परीक्षा कक्ष होगा... पर्चे-कॉपी भी होंगी...परीक्षा होगी लेकिन परीक्षा
बच्चे नहीं, बल्कि गुरुजी देंगे। पहली बार सरकारी प्राइमरी स्कूलों के
शिक्षकों की दक्षता परीक्षा होगी और 14 जिलों में इसके परिणामों का
विश्लेषण किया जाएगा।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) इस परीक्षा का आयोजन कर रहा है। हालांकि इसका मकसद कुछ अलग है। मकसद शिक्षकों की योग्यता जानना तो है ही लेकिन उससे भी ज्यादा नजर इसके परिणामों के विश्लेषण पर होगी।
http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/
परिणामों पर होगी तैयारी 'इनसर्विस ट्र्रेंनग' की- इसके परिणाम का विश्लेषण कर एससीईआरटी शिक्षकों के प्रशिक्षण यानी 'इन सर्विस ट्र्रेंनग ' के लिए नई तरह की चीजें कर सकेगा। देखा जाएगा कि शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए क्या और कदम उठाए जाने चाहिए। पहली बार यह प्रयास किया जा रहा है ताकि जाना जा सके कि शिक्षक कहां कमजोर हैं ? कहां प्रशिक्षण की जरूरत है और किस चीज को प्रशिक्षण से बाहर किया जाए ?
नहीं हो पाएगी शिक्षकों की पहचान - इसके लिए सभी शिक्षकों की परीक्षा नहीं होगी। कुछ शिक्षकों को सैम्पल के तौर पर लिया जाएगा। इसके लिए जो फार्मेट तैयार किया गया है उसमें शिक्षकों की पहचान किसी भी तरह से उजागर नहीं हो सकेगी। उत्तरपुस्तिका में कहीं भी शिक्षकों को अपना नाम, पता, स्कूल का नाम या ब्लॉक का नाम कुछ भी नहीं लिखना है। इससे शिक्षक बिना डर के परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।
ये जिले करेंगे परिणामों का विश्लेषण- फिरोजाबाद, अलीगढ़, फतेहपुर, वाराणसी, बुलंदशहर, रायबरेली, एटा, लखनऊ, चंदौली, कानपुर नगर, झांसी, मैनपुरी, कन्नौज, इलाहाबाद।
तब हुआ था हंगामा
2001 के आसपास भी शिक्षक प्रवीणता परीक्षा का आयोजन किया गया था लेकिन उसका मकसद सिर्फ शिक्षकों के ज्ञान का परीक्षण करना था। इसे लेकर शिक्षकों ने विद्रोह कर दिया और परीक्षा नहीं हो पाई। शिक्षकों को लगा कि इसके रिजल्ट के आधार पर उनकी योग्यता का परीक्षण कर उनका नुकसान न कर दिया जाए। लिहाजा इस बार उनकी नाम और पहचान छुपाई जा रही है।
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नहीं हो पाएगी शिक्षकों की पहचान - इसके लिए सभी शिक्षकों की परीक्षा नहीं होगी। कुछ शिक्षकों को सैम्पल के तौर पर लिया जाएगा। इसके लिए जो फार्मेट तैयार किया गया है उसमें शिक्षकों की पहचान किसी भी तरह से उजागर नहीं हो सकेगी। उत्तरपुस्तिका में कहीं भी शिक्षकों को अपना नाम, पता, स्कूल का नाम या ब्लॉक का नाम कुछ भी नहीं लिखना है। इससे शिक्षक बिना डर के परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।
ये जिले करेंगे परिणामों का विश्लेषण- फिरोजाबाद, अलीगढ़, फतेहपुर, वाराणसी, बुलंदशहर, रायबरेली, एटा, लखनऊ, चंदौली, कानपुर नगर, झांसी, मैनपुरी, कन्नौज, इलाहाबाद।
तब हुआ था हंगामा
2001 के आसपास भी शिक्षक प्रवीणता परीक्षा का आयोजन किया गया था लेकिन उसका मकसद सिर्फ शिक्षकों के ज्ञान का परीक्षण करना था। इसे लेकर शिक्षकों ने विद्रोह कर दिया और परीक्षा नहीं हो पाई। शिक्षकों को लगा कि इसके रिजल्ट के आधार पर उनकी योग्यता का परीक्षण कर उनका नुकसान न कर दिया जाए। लिहाजा इस बार उनकी नाम और पहचान छुपाई जा रही है।
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