उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का वर्ष 2015-16 का कार्यकाल सिर्फ विवादों के
लिए ही नहीं जाना जाएगा। इस साल आयोग ने सबसे अधिक नियुक्तियां भी की हैं।
हालांकि इस दौरान नियुक्तियों में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहे और डा.
अनिल यादव का नियुक्ति भी अवैध ठहराई गई।
वर्ष 2015-16 को आयोग के सबसे विवादित साल के रूप में जाना जाता है। इस साल आयोग के इतिहास में पहली बार पीसीएस का पेपर आउट हुआ और डा. अनिल यादव पर सीधी भर्ती की परीक्षाओं पर अधिक ध्यान देने के आरोप लगते रहें। हालांकि अनिल यादव की नियुक्ति को अवैध ठहराया गया लेकिन तब तक हजारों अभ्यर्थियों का चयन किया जा चुका था। आयोग से मिली सूचना के अनुसार बीते साल 22 प्रतियोगात्मक परीक्षाओं का आयोजन किया गया। सीधी भर्ती के साक्षात्कार आयोजित किए गए। इसमें 11808 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। इसके अलावा 2679 पदों पर प्रोन्नति के द्वारा चयन की संस्तुति की गई। इसमें कई परीक्षाओं का विवाद अदालत तक भी पहुंचा था। खुद आयोग ने प्रतियोगात्मक और सीधी भर्ती की परीक्षाओं का ब्योरा हाईकोर्ट को उपलब्ध कराया था। 1माना जा रहा है कि पिछले साल आयोग ने जितनी नियुक्तियां कीं, उतनी पहले कभी नहीं हुईं। बीते पांच साल के ब्यौरा इसका संकेत भी देता है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011-12 में आयोग ने नौ प्रतियोगी परीक्षाओं और सीधी भर्ती की परीक्षाओं में 3369 अभ्यर्थियों का चयन किया था। वर्ष 2012-13 में 11 प्रतियोगी परीक्षाएं और सीधी भर्ती के साक्षात्कार हुए जिसमें 2542 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। 2013-14 में दस प्रतियोगी परीक्षाओं व साक्षात्कार आदि में 2771 का चयन किया गया। अभ्यर्थियों के चयन में जोरदार इजाफा अनिल यादव के कार्यकाल में ही हुआ। वर्ष 2014-15 में आयोग में वह पूरी तरह स्थापित हो चले थे और इस साल 14 परीक्षाओं और सीधी भर्ती के साक्षात्कार में 6923 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। अनिल यादव के जाने के बाद कुछ समय तक आयोग की गतिविधियां ठहरी रहीं। कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में डा. एसके जैन के पदभार ग्रहण करने के बाद इसमें फिर तेजी आई और कई परीक्षाओं के परिणाम लगातार घोषित हुए।
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वर्ष 2015-16 को आयोग के सबसे विवादित साल के रूप में जाना जाता है। इस साल आयोग के इतिहास में पहली बार पीसीएस का पेपर आउट हुआ और डा. अनिल यादव पर सीधी भर्ती की परीक्षाओं पर अधिक ध्यान देने के आरोप लगते रहें। हालांकि अनिल यादव की नियुक्ति को अवैध ठहराया गया लेकिन तब तक हजारों अभ्यर्थियों का चयन किया जा चुका था। आयोग से मिली सूचना के अनुसार बीते साल 22 प्रतियोगात्मक परीक्षाओं का आयोजन किया गया। सीधी भर्ती के साक्षात्कार आयोजित किए गए। इसमें 11808 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। इसके अलावा 2679 पदों पर प्रोन्नति के द्वारा चयन की संस्तुति की गई। इसमें कई परीक्षाओं का विवाद अदालत तक भी पहुंचा था। खुद आयोग ने प्रतियोगात्मक और सीधी भर्ती की परीक्षाओं का ब्योरा हाईकोर्ट को उपलब्ध कराया था। 1माना जा रहा है कि पिछले साल आयोग ने जितनी नियुक्तियां कीं, उतनी पहले कभी नहीं हुईं। बीते पांच साल के ब्यौरा इसका संकेत भी देता है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011-12 में आयोग ने नौ प्रतियोगी परीक्षाओं और सीधी भर्ती की परीक्षाओं में 3369 अभ्यर्थियों का चयन किया था। वर्ष 2012-13 में 11 प्रतियोगी परीक्षाएं और सीधी भर्ती के साक्षात्कार हुए जिसमें 2542 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। 2013-14 में दस प्रतियोगी परीक्षाओं व साक्षात्कार आदि में 2771 का चयन किया गया। अभ्यर्थियों के चयन में जोरदार इजाफा अनिल यादव के कार्यकाल में ही हुआ। वर्ष 2014-15 में आयोग में वह पूरी तरह स्थापित हो चले थे और इस साल 14 परीक्षाओं और सीधी भर्ती के साक्षात्कार में 6923 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। अनिल यादव के जाने के बाद कुछ समय तक आयोग की गतिविधियां ठहरी रहीं। कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में डा. एसके जैन के पदभार ग्रहण करने के बाद इसमें फिर तेजी आई और कई परीक्षाओं के परिणाम लगातार घोषित हुए।
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