दुनियाभर की सरकारों, शिक्षा संस्थान, अभिभावकों के बीच यह बहस चल रही है कि बच्चों की पढ़ाई शुरू कराने के लिए स्कूल-कॉलेज कब खोले जाएं। भारत सहित कई देशों में तो “नो वैक्सीन नो स्कूल' अभियान भी चल रहा है। एक राय यह भी है कि इसका निर्णय भी शोधकर्ता करें। लिहाजा अमेरिका में शीर्ष वैज्ञानिकों के बीच ही रायशुमारी कराई गई, जिसमें करीब 70 फीसदी सितंबर-अक्तूबर से पहले स्कूल खोलने के पक्ष में नहीं
हैं। उनकी सलाह है कि फिलहाल स्कूल-कॉलेज जल्दी खोलना बच्चों के लिए खतरनाक है।
अमेरिकी सर्वे संस्था अपशॉट ने कोरोना वायरस पर रिसर्च कर रहे और करीबी निगाह रखने वाले 304 शीर्ष विषाणुविज्ञानियों के बीच यह रायशुमारी कराई। सर्वे में संक्रामक रोक विशेषज्ञों से सवाल किया गया। नौ फीसदी ने तो एकमत होकर यह कहा कि वे टीका बनने तक बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहेंगे। सार्वजनिक संस्थानों को तो खोला जा सकता है, लेकिन बच्चों को खतरे में नहीं डाला जा सकता।
बड़े बच्चों को भी कॉलेज भेजना नहीं चाहते शोधकर्ताओं और एपिफी कंसल्टिंग में विषाणु विज्ञानी कार्ल फिलिप्स ने कहा कि सितंबर के पहले बच्चों को स्कूल-कॉलेज या डे केयर भेजने की सोचना भी बेवकूफी होगा। मैकगिल यूनिवर्सिटी के अरिजित नंदी ने कहा कि रेस्तरां न जाने की कीमत तो हम चुका लेंगे, लेकिन बच्चों को बाहर भेजना का खतरा नहीं उठा सकते। वाशिंगटन हेल्थ रिसर्च की अरुणा कामिनेनीने कहा कि मेरे बच्चे कॉलेज जाने वाले हैं, लेकिन फिर भी सितंबर से पहले हम ऐसा सोच नहीं सकते।
हैं। उनकी सलाह है कि फिलहाल स्कूल-कॉलेज जल्दी खोलना बच्चों के लिए खतरनाक है।
अमेरिकी सर्वे संस्था अपशॉट ने कोरोना वायरस पर रिसर्च कर रहे और करीबी निगाह रखने वाले 304 शीर्ष विषाणुविज्ञानियों के बीच यह रायशुमारी कराई। सर्वे में संक्रामक रोक विशेषज्ञों से सवाल किया गया। नौ फीसदी ने तो एकमत होकर यह कहा कि वे टीका बनने तक बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहेंगे। सार्वजनिक संस्थानों को तो खोला जा सकता है, लेकिन बच्चों को खतरे में नहीं डाला जा सकता।
बड़े बच्चों को भी कॉलेज भेजना नहीं चाहते शोधकर्ताओं और एपिफी कंसल्टिंग में विषाणु विज्ञानी कार्ल फिलिप्स ने कहा कि सितंबर के पहले बच्चों को स्कूल-कॉलेज या डे केयर भेजने की सोचना भी बेवकूफी होगा। मैकगिल यूनिवर्सिटी के अरिजित नंदी ने कहा कि रेस्तरां न जाने की कीमत तो हम चुका लेंगे, लेकिन बच्चों को बाहर भेजना का खतरा नहीं उठा सकते। वाशिंगटन हेल्थ रिसर्च की अरुणा कामिनेनीने कहा कि मेरे बच्चे कॉलेज जाने वाले हैं, लेकिन फिर भी सितंबर से पहले हम ऐसा सोच नहीं सकते।
अभी भेजेंगे गर्मी (30 जून) सितंबर मध्य दिसंबर मध्य मार्च 2021 एक साल बाद
भारतीय अभिभावक भी चिंतित भारत में लगातार बढ़ रहे संक्रमण के मामलों और आने वाले दिनों की चेतावनी को देखते हुए पैरेंट्स चिंतित हैं। सोशल मीडिया पर अभियान चलाया जा रहा है। नो वैक्सिन नो स्कूल अभियान भारत में भी चल रहा है। चेंज डॉट ओआरजी ऑनलाइन पीटिशन में करीब 7.75 लाख लोगों ने समर्थन दिया है।