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चिकित्सा संस्थानों में कार्यरत प्रवक्ता सीबीआइ के रडार पर, एक हजार से अधिक प्रवक्ताओं के संदिग्ध होने की शिकायतें

प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों और राजकीय इंटर कालेज में यूपी पीएससी से चयनित प्रवक्ता सीधी भर्तियों की जांच शुरू होते ही सीबीआइ के रडार पर आ गए हैं। आयोग से चयनित इंजीनियर और जूनियर इंजीनियरों का ब्योरा जुटाया जा रहा है।
सीधी भर्ती से भरे गए प्रवक्ताओं के एक हजार से अधिक पद संदिग्ध हैं। इनके बारे में कहा गया है कि चहेते अभ्यर्थियों को मनमाने तरीके से साक्षात्कार के लिए बुलाया गया और मनमाफिक ही नंबर दिए गए। सीबीआइ ने अपने कई डिप्टी एसपी व इंस्पेक्टरों को खामियां पकड़ने में लगा रखा है जो जिलों में गुप्त रूप से काम कर रहे हैं।1सीबीआइ सूत्रों के अनुसार उप्र लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) से पांच साल के दौरान सीधी भर्ती में सबसे अधिक गड़बड़झाला 2013 से लेकर 2016 तक हुआ। 1राज्य सरकार के कई विभागों में भर्ती हुई। आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव और उनके नेतृत्व वाली परीक्षा समिति, परीक्षा नियंत्रक ने सीधी भर्ती के जितने भी विज्ञापन निकाले उसमें गड़बड़ी के तार लखनऊ से भी जुड़े रहे, क्योंकि सपा शासनकाल में विभिन्न विभागों के मंत्रियों के इशारे पर अधियाचन भेजे गए, इसमें खास बात यह थी कि अभ्यर्थियों के चयन की सेटिंग पहले से थी। करीब चार सौ भर्तियों के विज्ञापन निकालकर 20 हजार से अधिक पद भरे गए। इनमें प्रवक्ता, उसके बाद अभियंत्रण सेवा, अग्निशमन विभाग में अधिकारी, रजिस्ट्रार व अन्य पद भी भरे गए।
सीबीआइ को इलाहाबाद स्थित कैंप कार्यालय में इसकी ढेरों शिकायतें मिलीं। चयन से वंचित विभिन्न जिलों में रह रहे अभ्यर्थियों ने दिल्ली मुख्यालय में भी शिकायतें विभिन्न माध्यम से पहुंचाईं। तमाम शिकायतें ई-मेल से प्राप्त हुईं। सीबीआइ अधिकारियों ने शिकायतों और उसके साथ संलग्न प्रमाण का परीक्षण कर सीधी भर्ती से हुए चयन के परतें जल्द ही उधेड़ने की कार्ययोजना तैयार कर ली है। \
आसार जताए जा रहे हैं कि वर्तमान में पीसीएस 2015 सहित चार प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ ही सीधी भर्ती के तहत गलत तरीके से हुए चयन की जांच भी शुरू हो सकती है।

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