हापुड़: दूसरे जिलों से स्थानांतरित होकर आए 53 शिक्षकों में से केवल तीस को ही नियुक्ति मिली है जबकि 23 शिक्षक अब भी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। जिन शिक्षकों को स्कूल आवंटित कर दिए गए हैं, उनमें से कई शिक्षकों ने अभी तक स्कूल में उपस्थिति तक दर्ज नहीं कराई है।
ऐसे में इन शिक्षकों का वेतन किस आधार पर बनाया जाएगा, इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। जिले में चार माह से ज्यादा समय पहले 53 शिक्षक प्रदेश के अन्य जिलों से स्थानांतरित होकर हापुड़ आए थे। जिन्हें तीन माह तक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से संबंद्ध रखा गया और इन्हें प्रत्येक माह वेतन दिया जाता रहा। बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में आकर इन्हें प्रतिदिन सिर्फ हस्ताक्षर करके वापस जाना होता था, लेकिन ये शिक्षक माह में एक बार आते थे और एक साथ हस्ताक्षर करके चलते बनते थे। काफी शोर शराबा होने के बाद इनमें से करीब 30 शिक्षकों को नियुक्ति देते हुए स्कूल आवंटित कर दिये गए। जबकि शेष शिक्षक आज तक नियुक्ति मिलने का इंतजार कर रहे हैं। नियुक्ति न मिलने की वजह स्कूलों में पदों का रिक्त न होना बताया जा रहा है। लाखों रूपये प्रति माह वेतन के नाम पर बर्बाद हो रहे हैं और अधिकारी तमाशबीन बने हुए हैं। कमाल की बात यह है कि जिन शिक्षकों को स्कूल आवंटित कर दिए गए हैं, उनमें से भी कुछ शिक्षकों ने अभी तक स्कूल पहुंचकर ड्यूटी ज्वाइन नहीं की है। ऐसा ही एक स्कूल हापुड़ ब्लाक के गांव कुराना में स्थित है। इस स्कूल को दूसरे जिलों से आई दो शिक्षिकाओं ने काउंस¨लग में स्वंय चुना था, लेकिन अभी तक दोनों शिक्षिकाओं ने स्कूल में ज्वाइन नहीं किया है। ऐसे में इन शिक्षकों को वेतन किस तरह दिया जायेगा, इसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
-जिन शिक्षकों ने स्कूल आवंटन के बाद से स्कूल ज्वाइन नहीं किया है, उनकी जानकारी की जा रही है। उन्हें तब तक वेतन नहीं दिया जा सकता जब तक वे यह स्पष्टीकरण न दें कि किस वजह से स्कूल ज्वाइन नहीं किया है।
-देवेंद्र गुप्ता, बीएसए, हापुड़।
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ऐसे में इन शिक्षकों का वेतन किस आधार पर बनाया जाएगा, इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। जिले में चार माह से ज्यादा समय पहले 53 शिक्षक प्रदेश के अन्य जिलों से स्थानांतरित होकर हापुड़ आए थे। जिन्हें तीन माह तक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से संबंद्ध रखा गया और इन्हें प्रत्येक माह वेतन दिया जाता रहा। बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में आकर इन्हें प्रतिदिन सिर्फ हस्ताक्षर करके वापस जाना होता था, लेकिन ये शिक्षक माह में एक बार आते थे और एक साथ हस्ताक्षर करके चलते बनते थे। काफी शोर शराबा होने के बाद इनमें से करीब 30 शिक्षकों को नियुक्ति देते हुए स्कूल आवंटित कर दिये गए। जबकि शेष शिक्षक आज तक नियुक्ति मिलने का इंतजार कर रहे हैं। नियुक्ति न मिलने की वजह स्कूलों में पदों का रिक्त न होना बताया जा रहा है। लाखों रूपये प्रति माह वेतन के नाम पर बर्बाद हो रहे हैं और अधिकारी तमाशबीन बने हुए हैं। कमाल की बात यह है कि जिन शिक्षकों को स्कूल आवंटित कर दिए गए हैं, उनमें से भी कुछ शिक्षकों ने अभी तक स्कूल पहुंचकर ड्यूटी ज्वाइन नहीं की है। ऐसा ही एक स्कूल हापुड़ ब्लाक के गांव कुराना में स्थित है। इस स्कूल को दूसरे जिलों से आई दो शिक्षिकाओं ने काउंस¨लग में स्वंय चुना था, लेकिन अभी तक दोनों शिक्षिकाओं ने स्कूल में ज्वाइन नहीं किया है। ऐसे में इन शिक्षकों को वेतन किस तरह दिया जायेगा, इसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
-जिन शिक्षकों ने स्कूल आवंटन के बाद से स्कूल ज्वाइन नहीं किया है, उनकी जानकारी की जा रही है। उन्हें तब तक वेतन नहीं दिया जा सकता जब तक वे यह स्पष्टीकरण न दें कि किस वजह से स्कूल ज्वाइन नहीं किया है।
-देवेंद्र गुप्ता, बीएसए, हापुड़।
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