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TET प्रकरण तथा 12460 भर्ती पर प्रभाव

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◼ शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद एन॰सी॰टी॰ई॰ को शिक्षक भर्ती (कक्षा 1 से 8 ) हेतु न्यूनतम अहर्ता निर्धारित करने का अधिकार प्राप्त हुआ।

◼ 11 फ़रबरी 2011 को NCTE ने सभी राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए जिनमे यह बताया गया कि सभी राज्य अथवा संस्थाएँ TET परीक्षा का आयोजन किस प्रकार करेंगे तथा इस परीक्षा में भाग लेने वाले अभ्यर्थीयों की न्यूनतम अहर्ता क्या होगी... इन्ही दिशा-निर्देशो के बिन्दु 5(ii) में यह लिखा है कि A person who is pursuing any of teacher education courses (Recognised by the NCTE) shall be eligible for appearing in TET.
◼ अब पूरा विवाद इस Pursuing शब्द को लेकर ही है तथा इसी शब्द की व्याख्या जस्टिस अश्वनी मिश्रा जी ने करते हुए 8 मई को आदेश दिया कि NCTE के दिशा-निर्देशों में सम्मिलित pursing शब्द का अर्थ फ़ाइनल ईयर में प्रशिक्षण लेने से है, इसलिए TET सर्टिफ़िकेट उन्ही लोगों का वैध है जिन्होंने अपने प्रशिक्षण के फ़ाइनल ईयर अथवा उसके बाद टीईटी परीक्षा दी हो....
◼ यहाँ तक तो सब ठीक था लेकिन इसके बाद जस्टिस दिलीप गुप्ता जी की बेंच ने उपरोक्त आदेश के विरुद्ध दाख़िल अपील पर एक आश्चर्यजनक फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि TET परीक्षा उन्ही लोगों की वैध मानी जायेगी जिनके बी॰एड/ (BTC चतुर्थ सेमेस्टर) का रिज़ल्ट TET के रिज़ल्ट से पहले आ गया हो। इसके साथ ही न्यायमूर्ति महोदय ने सरकार को निर्देशित करते हुए कहा कि 2 माह में ऐसे सभी अध्यापको की सेवा समाप्त की जाए जिन्होंने 29 हज़ार भर्ती में TET का वह प्रमाणपत्र लगाया है जिसका रिज़ल्ट उनके बी॰टी॰सी॰/बी॰एड के अन्तिम वर्ष/सेमेस्टेर के रिज़ल्ट के बाद जारी हुआ है।
◼ फ़िलहाल यह आदेश सिर्फ़ 29 हज़ार भर्ती लिए है लेकिन इस आदेश के दूरगामी प्रभाव होंगे। यदि यह आदेश नही पलटा गया तब भविष्य में यही आदेश सभी भर्तीयों पर लागू होगा।
◼ हाईकोर्ट ने निर्णय देते वक़्त कई बिन्दुओं को पूर्ण रूप से नज़रंदाज करते हुए Pursuing के अर्थ का अपने अनुसार व्याख्यान कर दिया.. यहाँ तक की दिशानिर्देश निर्गत करने वाली संस्था NCTE से भी लिखित रूप से कुछ नही माँगा गया।
◼ ख़ैर चाहे जो हो लेकिन न्यायपालिका ही सर्वोच्च है इसलिए बी॰टी॰सी॰/बी॰एड प्रशिक्षण प्राप्त ऐसे अध्यापक जिनके प्रशिक्षण योग्यता का रिज़ल्ट टीईटी के रिज़ल्ट के बाद आया है, वर्तमान में उन सभी अध्यापकों की नौकरी ख़तरे में है। आप सभी संघर्षशील साथियों को वक़्त आने पर संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा। सच कड़वा ज़रूर होता है लेकिन जितनी जल्दी इसे स्वीकार किया जाए यह उतना ही बेहतर रहेगा।
◼ अगर किसी केस में ज़मीनी पैरवी से ज़्यादा नेतागीरी को तव्वजो दी जाएगी तब ऐसी अवस्था में हार मिलती ही है, टी॰ई॰टी॰ प्रकरण ने इस तथ्य को पुनः स्थापित करने का कार्य किया है।
आपकी टीम ने कई बार विपरीत और कड़वे दौर देखे हैं और हमेशा उनसे सीखने की कोशिश की है, विगत 1 सप्ताह से हाईकोर्ट के कई सीनियर अधिवक्ताओ से 12460 भर्ती के विषय में चर्चा हुई है। इसके अतिरिक्त सुप्रीम कोर्ट जाकर भी TET प्रकरण पर अधिवक्ताओ की राय ली गयी है।
◼ सुप्रीम कोर्ट के ज़्यादातर सीनियर एडवोकेट अभी ग्रीष्मक़ालीन अवकाश के मद्देनज़र चेम्बर नही आ रहे इसलिए 20 जून के पश्चात कई और अधिवक्ताओं से टी॰ई॰टी॰ प्रकरण के सन्दर्भ में चर्चा कर उचित निर्णय लिया जायेगा।
◼ 12460 भर्ती में चयननित किसी भी व्यक्ति को टी॰ई॰टी॰ प्रकरण से अत्यधिक भयभीत होने की आवश्यकता नही है। समय आने पर टीम आपको अगली रणनीति बतायेगी।

कुलदीप टीम 

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