Friday 22 December 2017

जजों की कमी पूरी होने में आयोग ही बना रोड़ा: यूपीएससी का पैटर्न अपना रहे उप्र लोकसेवा आयोग की दोहरी मानसिकता

इलाहाबाद : देश व प्रदेश में लाखों मुकदमों का बढ़ता बोझ और ऊपर से जजों की भारी कमी। हाईकोर्ट ही नहीं, निचली अदालतों में भी जजों का टोटा है।
ऐसे में न्यायिक सेवा में जाने के इच्छुक प्रतियोगी छात्र-छात्रओं को उप्र लोकसेवा आयोग ही परीक्षा में आवेदन का केवल चार अवसर देकर रुकावट पैदा कर रहा है। मुखर हो रहे छात्रों का सवाल है कि जब यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होने के छह अवसर हैं, यूपीपीएससी की पीसीएस परीक्षा में अवसरों की कोई बाध्यता नहीं है तो फिर पीसीएस जे. में ही सबसे कम अवसर क्यों दिए जा रहे हैं?

गौरतलब है कि संघ लोकसेवा आयोग की ओर से कराई जाने वाली आइएएस परीक्षा में उम्र सीमा 21 से 32 साल है और इसमें प्रतियोगियों को छह अवसर मिलते हैं। वहीं, उप्र लोकसेवा आयोग जो पीसीएस की परीक्षा कराता है उसमें आयु सीमा 21 से अधिकतम 40 साल है और इसमें अवसरों की बाध्यता नहीं है, जबकि उप्र न्यायिक सेवा यानी पीसीएस जे. की परीक्षा में आवेदन के लिए आयु सीमा 21 से 35 साल है और इसमें प्रतियोगियों को केवल चार अवसर ही मिलते हैं। देश के अन्य राज्यों में न्यायिक सेवा परीक्षा में आवेदन के लिए अवसर की बाध्यता नहीं है। छात्रों की लड़ाई यही है कि न्यायिक सेवा में अवसरों की बाध्यता क्यों है, जबकि उप्र लोकसेवा आयोग आगामी वर्ष में होने वाली परीक्षाओं में यूपीएससी के पैटर्न को अपनाने की बात कह रहा है। आयोग का घेराव करने वाले न्यायिक सेवा के प्रतियोगियों का मामला अब प्रदेश के अन्य लॉ कालेजों तक भी पहुंच गया है। आयोग का कहना है कि शासन से जो भी निर्णय होंगे उस पर अमल होगा।
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