया गया। महाराष्ट्र में 8500 बस्तीशाला हैं। महाराष्ट्र राज्य सरकार ने इनके समायोजन के लिए अलग से नियमावली तैयार की थी। इन्हें बिना टीईटी के ही शिक्षक बनाया गया। महाराष्ट्र विधान परिषद में शिक्षक विधायक कपिल पाटिल कहते हैं कि बस्तीशाला को शिक्षक बनाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी गई। उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व अधिकारियों को महाराष्ट्र पैटर्न के बारे में पूरी जानकारी दी।
- उत्तराखंड में भी यूपी मॉडल उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश की तर्ज पर 3400 शिक्षा मित्रों को रखा गया। वहां शिक्षा मित्रों को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से दो वर्षीय बीटीसी कोर्स कराते हुए बिना टीईटी के शिक्षक पद पर समायोजित किया गया है। उत्तराखंड सरकार ने 7 अक्तूबर 2013 को एनसीटीई से शिक्षा मित्रों को शिक्षक बनाने के लिए टीईटी से छूट की अनुमति मांगी थी। एनसीटीई ने 17 फरवरी 2014 को राज्य सरकार को इसकी अनुमति दे दी। इसके आधार पर 14 मार्च 2014 को उत्तराखंड के शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन संबंधी आदेश जारी कर दिया गया।
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