RTE se Jude Ek Lekhak ke Social Media par Vichaar
पूर्णपीठ के आदेश से स्पष्ट है कि पूर्णपीठ ने शिक्षामित्रों को अधिकतम सम्भव राहत देने का स्पष्ट प्रयास किया है।
समायोजन को वैध ठहराने का एक भी विधिक आधार न होने से पीठ के पास इसे बहाल रखने का कोई विकल्प नहीं था।
NCTE के संज्ञान में आने पर, कि प्रशिक्षण की अनुमति राज्य सरकार द्वारा तथ्य छिपाकर ली गई, उसके द्वारा प्रशिक्षण की अनुमति वापस न लेने या प्रशिक्षण रद्द न करने की घोर लापरवाही का दुष्परिणाम बीएड+टीईटी अभ्यर्थियों को भुगतना होगा यदि इस विषय को मजबूती से कोर्ट के सामने न रखा गया। NCTE द्वारा स्वतः भूलसुधार की कोई आशा करना व्यर्थ है।
और हाँ, आदेश में महत्वपूर्ण 28004 का कोई उल्लेख नहीं है। स्पष्ट है कि प्रशिक्षण के बचने के की स्थिति का जिम्मेदार वे लोग हैं जिन्होंने समर्थ होने और आश्वासन देने के बावजूद 28004 को लेकर यथाशक्ति प्रयास नहीं किये। वरना आदेश में कुछ और भी मिल सकता था।
कौन हैं वे लोग?
----------------
क्या कोई जानकार बताएगा कि शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका रिट-A-28004/2011 (संतोष कुमार मिश्रा व अन्य बनाम स्टेट ऑफ़ उत्तर प्रदेश व अन्य) का वास्तविक स्टेटस क्या है?
अगर यह 12 सितम्बर 2015 तक पेंडिंग थी तो इस याचिका में प्रतिवादी नंबर 4 रही राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (NCTE) किस प्रकार हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन यानि सब-ज्युडिश मुद्दे, यानी शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण की वैधता पर प्रश्नचिह्न, पर कोई निर्णय ले सकती थी? ध्यान रहे पूर्णपीठ के 12 सितम्बर के आदेश में इस स्टेज तक NCTE द्वारा प्रशिक्षण की अनुमति वापस न लिए जाने का उल्लेख करते हुए पीठ ने तथाकथित अनिर्णय का ठीकरा उसके सर पर फोड़ा है।
अगर यह याचिका या इसमें निहित प्रश्न 12 सितम्बर तक हाईकोर्ट द्वारा निस्तारित हो चुके थे तो आदेश में उसका कोई उल्लेख क्यों नहीं है? एक निस्तारित हो चुके मुद्दे पर पीठ द्वारा भला अनावश्यक सुनवाई-बहस-विमर्श की अनुमति दी ही क्यों जाती? निस्तारण हो चुकने की स्थिति में पीठ द्वारा या तो वैधता या अवैधता के निर्णय का उल्लेख होता, उसकी विवेचना कर उसे रद्द या पुष्ट किया जाता। पर नहीं!
28004/2011 पर इतना सन्नाटा क्यों है भाई?
*******************
Sarita >>>
आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी आपसे मेरा विनम्र अनुरोध है आप उत्तर प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा अप्रशिक्षित और अयोग्य हाथों में सहर्ष सौप दीजिये साथ ही अपने सुरक्षा घेरे में व आपके वाहन चालाक में एक बार अप्रशिक्षित और अयोग्य को मौका दीजिये। कालान्तर में वो अनुभवी हो ही जायेगें....
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
पूर्णपीठ के आदेश से स्पष्ट है कि पूर्णपीठ ने शिक्षामित्रों को अधिकतम सम्भव राहत देने का स्पष्ट प्रयास किया है।
समायोजन को वैध ठहराने का एक भी विधिक आधार न होने से पीठ के पास इसे बहाल रखने का कोई विकल्प नहीं था।
NCTE के संज्ञान में आने पर, कि प्रशिक्षण की अनुमति राज्य सरकार द्वारा तथ्य छिपाकर ली गई, उसके द्वारा प्रशिक्षण की अनुमति वापस न लेने या प्रशिक्षण रद्द न करने की घोर लापरवाही का दुष्परिणाम बीएड+टीईटी अभ्यर्थियों को भुगतना होगा यदि इस विषय को मजबूती से कोर्ट के सामने न रखा गया। NCTE द्वारा स्वतः भूलसुधार की कोई आशा करना व्यर्थ है।
और हाँ, आदेश में महत्वपूर्ण 28004 का कोई उल्लेख नहीं है। स्पष्ट है कि प्रशिक्षण के बचने के की स्थिति का जिम्मेदार वे लोग हैं जिन्होंने समर्थ होने और आश्वासन देने के बावजूद 28004 को लेकर यथाशक्ति प्रयास नहीं किये। वरना आदेश में कुछ और भी मिल सकता था।
कौन हैं वे लोग?
----------------
क्या कोई जानकार बताएगा कि शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका रिट-A-28004/2011 (संतोष कुमार मिश्रा व अन्य बनाम स्टेट ऑफ़ उत्तर प्रदेश व अन्य) का वास्तविक स्टेटस क्या है?
अगर यह 12 सितम्बर 2015 तक पेंडिंग थी तो इस याचिका में प्रतिवादी नंबर 4 रही राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (NCTE) किस प्रकार हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन यानि सब-ज्युडिश मुद्दे, यानी शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण की वैधता पर प्रश्नचिह्न, पर कोई निर्णय ले सकती थी? ध्यान रहे पूर्णपीठ के 12 सितम्बर के आदेश में इस स्टेज तक NCTE द्वारा प्रशिक्षण की अनुमति वापस न लिए जाने का उल्लेख करते हुए पीठ ने तथाकथित अनिर्णय का ठीकरा उसके सर पर फोड़ा है।
अगर यह याचिका या इसमें निहित प्रश्न 12 सितम्बर तक हाईकोर्ट द्वारा निस्तारित हो चुके थे तो आदेश में उसका कोई उल्लेख क्यों नहीं है? एक निस्तारित हो चुके मुद्दे पर पीठ द्वारा भला अनावश्यक सुनवाई-बहस-विमर्श की अनुमति दी ही क्यों जाती? निस्तारण हो चुकने की स्थिति में पीठ द्वारा या तो वैधता या अवैधता के निर्णय का उल्लेख होता, उसकी विवेचना कर उसे रद्द या पुष्ट किया जाता। पर नहीं!
28004/2011 पर इतना सन्नाटा क्यों है भाई?
*******************
Sarita >>>
आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी आपसे मेरा विनम्र अनुरोध है आप उत्तर प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा अप्रशिक्षित और अयोग्य हाथों में सहर्ष सौप दीजिये साथ ही अपने सुरक्षा घेरे में व आपके वाहन चालाक में एक बार अप्रशिक्षित और अयोग्य को मौका दीजिये। कालान्तर में वो अनुभवी हो ही जायेगें....
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC