प्राइमरी स्कूल के सहायक अध्यापकों का प्रधानाध्यापक या जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापक पदों पर पदोन्नत करने के मामले में कमेटी ने शासनादेश के विपरीत दूसरी काउंसिलिंग करा दी। शासनादेश के नियमों का उल्लंघन करने का मामला नवागत बीएसए राकेश कुमार के ज्वाइन करने पर खुला।
बीएसए राजेश वर्मा के ट्रांसफर होने पर दूसरी काउंसिलिंग के शिक्षकों की संशोधित प्रमोशन सूची पर आदेश नहीं हो सका था, जबकि राकेश कुमार ने ऐसे आदेश पर हस्ताक्षर करने से ही मना कर दिया है। इससे मामला अधर में लटक गया है। नए बीएसए ने इस पूरे मामले से शासन को अवगत करा दिया है।
प्राइमरी विद्यालयों के 515 सहायक अध्यापकों का प्रमोशन मई महीने में किया गया था। इसमें से करीब 250 शिक्षकों ने तत्कालीन बीएसए राजेश कुमार के निर्देश पर ज्वाइन कर लिया था। इसमें शेष प्रोन्नत शिक्षकों ने ज्वाइन नहीं किया था। करीब 215 शिक्षकों ने प्रोन्नत में मिले विद्यालयों में संसोधन के लिए आवेदन किया था। इस पर डायट प्राचार्य गजराज सिंह यादव की अध्यक्षता एवं बीएसए राजेश कुमार वर्मा सचिव एवं जीजीआईसी की प्रधानाचार्य वंदना यादव और जीजीआईसी की उर्दू प्रवक्ता विमला वर्मा की सदस्य वाली कमेटी ने इस पर दूसरी काउंसिलिंग कराने का निर्णय लिया था।
इस पर 25 जून को राजेश वर्मा ने डायट में दूसरी काउंसिलिंग करा दी थी, जिसमें करीब 210 शिक्षकों ने काउंसिलिंग कराई थी। शासनादेश के अनुसार प्रमोशन की दूसरी काउंसिलिंग नहीं करानी चाहिए थी। प्रमोशन आर्डर के साथ निर्देश दिए जाते हैं कि यदि पदोन्नत वाले स्थान पर अध्यापक ज्वाइन नहीं करता है तो उसका तीन साल के लिए पदोन्नति पर रोक लगा दी जाती है। इसके बावजूद पूर्व बीएसए वाली कमेटी ने शिक्षकों की काउंसिलिंग नियम विरुद्घ तरीके से कर दी। इसके साथ ही बीएसए ने दूसरी काउंसिलिंग करके पहली काउंसिलिंग को ही गलत ठहरा दिया।
सामान्य पुरुषों से नहीं लिए जा सकते विकल्प
शिक्षक नियमावली के अनुसार सामान्य वर्ग के पुरुष अध्यापकों से जिले के अगड़े ब्लाकों में नियुक्ति के लिए विकल्प पत्र नहीं लिए जा सकते हैं। बीएसए राजेश वर्मा वाली कमेटी ने ददरौल, भावलखेड़ा, कांट और सिंधौली जैसी अगड़े ब्लाकों में शिक्षकों से विकल्प पत्र लिए हैं।
उर्दू टीचर्स को लाभ पहुंचाने का तो इरादा नहीं था?
प्राथमिक विद्यालयों के 515 सहायक अध्यापकों के प्रमोशन होने के बाद जिन शिक्षकों ने विद्यालय संसोधन के लिए आवेदन किया था, उनमें सर्वाधिक संख्या उर्दू अध्यापकों की थी। ऐसे में दोबारा काउंसिलिंग होने पर सर्वाधिक लाभ उर्दू अध्यापकों को ही पहुंचने की उम्मीद थी।
‘शिक्षकों के प्रमोशन की दूसरी काउंसिलिंग नियम विरुद्घ की गई है। यह निर्णय डायट प्राचार्य वाली कमेटी ने किया है। इस वजह से इसमें मैं कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता हूं। इस वजह से इस काउंसिलिंग को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के पास अनुमति के लिए भेजा है। वहां से मिले निर्देशों के अनुसार ही कुछ किया जा सकता है। ’
- राकेश कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
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बीएसए राजेश वर्मा के ट्रांसफर होने पर दूसरी काउंसिलिंग के शिक्षकों की संशोधित प्रमोशन सूची पर आदेश नहीं हो सका था, जबकि राकेश कुमार ने ऐसे आदेश पर हस्ताक्षर करने से ही मना कर दिया है। इससे मामला अधर में लटक गया है। नए बीएसए ने इस पूरे मामले से शासन को अवगत करा दिया है।
प्राइमरी विद्यालयों के 515 सहायक अध्यापकों का प्रमोशन मई महीने में किया गया था। इसमें से करीब 250 शिक्षकों ने तत्कालीन बीएसए राजेश कुमार के निर्देश पर ज्वाइन कर लिया था। इसमें शेष प्रोन्नत शिक्षकों ने ज्वाइन नहीं किया था। करीब 215 शिक्षकों ने प्रोन्नत में मिले विद्यालयों में संसोधन के लिए आवेदन किया था। इस पर डायट प्राचार्य गजराज सिंह यादव की अध्यक्षता एवं बीएसए राजेश कुमार वर्मा सचिव एवं जीजीआईसी की प्रधानाचार्य वंदना यादव और जीजीआईसी की उर्दू प्रवक्ता विमला वर्मा की सदस्य वाली कमेटी ने इस पर दूसरी काउंसिलिंग कराने का निर्णय लिया था।
इस पर 25 जून को राजेश वर्मा ने डायट में दूसरी काउंसिलिंग करा दी थी, जिसमें करीब 210 शिक्षकों ने काउंसिलिंग कराई थी। शासनादेश के अनुसार प्रमोशन की दूसरी काउंसिलिंग नहीं करानी चाहिए थी। प्रमोशन आर्डर के साथ निर्देश दिए जाते हैं कि यदि पदोन्नत वाले स्थान पर अध्यापक ज्वाइन नहीं करता है तो उसका तीन साल के लिए पदोन्नति पर रोक लगा दी जाती है। इसके बावजूद पूर्व बीएसए वाली कमेटी ने शिक्षकों की काउंसिलिंग नियम विरुद्घ तरीके से कर दी। इसके साथ ही बीएसए ने दूसरी काउंसिलिंग करके पहली काउंसिलिंग को ही गलत ठहरा दिया।
सामान्य पुरुषों से नहीं लिए जा सकते विकल्प
शिक्षक नियमावली के अनुसार सामान्य वर्ग के पुरुष अध्यापकों से जिले के अगड़े ब्लाकों में नियुक्ति के लिए विकल्प पत्र नहीं लिए जा सकते हैं। बीएसए राजेश वर्मा वाली कमेटी ने ददरौल, भावलखेड़ा, कांट और सिंधौली जैसी अगड़े ब्लाकों में शिक्षकों से विकल्प पत्र लिए हैं।
उर्दू टीचर्स को लाभ पहुंचाने का तो इरादा नहीं था?
प्राथमिक विद्यालयों के 515 सहायक अध्यापकों के प्रमोशन होने के बाद जिन शिक्षकों ने विद्यालय संसोधन के लिए आवेदन किया था, उनमें सर्वाधिक संख्या उर्दू अध्यापकों की थी। ऐसे में दोबारा काउंसिलिंग होने पर सर्वाधिक लाभ उर्दू अध्यापकों को ही पहुंचने की उम्मीद थी।
‘शिक्षकों के प्रमोशन की दूसरी काउंसिलिंग नियम विरुद्घ की गई है। यह निर्णय डायट प्राचार्य वाली कमेटी ने किया है। इस वजह से इसमें मैं कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता हूं। इस वजह से इस काउंसिलिंग को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के पास अनुमति के लिए भेजा है। वहां से मिले निर्देशों के अनुसार ही कुछ किया जा सकता है। ’
- राकेश कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
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