कोर्ट के 61 पेज के आदेश में यह तो तय हो गया कि रेगुलर बीटीसी की एकेडमिक पर हुई भर्तियों का पक्ष रखना जरुरी

कोर्ट के 61 पेज के आदेश में यह तो तय हो गया कि रेगुलर बीटीसी की एकेडमिक पर हुई भर्तियों का पक्ष रखना जरुरी है।
●अब जेहन में सवाल आता है कि आगे क्या करना चाहिए ?

● सुप्रीम कोर्ट में कौन करेगा पैरवी ?
●और सबसे बड़ा मुद्दा है फण्ड कैसे , कहाँ और कितना इकठ्ठा हो?

【1】उपरोक्त सवालों के जवाब किसी एक व्यक्ति के पास नहीं हो सकते न ही उसकी विश्वसनीयता उस स्तर पर हो सकती है कि वो सर्वमान्य हो।
【2】हम यह कह सकते हैं कि अभी भी बहुत से मुद्दों पर दोनों भर्तियों में नियुक्त साथियों के बीच एक गहरी खाई है जो बिना दोनों भर्तियों के एक साझा संगठन के तहत एक मंच पर आये एक सर्वमान्य टीम का गठन किये पट नहीं सकेगी और न ही सभी को विश्वास में लिया जा सकता है। जिससे भविष्य में पैरवी भी प्रभावित हो सकती है।

【3】कुछ सवाल हैं किनका जवाब पूरा प्रदेश जानना चाहेगा कि :
●जिस प्रकार एक अमुक ग्रुप ने अपने स्तर से विभिन्न कोर्ट केसों में सक्रिय सदस्यों को विश्वास में लेकर, एक संगठन का निर्माण और प्रदेश स्तर की कार्यकारिणी बनाकर सुप्रीम कोर्ट में पैरवी का जिम्मा लिया है, क्या वह पूरे प्रदेश के 16448 + 15000 का प्रतिनिधित्व करता है ?
●संगठन के जिन सदस्यों को प्रदेश कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया है उनकी 15000 & 16448 भर्ती में क्या भूमिका रही है ?
●जैसा कि वर्तमान में रूपये को लेकर उथल-पुथल चल रही है उसमें कौन सा खाता जारी होगा और उसके संचालन और विश्वनीयता रखने की जिम्मेवारी किसके पास होगी?
●पैरवी के लिए गठित टीम में कौन-कौन से लोग होंगे जिससे दोनों भर्तियों को समान रूप से प्रतिनिधित्व प्राप्त हो सके?

【4】उपरोक्त सवालों के जवाब एक पब्लिक मीटिंग में ही मिल सकते हैं।
●मेरे सुझाव में जो ग्रुप अभी वाट्सअप पर बन चुका है वो अपने स्तर से कार्य करते रहे। कोई भी उसके कार्यों में बाधक नहीं बनेगा। हम सभी का एक ही लक्ष्य है एकेडमिक पर हुई भर्तियों का भविष्य सुरक्षित रहे और सुप्रीम कोर्ट में बेहतर पैरवी हो और इसके लिए सभी को जोड़ने के उद्देश्य से ही यह कार्यक्रम किया जा रहा है।
●इसके लिए दिनांक 6 दिसंबर 2016 को बाबा भीम राव अम्बेडकर की पुण्य तिथि (सार्वजनिक अवकाश) वाले दिन पूर्व की भांति राम मनोहर लोहिया पार्क में एक सार्वजनिक मीटिंग हो और दोनों भर्तियों की एक प्रदेश स्तर की संयुक्त कार्यकारिणी का गठन हो। जिलास्तर और ब्लॉक स्तर पर सक्रीय सदस्यों का चयन हो। एक संगठन का खाता खुले जिसके संचालन में पूरी पारदर्शिता बरती जाये और उसी खाते में फंडिंग हो और सुप्रीम कोर्ट में बेहतर से बेहतर पैरवी हो।
【नोट】जो भी उपरोक्त सुझाव से सहमत हैं तथा मीटिंग में आने के इच्छुक हैं उनका स्वागत है। वे अपने सुझाव दें और इस पोस्ट को अपने टाइम लाइन पर शेयर करें और  उपलब्ध माध्यम से अपने साथियों को सूचित करें। जो काफी दूरी की वजह से आने में अक्षम हैं वह व्यक्तिगत रूप से अपना मत / सुझाव दे सकते हैं। हमारा  उद्देश्य सभी 15000 +16448 चयनित शिक्षकों को एक मंच पर लाना है। अन्य समस्त बातें मीटिंग में ही तय होंगी।
किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। धन्यवाद।
प्रेम वर्मा।
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